जानिए- गुरुग्राम के इस रेस्तरां के बारे में, जहां ड्रिंक के रूप में मिलता है चरणामृत
इस रेस्तरां की एक खासियत यह भी है कि यहां पर पांच से अधिक मसाले किसी भी डिश में नहीं होते और यहां आज भी सिल-बट्टे पर चटनी पीसी जाती है।
नई दिल्ली [प्रियंका दुबे मेहता]। स्वीट बन-मस्का के लिए दोस्तों संग लड़ना-झगड़ना, कभी चाय- मट्ठी की पार्टी तो कभी पाव- भाजी संग हंसी-ठहाके, रेहड़ी वाले के मिनी समोसे के लिए घंटे भर की दूरी तय कर चले जाना...बचपन का स्वाद आज भी स्वाद ग्रंथियों को कुछ इस कदर जगा देता है...यादगार रहता है कि मन एक बार फिर उसी जायके के लिए मचल उठता है। अगर आप भी उस स्वाद को मिस कर रहे हैं तो गुरुग्राम के गोल्फ कोर्स रोड के सेंट्रल प्लाजा मॉल स्थित जोरैंबो रेस्तरां जरूर जाएं। यहां मद्धम संगीत और खूबसूरत इंटीरियर के बीच बचपन वाला वही स्वाद चखने को मिलेगा।
सिल-बट्टे की चटनी का सुस्वाद
ग्राहकों को देसी खाने का पारंपरिक स्वाद मिल सके इसके लिए यहां आज भी सिल-बट्टे पर चटनी पीसी जाती है। इसके अलावा कुछ देसी जायकों को विदेशी ट्विस्ट भी दिया गया है। रेस्त्रां संस्थापक सुनील असवाल कहते हैं कि इस रेस्त्रां को बनाने के पीछे हमारी सोच यही थी कि ग्राहकों को यहां पर हाइजीन के साथ बचपन का वही स्वाद चखाया जाए। यहां उस दौर का टेस्ट रि-क्रिएट करने की कोशिश की गई है, जब कूटने-पीसने तक के सभी काम हाथ से हुआ करते थे।
बचपन के रेहड़ी वाले स्वाद
यहां पनीर कुरकुरे की हर बाइट में ताजा पनीर का स्वाद ले सकेंगे, वहीं छोले-कुल्चे का सैंडविच अवतार भी है, जिसमें छोले-कुल्चों के बीच सैंडविच कर दिए जाते हैं। इसके अलावा पंच मट्ठी जो देसी घी में तली और देसी अंदाज में बनाई जाती है, ओएमजी समोसा और चिकन कुरकुरे का लाजवाब स्वाद बचपन की गलियों की सैर करवाती हैं।
ड्रिंक में चरणामृत का स्वाद
क्या आपने कभी किसी रेस्तरां में चरणामृत वाली ड्रिंक देखी हैं? हां, घर में पूजा पाठ के बाद प्रसाद के साथ ये परंपरा जरूर देखी होगी। लेकिन यहां इस रेस्त्रां में चरणामृत का स्वाद भी ले पाएंगे। चरणामृत का स्वाद देने वाले ड्रिंक को बेसिल मिंट स्मूदी का नाम दिया गया है। इसमें तुलसी से लेकर पंचामृत की हर सामग्री मिली होती है। इसके अलावा यहां ‘चाय पर चर्चा’ मेन्यू के तहत आठ प्रकार की चाय एक विशेष प्रकार का अरोमा देती है, जिससे मन-मष्तिष्क खिल उठता है। लद्दाखी स्टाइल में नेपाली ग्रीन टी परोसी जाती है। लद्दाख में हर टेबल पर हनी, पुदीना और जिंजर रखा होता है, ठीक उसी प्रकार से यहां भी चाय में इन तीनों चीजों को मिलाया जाता है।
पांच मसालों का संगम
इस रेस्त्रां की एक खासियत यह भी है कि यहां पर पांच से अधिक मसाले किसी भी डिश में नहीं होते। यहां के मेन्यू क्यूरेटर अशोक का कहना है कि ज्यादा मसाले स्वाद को खराब कर सकते हैं। इसलिए हाथ के पिसे मसालों को एक अनुपात में डाला जाता है जिससे खाने में हर मसाले का अलग से स्वाद आता है।
एंबियंस का जादू
यहां पर रखे सोफे अलगअलग रंगों में होने के कारण र्सूंदग फील देते हैं। इसके अलावा मधुबनी र्पेंटग्स से सजे बल्ब होल्डर और बुक शेल्फ विशेष आकर्षण है। अगर आप पढ़ने के शौकीन हैं तो हिंदी व अंग्रेजी की किताबें घंटों बैठकर पढ़ सकते हैं। इसके प्रथम तल पर बने को-वर्किंग स्पेस का एंबियंस इससे बिल्कुल अलग व शांत है।
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