JNU sedition case: सोनिया के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले नामी वकील ने LG को लिखा खत, जानिए- पूरा मामला
JNU sedition case कन्हैया कुमार समेत 10 छात्रों पर राजद्रोह पुलिस को दिल्ली सरकार की ओर मंजूरी नहीं मिलने पर सुप्रीम कोर्ट के वकील ने इसको लेकर उपराज्यपाल अनिल बैजल को खत लिखा है।
नई दिल्ली, एएनआइ। JNU sedition case: जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (Jawahar lal Nehru University) में 9 फरवरी, 2016 में हुए नारेबाजी मामले में तत्काल जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष समेत 10 छात्रों पर राजद्रोह का मुकदमा चलाने को लेकर दिल्ली पुलिस के आरोप पत्र पर आम आदमी पार्टी (aam aadmi party) सरकार तैयार नहीं है। आधिकारिक सूत्रों की मानें तो दिल्ली सरकार (delhi government) ने राजद्रोह के मुकदमे के अलावा बाकी आरोपों में मुकदमा चलाने को तैयार है, जिस पर दिल्ली पुलिस को सरकार से मंजूरी लेने की जरूरत नहीं है। सूत्र भी केजरीवाल सरकार के इस रुख की पुष्टि भी कर रहे हैं।
वहीं, कन्हैया कुमार समेत 10 छात्रों पर राजद्रोह दिल्ली पुलिस को दिल्ली सरकार की ओर मंजूरी नहीं मिलने पर सुप्रीम कोर्ट के वकील ने इसको लेकर दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल से गुजारिश की है।
समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के वकील अजय अग्रवाल ने इस बाबत उपराज्यपाल अनिल बैजल को खत लिखा है। इसमें उन्होंने मीडिया रिपोर्ट्स को आधार बनाया है, जिसमें कहा जा रहा है कि दिल्ली सरकार ने दिल्ली पुलिस को आरोपितों पर राजद्रोह का मुकदमा चलाने की मंजूरी नहीं दी है।
यहां पर बता दें कि जेएनयू राजद्रोह मामले में उपराज्यपाल को खत लिखने वाले अजय अग्रवाल वर्ष, 2014 में सोनिया गांधी के खिलाफ रायबरेली लोकसभा सीट से चुनाव भी लड़ चुके हैं।
यहां पर बता दें कि आगामी 18 सितंबर को होने वाली सुनवाई में दिल्ली पुलिस को आरोप पत्र पर अपना रुख स्पष्ट करना है। यहां यह भी जान लेना जरूरी है कि राजद्रोह का केस चलाने के लिए पुलिस को राज्य सरकार से मंजूरी लेना अनिवार्य होता है। पुलिस ने अदालत में आरोप पत्र दाखिल करने के बाद सरकार के पास मंजूरी के लिए फाइल भेजी थी, लेकिन तकरीबन सालभर बाद भी इसको लेकर मंजूरी नहीं मिली है।
बताया जा रहा है कि दिल्ली सरकार के गृह विभाग ने राजद्रोह केस के इस मामले में पिछले सप्ताह एक बैठक की थी। बैठक के बाद इस फाइल की नोटिंग में जो लिखा है उसके मुताबिक यह मामला राज्य के खिलाफ राजद्रोह और राष्ट्र की संप्रभुता पर हमले के लिए उकसाने जैसा नहीं लगता है। हालांकि, इसको लेकर सरकार को ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
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