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UPSC में पास हुए शाहिद ने दिया मदरसों को लेकर ऐसा बयान, जीत लिया लोगों का दिल

जेएनयू से पीएचडी कर रहे शाहिद रज़ा ख़ान के परिवार में 7 भाई और 4 बहनें हैं जिन्होंने उनकी कामयाबी और मुश्किल दिनों और हालात में बराबर साथ दिया।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 22 Apr 2019 08:50 AM (IST)Updated: Tue, 23 Apr 2019 04:59 AM (IST)
UPSC में पास हुए शाहिद ने दिया मदरसों को लेकर ऐसा बयान, जीत लिया लोगों का दिल
UPSC में पास हुए शाहिद ने दिया मदरसों को लेकर ऐसा बयान, जीत लिया लोगों का दिल

नई दिल्ली, एएनआइ। संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission) की परीक्षा में 751वीं रैंक हासिल करने वाले शाहिद रज़ा ख़ान का संघर्ष और उनकी राय उन्हें अन्य सफल उम्मीदवारों से अलग करती है। दरअसल, शाहिद ने मदरसे से अपनी शिक्षा हासिल की है। मूलरूप से बिहार के गया जिले के रहने वाले शाहिद के मुताबिक, उन्होंने अपनी प्रारंक्षिक शिक्षा अपने गांव में ही हासिल की। इसके बाद उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले का रुख किया और यहां पर मुबारकपुर इलाके में स्थित अल जमैतुल अशर्फिया से उच्च शिक्षा पाई और फिलहाल मैं दिल्ली की जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर रहा हूं।  उनके परिवार में 7 भाई और 4 बहनें हैं जिन्होंने उनकी कामयाबी और मुश्किल दिनों और हालात में बराबर साथ दिया। 

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बिहार में गया के अमीनाबाद गांव से आने वाले शाहिद रज़ा अपनी कामयाबी के पीछे अपने पूरे परिवार का हाथ मानते हैं। शाहिद ने अपनी कामयाबी को लेकर कहा कि सिविल सर्विस के लिए मेरी मां प्रेरणस्रोत रहीं और वह भी मदरसे में पढ़ाई के दौरान। मैं जो पढ़ना और करना चाहूं, इस बात के लिए मेरी मां ने हमेशा ही मेरा समर्थन किया। उन्होंने कहा कि कोई भी मदरसा, मस्जिद या धर्म रूढ़ नहीं होना चाहिए। कोई भी धर्म हो वह हमें इसांनियत का ही पाठ पढ़ाता है और मैं भी अपने जीवन में यही करूंगा, लोगों को भी इंसानियत और मनुष्यता का पाठ पढ़ाऊंगा।

यहां पर जानकारी दें दे कि सिविल सर्विसेज की परीक्षा में 751वीं रैंक पाने वाले शाहिद ने 2011 में जेएनयू में अरबी भाषा पढ़ने के लिए बीए में दाखिला था। बीए के बाद एमए भी यहीं से किया। इसके बाद स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज से एम-फिल के बाद अभी जेएनयू से ही पीएचडी भी कर रहे हैं। साथियों की मानें तो बिहार बोर्ड से मैट्रिक पास करने के बाद मदरसे में शिक्षा पाने वाले शाहिद गजलें भी लिखते हैं। 

 

गौरतलब है कि पिछले दिनों संघ लोकसेवा आयोग ने सिविल सेवा की फाइनल परीक्षा का परिणाम घोषित किया। इसमें बांबे आइआइटी से बी. टेक कनिष्क कटारिया ने टॉप किया है, जबकि सृष्टि जयंत देशमुख महिलाओं में अव्वल आई हैं। वैसे ओवर ऑल में उनकी पांचवीं रैंक है।

यूपीएससी की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि आयोग ने आइएएस, आइपीएस, आइएफएस जैसी सेवाओं में नियुक्ति के लिए कुल 759 (577 पुरुष तथा 182 महिला) उम्मीदवारों के नामों की सिफारिश की है। अनुसूचित जाति से आने वाले कटारिया ने कंप्यूटर साइंस में बी. टेक किया है। महिलाओं में शीर्ष आने वाली देशमुख, राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, भोपाल से केमिकल इंजीनियरिंग में बी.ई हैं। सिविल सेवा (प्रारंभिक) परीक्षा तीन जून 2018 को आयोजित की गई थी।

इस परीक्षा के लिए कुल 10,65,552 उम्मीदवारों ने आवेदन सौंपा था। इनमें से कुल 4,93,972 ही परीक्षा में शामिल हुए। लिखित (मुख्य) परीक्षा के लिए कुल 10,468 उम्मीदवार सफल हुए थे। यह परीक्षा सितंबर-अक्टूबर 2018 में ली गई थी। व्यक्तित्व जांच के लिए कुल 1994 उम्मीदवार चुने गए थे।

फरवरी-मार्च 2019 में व्यक्तित्व जांच आयोजित की गई। शीर्ष 25 उम्मीदवारों में 15 पुरुष और 10 महिलाएं हैं। जिन उम्मीदवारों की अनुसंशा की गई है उनमें 36 दिव्यांग हैं। दूसरे स्थान पर आने वाले अक्षत जैन आइआइटी गुवाहाटी से इंजीनियरिंग में स्नातक हैं। 

ये हैं टॉपर
1. कनिष्क कटारिया
2. अक्षत जैन
3. जुनैद अहमद
4. श्रेयांस कुमात
5. सृष्टि जयंत देशमुख
6. शुभम गुप्ता
7. कर्नाटी वरूणरेड्डी
8. वैशाली सिंह
9. गुंजन द्विवेदी
10. तन्मय वशिष्ठ शर्मा

759 का परिणाम घोषित
बता दें कि संघ लोक सेवा आयोग की ओर से यह परीक्षा नौकरशाही के उच्च पदों के लिए आयोजित की जाती है। संघ लोक सेवा आयोग की ओर से सितंबर-अक्टूबर 2018 में लिखित परीक्षा आयोजित की गई थी। 

संघ लोक सेवा आयोग की ओर से इस बार कुल 759 उम्मीदवारों ((577 पुरुष और 182 महिलाएं) के परिणाम घोषित किए गए हैं। इसमें सामान्य श्रेणी के 361, अन्य पिछड़े वर्गों से 209, अनुसूचित जाति के 128, अनुसूचित जनजाति के 61 उम्मीदवार शामिल हैं। इन उम्मीदवारों में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस), भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) के अलावा केंद्रीय सेवाओं की प्रथम और द्वितीय श्रेणी के उम्मीदवार शामिल हैं।

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