मारपीट के कारण पांच अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टरों ने की हड़ताल
अस्पतालों की इमरजेंसी में मारपीट की घटनाएं रुक नहीं रही। इस वजह से अस्पतालों में हड़ताल भी सामान्य बात हो गई है। सोमवार को भी ऐसा ही हुआ। दो अस्पतालों की इमरजेंसी में रेजिडेंट डॉक्टरों से मारपीट के कारण दिल्ली सरकार के पांच अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टरों ने सुरक्षा बढ़ाए जाने की मांग को लेकर हड़ताल कर दी। इस वजह से इन अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाएं ठप हो गई। ओपीडी व इमरजेंसी वार्ड पूरी तरह बंद रहे। अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचे 13 हजार से ज्यादा मरीज इलाज के बगैर वापस लौटा दिए गए। वहीं करीब 211 मरीजों की सर्जरी टाल दी गई। हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने सक्रियता दिखाते हुए लोकनायक अस्पताल में जल्द 4
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली :
सोमवार को दिल्ली सरकार के दो अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टरों के साथ मारपीट की घटनाएं हुई। इसके बाद पांच सरकारी अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टरों ने उनकी सुरक्षा बढ़ाए जाने की मांग को लेकर हड़ताल कर दी। मारपीट की पहली घटना मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज (एमएएमसी) से जुड़े लोकनायक अस्पताल की है, जहां एक हृदयरोगी की मौत होने के बाद परिजनों ने एक रेजिडेंट डॉक्टर के साथ मारपीट की। इस घटना के विरोध में मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज (एमएएमसी) से जुड़े लोकनायक अस्पताल के साथ ही जीबी पंत अस्पताल, गुरु नानक नेत्रालय व सुश्रुत ट्रॉमा सेंटर में भी रेजिडेंट डॉक्टर्स ने हड़ताल कर दी।
इसके अलावा बाहरी दिल्ली के महर्षि वाल्मीकि अस्पताल में भी एक डॉक्टर से मारपीट के कारण डॉक्टर हड़ताल पर रहे। इन अस्पतालों में ओपीडी व इमरजेंसी में रोजाना 13 हजार से ज्यादा मरीज पहुंचते हैं। लेकिन हड़ताल के चलते मरीजों को भटकना पड़ा। इसके अलावा करीब 211 मरीजों की सर्जरी भी टाल दी गई।
एमएएमसी के अस्पतालों में हड़ताल खत्म : स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले में सक्रियता दिखाते हुए लोकनायक अस्पताल में जल्द 48 बाउंसर तैनात करने का निर्देश दिए। अस्पताल प्रशासन ने भी तुरंत बाउंसरों की तैनाती शुरू कर दी है। इसके बाद डॉक्टरों ने शाम को हड़ताल वापस ले ली।
गंभीर मरीजों का इलाज भी नहीं किया : यकीनन, डॉक्टरों के साथ मारपीट की घटनाएं निंदनीय हैं, लेकिन पेशेवर संवेदनशीलता को ताक पर रख इन अस्पतालों में हृदय व न्यूरो से संबंधित गंभीर मरीजों को भर्ती नहीं किया गया। वहीं सुश्रुत ट्रॉमा सेंटर में हादसा पीड़ितों का भी इलाज नहीं किया गया। मरीज एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में भटकने को मजबूर हुए। हड़ताल के दौरान ज्यादातर ओपीडी खाली थे। वरिष्ठ चिकित्सक भी ओपीडी में नहीं पहुंचे। इस पर अस्पताल के निदेशक डॉ. किशोर सिंह ने कहा कि ज्यादातर वरिष्ठ चिकित्सक अस्पताल में भर्ती मरीजों की देखभाल सुनिश्चित कर रहे थे। इसके अलावा गायनी इमरजेंसी भी बंद नहीं किया गया। प्रतिदिन औसतन मरीजों की संख्या व सर्जरी के आंकड़े
अस्पताल ओपीडी सर्जरी इमरजेंसी
लोकनायक 8,000 100 895
जीबी पंत 2,500 65 70
गुरु नानक नेत्रालय 1,060 40 33
महर्षि वाल्मीकि 240 6 380
कुल-- 11,800 211 1378