भूजल दोहन करने वाले 19 बिल्डरों पर लगेगा जुर्माना -Noida News
एनजीटी से हरी झंडी मिलने पर पूर्व में भूजल दोहन के आरोपित 19 बिल्डरों से लाखों रुपये का जुर्माना वसूले जाने की संभावना है।
नोएडा, (सुरेंद्र राम)। भूजल दोहन करने पर बिल्डरों-औद्योगिक संस्थानों को भारी भरकम जुर्माना चुकाना पड़ सकता है। अभी तक इस तरह का प्रावधान नहीं होने की वजह से यह मनमानी कर रहे थे। इससे दिल्ली-एनसीआर समेत कई राज्यों का भूजल स्तर खतरनाक स्थिति में पहुंच चुका है। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के निर्देश पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने एक रिपोर्ट तैयार की है।
इसमें जुर्माने का प्रावधान किया गया है। दो साल पहले दर्ज हुए केस में 26 जून को सीपीसीबी ने जांच रिपोर्ट एनजीटी को सौंप दी है। एनजीटी से हरी झंडी मिलते ही भूजल दोहन के आरोपित 19 बिल्डरों से जुर्माना वसूला जाएगा।
शहर में 19 बिल्डरों पर है भूजल दोहन का आरोप
सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड व सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की टीम ने पर्यावरणविद विक्रांत तोंगड़ की शिकायत पर वर्ष 2015 से 2019 के बीच पूरे होने वाली बिल्डर परियोजनाओं का दो साल पहले निरीक्षण किया था। इसमें 19 बिल्डर परियोजनाओं में भूजल का दोहन पाया गया। नियमानुसार निर्माण कार्य में (सीवरेज ट्रीटमेंट प्लान) एसटीपी या प्रशासन से अनुमति लेकर लगाए गए ट्यूबबेल या बोरवेल का पानी इस्तेमाल किया जाना था।
इस संबंध में बिल्डरों ने नोएडा प्राधिकरण को गोलमोल जवाब दिया है। ज्यादातर बिल्डरों ने एसटीपी का पानी इस्तेमाल करने का दावा तो किया, लेकिन उन्होंने किस एसटीपी से कितना पानी किस कंपनी के टैंकर के जरिये लेकर इस्तेमाल किया, इसका जवाब नहीं दिया। इन बिल्डरों ने नहीं दिए थे संतोषजनक जवाब जांच के दौरान कैपिटल सिटी, वेब सिटी सेंटर, आम्रपाली ग्रुप का सिलिकॉन सिटी, क्रिस्टल होम व प्रिंसले, क्रिस्टेरिया एसोटेक बिजनेस सेंटर, टुडे राइड रेजिडेंसी, सुपरटेक सुपरनोवा, सनसाइन ट्रेड टॉवर, सिक्का केजी वन, थ्री सी, डब्ल्यूटीटी, थ्री सी यूनिवर्सल, जेपी विश टॉउन, जेसी वर्ल्ड हास्पिटलिटी, ब्लोबस आइस्ले, सफायर, गार्डेनिया ग्रुप व सुपरटेक केप टॉउन ने संतोषजनक जवाब नहीं दिया था।
लाखों रुपये लग सकता है जुर्माना
पर्यावरणविद विक्रांत तोंगड़ ने बताया कि इंस्टीट्यूट या उद्योग में पीने के पानी की बर्बादी होने पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगेगा। बिना अनुमति पानी की पैकेजिंग करने, खनन, निर्माण में पानी का इस्तेमाल करने या डी-वॉटरिंग करने पर एक लाख रुपये जुर्माना देना होगा।
संस्थान यह साक्ष्य नहीं दे पाता कि वह कितने समय से भू-जल दोहन कर रहा है, तब यह माना जाएगा कि वह एक साल से भू-जल बर्बाद कर रहा है। ऐसे में उस पर प्रतिदिन के हिसाब से लाखों रुपये का जुर्माना किया जाएगा।
भूजल दोहन रोकने के लिए बनाई गई कमिटी ने एनजीटी को रिपोर्ट सौंप दिया है। इसमें जुर्माना समेत कई अन्य प्रावधान किए गए हैं। इसके अलावा भी कई कार्य किए जा रहे हैं, जिससे भूजल स्तर को उपर उठाया जा सके।
डीके मार्कण्डेय, सदस्य, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड