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देश के इस जिले में हर घर का होगा 'आधार' नंबर, जानिए- लोगों को होगा क्या फायदा

गाजियाबाद में अब हर घर को यूनीक नंबर जिया जाएगा। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि हर घर को टैक्स के दायरे में लाना सुनिश्चित किया जा सके।

By Ayushi TyagiEdited By: Published: Sun, 12 May 2019 12:12 PM (IST)Updated: Mon, 13 May 2019 08:12 AM (IST)
देश के इस जिले में हर घर का होगा 'आधार' नंबर, जानिए- लोगों को होगा क्या फायदा
देश के इस जिले में हर घर का होगा 'आधार' नंबर, जानिए- लोगों को होगा क्या फायदा

गाजियाबाद [आशीष गुप्ता]। गाजियाबाद में अब हर घर का ‘आधार’ बनेगा। प्रत्येक घर को नए यूनीक नंबर के साथ बारकोड दिया जाएगा, जो भवन के नंबर प्लेट पर अंकित होगा। नगर निगम के फायदे के लिए फिलहाल ऐसा किया जा रहा है, ताकि हर घर को टैक्स के दायरे में लाना सुनिश्चित किया जा सके। एक सप्ताह के भीतर कौशांबी से जीआइएस (ज्योग्राफिक इन्फॉर्मेशन सिस्टम) सर्वे शुरू होगा। शासन ने रीजनल सेंटर फॉर अर्बन एंड एनवायर्नमेंटल स्टडीज (आरसीयूएएस) को इसकी जिम्मेदारी दी है। नगर निगम अधिकारियों की मानें तो एक से डेढ़ लाख घर टैक्स के दायरे से बाहर हैं। वे निगम की सुविधाएं पूरी लेते हैं, लेकिन कीमत नहीं चुकाते हैं।

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भविष्य में इसका लाभ सभी सरकारी विभागों को मिलेगा। अब विभाग इसी बारकोड से घर संबंधी जानकारी जुटाएंगे। उन्हें दरवाजा खटखटाकर घरवालों को परेशान करने की जरूरत नहीं होगी।  जियो टैगिंग सर्वे शुरू होने से पहले संपूर्ण निगम क्षेत्र का नक्शा लिया गया है। जोनवार और वाडरें के नक्शे भी लिए गए हैं। इसके अलावा मुहल्लों के नक्शे जुटाए जा रहे हैं।

नगर निगम के राजस्व निरीक्षकों को मुहल्लों के नक्शे बनाने की जिम्मेदारी दी गई है। वसुंधरा जोन के मुहल्लों का नक्शा पहले से तैयार है। मोहननगर, कविनगर, सिटी और वियजनगर जोन के नक्शे बनाने का काम चल रहा है। नक्शे जुटाने के बाद निगम क्षेत्र के सेटेलाइट मैप बनाया जाएगा। सभी तरह के नक्शों को उस पर इंपोज कर घरों को जियो टैग किया जाएगा। भविष्य में लोगों को गाजियाबाद में किसी का घर तलाशने की जरूरत नहीं होगी। एक एप्लीकेशन तैयार की जाएगी जिसकी मदद से अधिकारी प्रत्येक घर से संबंधित जानकारी ले सकते हैं।

ये जानकारियां होंगी फीड
बारकोड में कोई भी गोपनीय जानकारी नहीं होगी। केवल भूखंड का क्षेत्रफल, कवर्ड एरिया, गृह स्वामी का नाम, घर का वार्षिक किराया मूल्य (एआरवी), बिजली कनेक्शन नंबर, घर की तस्वीर, उसका यूनीक नंबर और कुछ अन्य जानकारियां फीड की जाएंगी। ज्यादातर जानकारियां सरकारी विभागों के उपयोग की होंगी। इसके लिए नगर निगम से हाउस टैक्स, सीवर टैक्स और वाटर टैक्स का डेटा लिया गया है। विद्युत निगम से बिजली कनेक्शनों का ब्योरा ले लिया गया है।  

ऐसे होगा सर्वे
सर्वे की जिम्मेदारी दो फर्मों को दी है। आरसीयूएएस के अपर निदेशक एके गुप्ता ने नगर आयुक्त को इस बारे में पत्र भेजा है। इन फर्मों के कर्मचारी डोर-टू-डोर जाएंगे। सर्वे शुरू करने से पहले नगर निगम कंपनी का नाम अपने माध्यम से सार्वजनिक करेगी, ताकि सर्वे के दौरान कोई परेशानी न आए।

संजीव कुमार सिन्हा (मुख्य कर निर्धारण अधिकारी, नगर निगम गाजियाबाद) ने कहा कि गृह स्वामी को सर्वे कर्मचारी को आधार कार्ड, पैन कार्ड (वैकल्पिक), बिजली बिल, हाउस टैक्स बिल दिखाना होगा। कर्मचारी वहीं से सभी जानकारी एप्लीकेशन में फीड करेंगे। घर का फोटो खींचेंगे। उसे जियो टैग करेंगे। दो वर्ष में सर्वे पूरा करना है। उन्होंने कहा कि निगम के जोन वसुंधरा, सिटी, कविनगर, मोहननगर, विजयनगर कौशांबी से जीआइएस सर्वे की शुरुआत की जाएगी। केंद्र और राज्य सरकार मिलकर सर्वे करा रही है। नगर निगम को उसमें सहयोग करना है। यह अच्छा कार्य है। इससे निगम के साथ कई विभागों को फायदा होगा।

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