बावरिया गिरोह के बहेलिया के बारे में जानकर दंग रह जाएंगे आप, सिर्फ घरवाले थे गैंग का हिस्सा
काला प्रधान ने 17 साल की उम्र में ही अपराध की दुनिया में कदम रखा था। धीरे-धीरे उसने अपना गिरोह बना लिया। ये गिरोह लूट से पहले हत्या के लिए कुख्यात है।
नोएडा, जेएनएन। लूट, डकैती और हत्या जैसे संगीन अपराधों के लिए कुख्यात बावरिया गिरोह के अंतरराज्यीय बदमाश एवं 50 हजार के इनामी राजकिशोर बहेलिया उर्फ काले प्रधान को गाजियाबाद से पकड़ा गया है। काले को यूपी एसटीएफ की ग्रेटर नोएडा यूनिट ने शनिवार आधी रात साहिबाबाद क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया।
काला प्रधान ने 17 साल की उम्र में ही अपराध की दुनिया में कदम रखा था। धीरे-धीरे उसने अपना गिरोह बना लिया। ये गिरोह लूट से पहले हत्या के लिए कुख्यात है। ये गिरोह एनसीआर, यूपी, बिहार व मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में वारदात कर चुका है। सालों तक कई जिलों व राज्यों की पुलिस से बचने के बाद काला प्रधान एसटीएफ के हत्थे चढ़ा है।
जेवर गैंगरेप के बाद तेज हुई थी तलाश
जेवर गैंग रेप कांड के बाद पुलिस ने इनके दिल्ली के पते पर जांच की तो मालूम चला कि आरोपी अब यहां नहीं रहते हैं। मूल निवास ये पहले ही छोड़ चुके हैं। आशंका थी कि ये लोग अब भी एनसीआर में कहीं रहकर वारदात करते होंगे।
अंधविश्वास के कारण सम संख्या में करता था वारदात
काला प्रधान गिरोह अंधविश्वास की वजह से हमेशा सम संख्या में वारदात को अंजाम देता था। इसके अलावा ये गिरोह वारदात में मोबाइल का बिल्कुल भी प्रयोग नहीं करते। योजना और रेकी भी ये मिलकर करते हैं। मां और नाबालिग बेटी संग हुए बुलंदशहर गैंग रेप में 12 आरोपी थे। जेवर गैंग रेप में भी छह आरोपी थे। पिछले एक साल में बुलंदशर व जेवर आसपास हुई ज्यादातर वारदातों में बदमाश सम संख्या में ही थे। इसलिए भी इस गिरोह के शामिल होने की आशंका थी।
रिश्तेदारों और परिवार के लोगों को मिलाकर बनाया था गिरोह
काला प्रधान अपने गिरोह में केवल रिश्तेदारों और परिवार के लोगों को शामिल करता था, ताकि गिरोह की सूचनाएं बाहर न जाएं। इनका गिरोह इतना बड़ा है कि कभी भी गिरोह के सभी सदस्य एक साथ गिरफ्तार नहीं हुए। गिरोह में परिवार के लोग और रिश्तेदार शामिल होने के कारण ये लोग महिलाओं को अलग-अलग ले जाकर दुष्कर्म की वारदात को अंजाम देते थे।
हो चुकी है मुठभेड़
वर्ष 2000 में ये गिरोह बक्सर व जौनपुर में डैकती की घटनाओं को अंजाम देने जा रहा था। इस दौरान इनकी मुठभेड़ एसटीएफ से हुई थी। मुठभेड़ में गिरोह के नौ सदस्यीय मारे गए थे। इसके बाद गिरोह के सदस्यों ने पैतृक निवास छोड़ देश के अलग-अलग शहरों में ठिकाना बनाया और फर्जी नाम पते पर रहने लगे।
काला प्रधान गिरोह द्वारा की गई प्रमुख घटनाएं
- 1999 में एटा में एक की हत्या और तीन लोगों को गंभीर रूप से घायल कर एक किलो सोना लूटा था।
- 2000 में भाजपा विधायक निर्भयपाल शर्मा की हत्या और परिवार पर जनलेवा हमला कर कोठी में डकैती डाली थी।
- 2000 में सीतापर के सिधौली चेयरमैन सहित कई घरों में डकैती डाली थी। चेयरमैन के घर से 500 ग्राम सोना लूटा था।
- 2000 में खीरी में दो लोगों की हत्या कर एक किलो चांदी और 20 हजार रुपये लूटा था।
- 2000 में गौंडा में एक व्यक्ति की हत्या कर 200 ग्राम सोना लूटा था।