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देश के करोड़ों हृदय रोगियों के लिए बड़ी खुशखबरी, बिना सर्जरी बदल जाएगा वॉल्व

डॉक्टर कहते हैं कि इन तकनीकों के इस्तेमाल से आने वाले दिनों में हृदय की बीमारियों के इलाज का तरीका बदल जाएगा। वाल्व बदलने के लिए मरीज सर्जरी से बच सकेंगे।

By Edited By: Published: Thu, 16 May 2019 10:46 PM (IST)Updated: Sun, 19 May 2019 04:33 PM (IST)
देश के करोड़ों हृदय रोगियों के लिए बड़ी खुशखबरी, बिना सर्जरी बदल जाएगा वॉल्व
देश के करोड़ों हृदय रोगियों के लिए बड़ी खुशखबरी, बिना सर्जरी बदल जाएगा वॉल्व

नई दिल्ली, जेएनएन। हृदय का वाल्व खराब होने पर सामान्य तौर पर ओपन सर्जरी कर वाल्व बदला जाता है, लेकिन अब देश में भी ऐसी तकनीक उपलब्ध हो गई है जिससे सर्जरी के बगैर वाल्व बदला जा रहा है। बृहस्पतिवार को अपोलो अस्पताल के डॉक्टरों ने यह जानकारी दी। इस दौरान डॉक्टरों ने तीन नई तकनीकों का जिक्र किया है। डॉक्टर कहते हैं कि इन तकनीकों के इस्तेमाल से आने वाले दिनों में हृदय की बीमारियों के इलाज का तरीका बदल जाएगा। इतना ही नहीं बाईपास सर्जरी के लिए भी बड़ा चीरा लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सिर्फ दो इंच का छोटा चीरा लगाकर बाईपास सर्जरी की सुविधा हो गई है।

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इस दौरान अपोलो के चेयरमैन डॉ. प्रताप सी रेड्डी ने कहा कि देश में हृदय की बीमारियों से सबसे अधिक मौत होती हैं। हृदय की बीमारियों के इलाज की अत्याधुनिक सुविधाएं देश में ही उपलब्ध हो गई हैं। अस्पताल के डॉ. सेनगोटुवेलु ने कहा कि ट्रांसकैथेटर आर्योटिक वॉल्स रिप्लेसमेंट (टीएवीआर) तकनीक से चीरा लगाए बगैर खराब हो चुके वाल्व को बदला जा सकता है।

उन्होंने कहा कि बुजुर्ग के हृदय का वाल्व खराब होने पर सर्जरी करना जोखिम भरा होता है, इसलिए कई परिवारों के लोग सर्जरी का जोखिम उठाने को तैयार नहीं होते। इस तकनीक से एक कैथेटर के माध्यम से मरीज के हृदय तक पहुंचकर वाल्व इंप्लांट कर दिया जाता है, जिससे हृदय में ब्लड का प्रवाह सामान्य होने लगता है। इस प्रक्रिया के एक दिन बाद ही मरीज अपने घर जा सकता है। इसी तरह मित्राक्लिप से मिट्रल वाल्व के रिसाव को भी ठीक किया जा सकता है। देश के चुनिंदा अस्पतालों में ही इसकी सुविधा है।

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