Hindi Diwas 2019: हमें हिंदी को म्यूजियम की भाषा नहीं बनाना, ये बेचारी नहीं: प्रसून जोशी
Hindi Diwas 2019 हिंदी दिवस के मौके पर मशहूर कवि व गीतकार प्रसून जोशी ने इसके महत्व और विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार रखे हैं।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। जागरण सान्निध्य में शुक्रवार को 'विज्ञापन की हिंदी' की हिंदी विषय पर चर्चा में मशहूर कवि व गीतकार प्रसून जोशी ने हिंदी भाषा के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार रखे। दैनिक जागरण के एसोसिएट एडिटर अनंत विजय सेबातचीत में प्रसून ने कहा कि विज्ञापन तो भारत में पहले से ही होता रहा है। लेकिन विज्ञापन को व्यवसाय समझना हमने पश्चिम से ही सीखा है। जैसे-जैसे हिंदी भाषियों की क्रय क्षमता बढ़ती गई, विज्ञापन एजेसियों को हिंदी में कैंपेनिंग करने की जरूरत महसूस होने लगी। बड़े-बड़े विज्ञापन अभियान हिंदी में चलाए जाने लगे। आज हिंदी का टारगेट ऑडियंस ज्यादा है इसलिए हिंदी में विज्ञापन लेखन की मांग भी बढ़ी है।
प्रसून ने कहा कि विज्ञापन, फिल्म व साहित्य के लेखन में अंतर जरूर है लेकिन इनमें आपस में संबंध भी हैं। विज्ञापन व फिल्मों में वही भाषा अपना वजूद बनाए रखने में सफल हो पाएगी जिसके पास मार्केट है। हमें हिंदी को म्यूजियम की भाषा नहीं बनाना, लेकिन उसके मूल स्वरूप को भी बनाए रखना है। हिंदी की शब्दावली को लगातार समृद्ध करते रहना है। भाषा में प्रयोग करें, साथ में चिंतन करना भी जरूरी है। हिंदी बेचारी भाषा नहीं है। हिंदी जीवंत, धड़कती हुई भाषा है। हिंदी में एसएमएस जैसे शब्दों का भी स्वागत है। लेकिन ध्यान रखना होगा कि एसएमएस के कारण संदेश शब्द की हत्या न हो जाए। इस दौरान उन्होंने अपने लिखे कुछ गीत भी सुनाए।