अवैध निर्माण के खिलाफ होगी बड़ी कार्रवाई, ढहाई जाएंगी यमुना के ओ जोन में बनीं सभी इमारतें
दिल्ली में मृतप्राय हो चुकी यमुना के आसपास के रेतीले क्षेत्र में धड़ल्ले से अवैध इमारतें खड़ी होती जा रही हैं।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। यमुना खादर और आसपास के ओ जोन क्षेत्र में बनी सभी इमारतों पर पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण एवं संरक्षण प्राधिकरण (ईपीसीए) ने कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। ईपीसीए ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) से न केवल ऐसी सभी इमारतों की सर्वे रिपोर्ट मांगी है, बल्कि इन सभी को ढहाने की भी तैयारी कर ली है।
गौरतलब है कि दिल्ली में मृतप्राय हो चुकी यमुना के आसपास के रेतीले क्षेत्र में धड़ल्ले से अवैध इमारतें खड़ी होती जा रही हैं। ये यमुना खादर में घटते भूजल स्तर के लिए तो बड़ा खतरा हैं ही, ढांचागत मजबूती के लिहाज से भी खतरनाक हैं।
जानकारी के मुताबिक दिल्ली में यमुना का ओ जोन तीन हिस्सों में करीब 9700 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है। पहला हिस्सा उत्तरी क्षेत्र में पल्ला से वजीराबाद बैराज तक 26 किलोमीटर, दूसरा हिस्सा मध्य क्षेत्र में वजीराबाद से ओखला बैराज तक 22 किलोमीटर जबकि तीसरा हिस्सा दक्षिणी क्षेत्र में ओखला बैराज से जैतपुर गांव तक चार किलोमीटर में फैला है। ज्यादातर जगहों में बड़े पैमाने पर अतिक्रमण और अवैध निर्माण देखने को मिलता है।
इन क्षेत्रों में बनीं सभी इमारतें अवैध हैं। हालांकि कुछ दिन पूर्व ईपीसीए के निर्देश पर डीडीए ने इस दिशा में एक अभियान चलाया भी था, लेकिन झुग्गियां वगैरह हटाकर ही अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली। बड़ी-बड़ी इमारतों पर कार्रवाई करने की जहमत ही नहीं उठाई।
ईपीसीए ने डीडीए की इस पिक एंड चूज नीति पर सवाल खड़े करते हुए डीडीए को कड़ी फटकार लगाई है। साथ ही डीडीए की एक टीम को अपने कार्यालय में बुलाकर ओ जोन में बनीं तमाम इमारतों की सर्वे रिपोर्ट उपलब्ध कराने को कहा है। यही नहीं, सुप्रीम कोर्ट में भी ईपीसीए ने डीडीए की लापरवाही पर अपनी रिपोर्ट दे दी है।
वहीं ईपीसीए के अध्यक्ष भूरेलाल ने बताया कि यमुना तो दिल्ली में दम तोड़ ही रही है, सरकारी लापरवाही से यमुना खादर में भूजल का स्तर भी लगातार नीचे जा रहा है। भूजल स्तर को बचाने और कमजोर नींव वाली इन इमारतों से संभावित नुकसान रोकने के लिए यमुना के समीपवर्ती क्षेत्र को अतिक्रमण एवं अवैध निर्माण से मुक्त करना अत्यंत आवश्यक है।