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सामाजिक चेतना और पुलिस की सक्रियता से ही महिला सुरक्षा संभव

तमाम प्रयासों के बाद भी महिला सुरक्षा की स्थिति में कोई बदलाव देखने को नहीं मिल रहा है। घर के बाहर महिलाओं की सुरक्षा पर तमाम सवाल उठ रहे हैं। हालत यह है कि राजधानी में प्रत्येक दिन छह युवतियां महिलाएं और बच्चियों दुष्कर्म का शिकार हो रही हैं। महिलाओं के प्रति लगातार बढ़ रहे अपराध न्याय मिलने में होने वाली देरी और पुलिस की कार्यप्रणाली को कठघरे में खड़े करते हुए दिल्ली महिला आयोग ने 13 दिन की महिला सुरक्षा पदयात्रा शुरू की है। इस पदयात्रा के जरिए न सिर्फ लोगों को जागरूक करने का कार्य किया जाएगा बल्कि सिस्टम को भी खटखटाया जाएगा। दिल्ली महिला आयोग द्वारा अब तक किए गए कार्य और इस पदयात्रा की उपयोगिता जरूरत और उद्देश्य को लेकर दैनिक जागरण के वरिष्ठ संवाददाता लोकेश चौहान ने दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वामति मालीवाल ने विशेष बातचीत की। प्रस्तुत हैं उसके कुछ मुख्य अंश

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 Feb 2019 10:23 PM (IST)Updated: Sun, 24 Feb 2019 10:23 PM (IST)
सामाजिक चेतना और पुलिस की सक्रियता से ही महिला सुरक्षा संभव
सामाजिक चेतना और पुलिस की सक्रियता से ही महिला सुरक्षा संभव

तमाम प्रयासों के बाद भी महिला सुरक्षा सुनिश्चित नहीं हो पाई है। घर की चारदीवारी के अंदर और बाहर दोनों ही जगहों पर महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। यहां तक कि राष्ट्रीय राजधानी भी महिलाओं को सुरक्षा का अहसास नहीं दिला पा रही। हालत यह है कि दिल्ली में प्रत्येक दिन छह युवतियां, महिलाएं और बच्चियां दुष्कर्म का शिकार हो रही हैं। दिल्ली महिला आयोग ने इस दिशा में सरकार व दिल्ली पुलिस का ध्यान आकृष्ट कराने और आम लोगों को जागरूक करने के लिए रविवार से 13 दिनों की पदयात्रा शुरू की है। महिला सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए आयोग क्या प्रयास कर रहा है और क्या-क्या होने चाहिए, जैसे सवालों के साथ दैनिक जागरण के वरिष्ठ संवाददाता लोकेश चौहान ने दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति जय¨हद से विशेष बातचीत की। प्रस्तुत हैं प्रमुख अंश :

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प्रश्न : महिला सुरक्षा की दिशा में पदयात्रा कैसे कारगर होगी?

- एसी कमरों में बैठकर महिला सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जा सकती। इसके लिए गली-मोहल्लों में जाकर हालात जानने होंगे, दिल्ली के कोने-कोने में जाना होगा, और लोगों को इस दिशा में जागरूक करना होगा। अप्रैल 2018 में मैंने छोटी बच्चियों के दुष्कर्मियों को छह माह में फांसी दिलाने के लिए अनशन किया था। अनशन के दसवें दिन केंद्र सरकार ने बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने वालों के लिए फांसी की सजा का प्रावधान किया था। अनशन के दौरान केंद्र सरकार ने आश्वासन दिया था कि कानून बनने के बाद इसे ठीक से लागू कराया जाएगा, लेकिन, दस माह बाद भी दिल्ली में पुलिस की जवाबदेही तय नहीं की गई। फास्ट ट्रैक कोर्ट को सुदृढ करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया। हालत यह है कि निर्भया की मां तक अभी भी न्याय के लिए ठोकरें खा रही हैं। महिला सुरक्षा को लेकर लापरवाह सरकार को चेताने के साथ ही आम लोगों को जागृत करने का काम भी यह पदयात्रा करेगी।

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प्रश्न : सरकार को चेताना तो ठीक है, लेकिन क्या आपको लगता है इस एक पदयात्रा से सामाजिक चेतना आ जाएगी?

- वह हर व्यक्ति जो महिलाओं का सम्मान करता है, किसी बच्ची के साथ द¨रदगी होने पर उसका खून खौलता है। वह व्यक्ति महिला सुरक्षा के लिए किए जा रहे प्रयासों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ा रहता है। हर व्यक्ति के दिल के अंदर ऐसी ही भावना जगानी है कि वह महिलाओं का सम्मान करे। इस पदयात्रा के जरिये लोगों को जागरूक किया जाएगा, और हमें उम्मीद ही नहीं, पूरा विश्वास है कि महिला सुरक्षा को लेकर समाज का हर वर्ग सजग होगा। सामाजिक चेतना आने के साथ ही जब सरकारी महकमे भी जमीनी स्तर पर कार्य करने लगेंगे तो बदलाव जरूर आएगा।

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प्रश्न : महिला सुरक्षा मित्र योजना के बारे में कुछ बताइए।

महिला सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली महिला आयोग कई कोशिशें कर रहा है, इसी में से एक महिला सुरक्षा मित्र योजना भी है। आयोग के साथ मिलकर अपने-अपने क्षेत्र में महिला सुरक्षा की दिशा में कार्य करने वाले युवक-युवतियों को ही महिला सुरक्षा मित्र का नाम दिया गया है। ये अपने क्षेत्रों में जागरूकता फैलाएंगे और महिला सुरक्षा दल के साथ मिलकर महिलाओं से संबंधित शिकायतों को दूर करने के लिए कार्य करेंगे।

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प्रश्न : दिल्ली में महिला आयोग लंबे समय से है। आयोग के पूर्व और अब की स्थिति में क्या अंतर है?

दिल्ली महिला आयोग की टीम ने बीते तीन वर्षो में खूब कार्य किए हैं। आयोग से पहले और अब के हालात का अंतर इससे जाना जा सकता है कि पिछले तीन वर्षो में महिला हेल्पलाइन पर दो लाख 15 हजार कॉल अटेंड की गई हैं। 36 हजार कोर्ट केस में आयोग की तरफ से सेक्सुअल असाल्ट सरवाइवर की मदद की गई है। 11 हजार दुष्कर्म पीड़िताओं की काउंस¨लग की गई और 75 हजार से अधिक दौरे किए गए। आयोग से पहले पिछले आठ वर्षो में मात्र एक केस की ही सुनवाई हुई थी।

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प्रश्न : आप कहती हैं कि दिल्ली पुलिस की जवाबदेही तय नहीं है, आप कैसी व्यवस्था चाहती हैं?

दिल्ली पुलिस से जैसा सहयोग मिलना चाहिए, वैसा नहीं मिलता है। मेरा मानना है कि दिल्ली पुलिस जब तक केंद्र के अधीन रहेगी, वह ठीक से कार्य नहीं करेगी। दिल्ली पुलिस को दिल्ली की प्रदेश सरकार के अधीन किया जाना चाहिए। इसके लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अर¨वद केजरीवाल द्वारा उठाई जा रही मांग जायज है। दिल्ली को अलग प्रदेश घोषित किए जाने के बाद ही यहां की पुलिस की कार्यप्रणाली में सुधार हो सकेगा।


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