दिल्ली को पूर्ण राज्य के दर्ज को केजरीवाल ने चला एक और दाव
पूर्ण राज्य की लड़ाई में दिल्ली के मुख्यमंत्री अर¨वद केजरीवाल ने रविवार को एक दाव और चला दिया है। पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवानी के 2003 मे लाए दिल्ली स्टेटहुड बिल के ही तर्ज पर एनडीएमसी को छोड़कर शेष दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का प्रस्ताव सामने
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली :
पूर्ण राज्य की लड़ाई में दिल्ली के मुख्यमंत्री अर¨वद केजरीवाल ने रविवार को एक दाव और चला है। पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी द्वारा 2003 मे लाए गए दिल्ली पूर्ण राज्य बिल की ही तर्ज पर एनडीएमसी को छोड़कर शेष दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का प्रस्ताव सामने रखा है। उन्होंने एक बार फिर प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने दिल्ली को पूर्ण राज्य देने के मामले में लोगों से झूठ बोला। दिल्ली के लोग अब और अन्याय बर्दाश्त नहीं करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के गृह मंत्री के तौर पर लालकृष्ण आडवाणी ने अगस्त 2003 में दिल्ली को पूर्ण राज्य देने वाला बिल लोकसभा में पेश किया था। दिग्गज कांग्रेस नेता प्रणब मुखर्जी की अगुवाई वाली होम अफेयर्स की पार्लियामेंट्री कमेटी ने दिसंबर 2003 में इस बिल का समर्थन किया था। लेकिन, इस बिल को आखिरकार आगे नहीं बढ़ने दिया गया। दिल्ली के लोगों के साथ ये अन्याय क्यों? इस पर भाजपा के मौजूदा रुख से साफ हो गया है कि उसने अपने दशकों पुराने वादे से पलटी मार ली है।
उनका कहना है कि केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार को हस्तक्षेप किए बिना काम करने दे और अड़ंगा लगाना बंद कर दे। मगर पिछले चार साल में मोदी सरकार आदेश पारित करके दिल्ली सरकार की शक्तियां छीनती गई। सीसीटीवी योजना, स्कूल, अस्पताल, मोहल्ला क्लीनिक आदि बनाने सहित दिल्ली वालों के हर काम में अड़चनें लगाई गईं। केंद्र सरकार काम करने दे, इसके लिए हमने सब किया। उनके सामने गिड़गिड़ाए, धरना दिया और कोर्ट भी गए। जब कोई रास्ता नहीं बचा तो अब उपवास करने जा रहे हैं।
केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के मामले में भाजपा के मौजूदा विरोध से स्पष्ट है कि 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान मोदी जी ने दिल्ली की जनता से झूठ बोला था। दिल्ली की जनता उनके इस झूठ का जवाब देगी।
दिल्ली देश की राजधानी है। इसलिए इसे पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता है, इस तर्क को खारिज करते हुए केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली भारत की राजधानी है। इसलिए केंद्र को पूरे एनडीएमसी एरिया को अपने कंट्रोल में रखना चाहिए। लेकिन बाकी दिल्ली को दिल्ली सरकार को देना चाहिए। केंद्र सरकार पूरी दिल्ली को अपने अधीन कैसे रख सकती है। ऐसा करना अन्याय है जिसे अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।