दिल्ली में प्रदूषण को कम करेगा RFID tags, ट्रैफिक जाम की समस्या भी होगी दूर
आरएफआइडी एक ऐसी व्यवस्था है जो टोल गेटों पर भ्रष्टाचार सहित तमाम अव्यवस्थाओं को खत्म कर देगी। वहां नकद लेन-देन बंद हो जाएगा।
नई दिल्ली, जेएनएन। दिल्ली के टोल गेटों पर रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडंटीफिकेशन (आरएफआइडी) व्यवस्था 23 अगस्त की रात से लागू हो जाएगी। केवल वही व्यावसायिक वाहन दिल्ली में प्रवेश कर सकेंगे, जिनके पास टैग होगा। हालांकि अभी इस आरएफआइडी टैग को लेकर ही मारामारी मची हुई है। वाहन चालक परेशान हैं और इस व्यवस्था पर भी सवाल उठा रहे हैं। ऐसे में आरएफआइडी के विभिन्न पहलुओं पर संजीव गुप्ता ने पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण एवं संरक्षण प्राधिकरण (ईपीसीए) अध्यक्ष भूरेलाल से विस्तृत बातचीत की। प्रस्तुत हैं मुख्य अंश :-
क्या वजह है कि आरएफआइडी की शुरुआत बार-बार लटकती रही है? 23 अगस्त से इसे लागू करने की कितनी तैयारी है?
आरएफआइडी एक ऐसी व्यवस्था है जो टोल गेटों पर भ्रष्टाचार सहित तमाम अव्यवस्थाओं को खत्म कर देगी। वहां नकद लेन-देन बंद हो जाएगा, जबकि व्यावसायिक वाहनों से इस नकद लेन-देन में ही बहुतों का हित जुड़ा हुआ था। जाहिर सी बात है कि जिनके भी हित प्रभावित हो रहे हैं, उन्हीं लोगों की वजह से इसे लागू करने की तिथि में बार बार बदलाव करना पड़ा। हालांकि 16 से 23 अगस्त तक की मोहलत सिर्फ इसलिए दी गई, क्योंकि हजारों वाहन चालकों के टैग नहीं बन पाए थे। वहीं, 23 अगस्त से इसे लागू करने की पूरी तैयारी कर ली गई है। अब समय सीमा भी नहीं बढ़ाई जाएगी। उल्लंघन करने वालों पर हर सप्ताह जुर्माना बढ़ता जाएगा। पहले सप्ताह दोगुना, दूसरे सप्ताह चौगुना, तीसे सप्ताह छह गुना।
वाहन चालकों को आरएफआइडी टैग मिलने में जो परेशानी हो रही है, उसका क्या?
किसी भी व्यवस्था की शुरुआत में थोड़ी बहुत परेशानी आना स्वाभाविक है। अगर लोग समय से टैग लेना शुरू कर देते तो एकदम से इतनी लाइनें नहीं लगतीं क्योंकि हमारे पास टैग पर्याप्त हैं। फिर भी लोगों की परेशानी देखते हुए ही एक सप्ताह की मोहलत दी गई है।
आरएफआडी से दिल्ली को क्या-क्या फायदे होंगे?
सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरनमेंट (सीएसई) द्वारा तैयार एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली की सड़कों को घेर रहे वाहनों में 50.11 फीसद हिस्सा अकेले ट्रकों का ही है। इसी प्रकार टैक्सियों सहित अन्य व्यावसायिक वाहन भी सड़कों पर काफी मात्रा में हैं। यह सभी सड़कों पर न सिर्फ वाहनों का दबाव बढ़ाते हैं बल्कि जाम का कारण भी बनते हैं। ओवरलोड वाहन कहीं ज्यादा धुंआ छोड़ते हैं। आबोहवा को प्रदूषित करते हैं, सो अलग। प्रदूषक तत्व 2.5 में भी 30 फीसद से ज्यादा पार्टिकुलेट व्यावसायिक वाहनों का ही होता है। आरएफआइडी लागू होने के बाद इन वाहनों को टोल गेट पर रूकने की नौबत नहीं आएगी। इससे ईंधन भी नहीं जलेगा और वाहनों की लंबी कतारें भी नहीं लगेंगी। यानि प्रदूषण भी कम होगा और जाम भी।
क्या यह व्यवस्था अन्य राज्यों से दिल्ली आने वाली डीजल चालित बसों पर भी लागू होगी क्योंकि प्रदूषण तो वह भी बहुत फैलाती हैं?
फिलहाल इस व्यवस्था में केवल ट्रकों, टैक्सियों इत्यादि व्यावसायिक वाहनों को ही शामिल किया गया है। बीच बीच में समीक्षा बैठक की जाएंगी और इससे पड़ने वाले सकारात्मक प्रभाव का भी आंकलन होगा। इसी के अनुरूप अगले चरण में बसों को भी शामिल कर लिया जाएगा।
क्या यह योजना वाकई प्रभावी साबित होगी?
बिल्कुल, यह योजना प्रभावी साबित होगी। यह दिल्ली की सेहत के लिए ही नहीं बल्कि अपराध रोकने में भी खासी मददगार साबित होगी। पुलिस को जिस नंबर के ट्रक या टैक्सी की किसी सड़क दुर्घटना या अन्य अापराधिक मामले की तलाश होगी, उसे टोल पर ही पकड़ लिया जाएगा। इसी तरह यातायात पुलिस को यातायात प्रबंधन में भी काफी मदद मिलेगी। सबसे बड़ी बात यह कि टोल गेटों पर हो रहे अपराध भी रूकेंगे। चाहे वह कैश लूटने से संबंधित हो और चाहे टोल कलेक्शन को लेकर आए दिन होने वाले झगड़ों को लेकर। सारी व्यवस्था बहुत ही सुगम हो जाएगी।
फिलहाल आरएफआइडी कितने टोल गेटों पर शुरू होने जा रही है?
फिलहाल आरएफआइडी 13 प्रमुख टोल गेटों आया नगर, टिकरी, कापसहेड़ा, बदरपुर फरीदाबाद मेन,
बदरपुर सराई, शाहदरा फ्लाइओवर, डीएनडी फ्लाइओवर, रजोकरी, कुंडली, गाजीपुर मेन, गाजीपुर ओल्ड, केजीटी कुंडली और शाहदरा मेन पर लगाया गया है। 85 फीसद व्यावसायिक वाहनों का दिल्ली में प्रवेश इन्हीं जगहों से होता है। इस व्यवस्था में ट्रकों को पहले ही एक टैग लगा दिया जाता है, जिससे उन्हें बैरियर पर रुकने की जरूरत नहीं रहती और उनका कर ऑनलाइन कट जाता है।