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पुराना पहचान पत्र नहीं होने से लोकनायक अस्पताल ने पेट स्कैन जांच से किया इन्कार

दिल्ली सरकार के लोकनायक अस्पताल ने पुराना मतदाता पहचान पत्र नहीं होने पर आंत की बीमारी से पीड़ित मरीज को पेट स्कैन जांच से इंकार कर दिया। उस मरीज के पास नया मतदाता पहचान पत्र मौजूद है। उसने डॉक्टरों को दिल्ला का अपना नया मतदाता पहचान पत्र भी दिखाया पर डॉक्टरों ने यह कहते हुए निजी लैबों में मुफ्त जांच कराने से मना कर दिया कि यह इलाज में मान्य नहीं है। पुराना पहचान पत्र होने पर ही उसकी निशुल्क जांच हो पाएगी। इस वजह से मरीज जांच के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हुआ। जबकि दिल्ली सरकार यहां के मरीजों को निशुल्क जांच उपलब्ध कराने का दावा करती रही है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 18 May 2019 11:17 PM (IST)Updated: Mon, 20 May 2019 06:26 AM (IST)
पुराना पहचान पत्र नहीं होने से लोकनायक अस्पताल ने पेट स्कैन जांच से किया इन्कार
पुराना पहचान पत्र नहीं होने से लोकनायक अस्पताल ने पेट स्कैन जांच से किया इन्कार

-मरीज के पास उपलब्ध है नया मतदाता पहचान पत्र

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-डॉक्टरों ने कहा, निजी लैबों में मुफ्त जांच के लिए नहीं चलेगा

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली :

दिल्ली सरकार के लोकनायक अस्पताल ने पुराना मतदाता पहचान पत्र नहीं होने पर आंत की बीमारी से पीड़ित मरीज को पेट स्कैन जांच से इन्कार कर दिया। उस मरीज के पास नया मतदाता पहचान पत्र मौजूद है। उसने डॉक्टरों को दिल्ला का अपना नया मतदाता पहचान पत्र भी दिखाया पर डॉक्टरों ने यह कहते हुए निजी लैबों में मुफ्त जांच कराने से मना कर दिया कि यह इलाज में मान्य नहीं है। पुराना पहचान पत्र होने पर ही उसकी निशुल्क जांच हो पाएगी। इस वजह से मरीज जांच के लिए दर-दर भटकने को मजबूर है। जबकि दिल्ली सरकार यहां के मरीजों को निशुल्क जांच उपलब्ध कराने का दावा करती रही है।

असल में लोकनायक अस्पताल में पेट स्कैन की सुविधा नहीं है। इसके अलावा दिल्ली सरकार के ज्यादातर अस्पतालों में एमआरआइ, सीटी स्कैन अल्ट्रासाउंड जांच जैसी सुविधा भी उपलब्ध नहीं है। इसलिए दिल्ली सरकार का स्वास्थ्य विभाग निजी लैबों में मरीजों को निशुल्क जांच की सुविधा दी है। इसके लिए दिल्ली का मतदाता पहचान पत्र होना अनिवार्य है। रमेश पार्क के रहने वाले सर्वर (28) ने कहा कि करीब आठ महीने से उसे आंत में परेशानी है। लोकनायक अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है। एक सप्ताह पहले वह अस्पताल गया था तो डॉक्टरों ने पैट स्कैन जांच कराने की सलाह दी। साथ ही निजी लैब में निशुल्क इलाज के लिए उससे मतदाता पहचान पत्र मांगा गया, लेकिन उसके पास जो मतदाता पहचान पत्र है वह इस साल ही बना है। इसलिए उसे जांच कराने से मना कर दिया गया। दिक्कत यह है कि निजी लैबों में पेट स्कैन जांच का शुल्क 18 से 20 हजार रुपये तक है। वह खर्च उठाने में सक्षम नहीं हैं। इसलिए उन्होंने वकील अशोक अग्रवाल से मिलकर मदद की गुहार लगाई। उन्होंने साकेत स्थित एक निजी अस्पताल में निशुल्क जांच कराने का भरोसा दिया है।

इस मामले में अस्पताल के मेडिकल निदेशक डॉ. किशोर सिंह से बात करने की कोशिश की गई पर उनसे बात नहीं हो पाई। वहीं दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सेवाएं महानिदेशालय के महानिदेशक डॉ. अशोक कुमार ने कहा कि यह अस्पताल से जुड़ा मामला है। इसलिए वह इस संबंध में कुछ नहीं कह सकते।

दिसंबर 2017 तक बना मतदाता पहचान पत्र ही इलाज में मान्य

महानिदेशालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि निजी लैबों में निशुल्क जांच के लिए दिसंबर 2017 तक बने मतदाता पहचान पत्र ही मान्य हैं। इसके बाद बने मतदाता पहचान पत्र अभी इलाज के लिए मान्य नहीं हैं। इस नियम में बदलाव किया जाएगा।


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