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UP Land Scam: अपने ही सब इंस्पेक्टर को पकड़ने पहुंची CBI टीम को दौड़ाकर पीटा

जानकारी के मुताबिक 126 करोड़ रुपये के जमीन खरीद घोटाले की जांच की कड़ी में सीबीआइ अधिकारी शनिवार को ग्रेटर नोएडा के सुनपुरा गांव पहुुंचे थे। इस दौरान ग्रामीण भड़क गए।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 23 Feb 2019 11:52 AM (IST)Updated: Sun, 24 Feb 2019 07:44 AM (IST)
UP Land Scam: अपने ही सब इंस्पेक्टर को पकड़ने पहुंची CBI टीम को दौड़ाकर पीटा
UP Land Scam: अपने ही सब इंस्पेक्टर को पकड़ने पहुंची CBI टीम को दौड़ाकर पीटा

नई दिल्ली/नोएडा, जेएनएन। यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (Yamuna Expressway Industrial Development Authority) क्षेत्र में हुए 126 करोड़ रुपये के जमीन खरीद घोटाले की जांच के लिए पहुंचे ग्रेटर नोएडा के सुनपुरा गांव में केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) अधिकारियों को ग्रामीणों ने दौड़ा-दौड़ा कर पीटा है। पूरा मामला थाना इकोटेक तीन क्षेत्र के अंतर्गत सुनपुरा गांव का है। 

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जानकारी के मुताबिक, 126 करोड़ रुपये के जमीन खरीद घोटाले की जांच की कड़ी में सीबीआइ अधिकारी शनिवार को ग्रेटर नोएडा के सुनपुरा गांव पहुुंचे थे। सीबीआइ अधिकारियों की टीम एक आरोपित सीबीआइ दरोगा को पकड़ने आई थी। इसकी भनक ग्रामीणों को लगी तो उन्होंने सीबीआइ टीम को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा। ग्रामीणों का गुस्सा देखकर सीबीआइ अधिकारियों को भागना पड़ा। सीबीआइ की पांच सदस्यीय टीम पर सुबह दबिश देने के दौरान हमला हुआ है। 

वहीं, सीबीआइ टीम के साथ मारपीट की खबर लगते ही सीबीआइ के वरिष्ठ अधिकारी तत्काल इकोटेक तीन थाना पहुंचे हैं। सीबीआइ में तैनात वरिष्ठ अधिकारी व गौतमबुद्ध नगर के पूर्व एसएसपी किरण एस भी पहुंचे हुए हैं। वहीं, सीबीआइ में तैनात आरोपित दरोगा के परिजनों के ख़िलाफ़ थाने में शिकायत दी गई है। जानकारी के मुताबिक, पिटाई से घायल सीबीआइ की टीम के अधिकारों को नजदीक के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। 

बताया जा रहा है कि यमुना प्राधिकरण के 126 करोड़ के जमीन खरीद-फ़रोख़्त घोटाले की जांच में सीबीआई अपने ही विभाग के दरोगा के घर पर पहुंचे थे। 

वहीं, गौतमबुद्धनगर के एसपी विनीत जायसवाल ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए बताया कि आरोपित दरोगा के परिवार वालों ने सीबीआइ टीम के अधिकारियों पर हमला किया है। इस बाबत मामला दर्ज कर लिया गया है और जांच शुरू दी गई है। इस मामले में 6 आरोपितों के खिलाफ नामज़द रिपोर्ट दर्ज कर पुलिस ने एक को गिरफ्तार कर लिया है। 

उल्लेखनीय है कि यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में हुए 126 करोड़ के जमीन घोटाले मामले में प्राधिकरण की तरफ से बीते साल तीन जून 2018 को कासना कोतवाली में सेवानिवृत्त आइएएस व प्राधिकरण के पूर्व सीईओ पीसी गुप्ता समेत 21 आरोपितों पर रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। पीसी गुप्ता को 22 जून को मध्यप्रदेश के दतिया से गिरफ्तार कर दस दिन की रिमांड पर लेने के बाद मेरठ की भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट में पेश कर जेल भेजा था। पीसी गुप्ता वर्तमान में भी मेरठ जेल में बंद है। उसकी जमानत कोर्ट से खारिज हो चुकी है।

पूर्व सीईओ के इशारे पर 19 फर्जी कंपिनयां बना खरीदी गई थी जमीनें

मथुरा में यमुना प्राधिकरण के तत्कालीन सीईओ पीसी गुप्ता व अन्य अधिकारियों ने अपने रिश्तेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए संगठित तरीके से जमीन खरीद घोटाले को अंजाम दिया था। आरोपितों ने 19 कंपनियां बनाकर किसानों से पहले सस्ती दर पर जमीन खरीदी और बाद में उसी जमीन को प्राधिकरण को मोटी दर पर बेचकर करोड़ों रुपये का मुआवजा उठा लिया। भूमि घोटाले का ये पूरा खेल तत्कालीन सीईओ पीसी गुप्ता के इशारे पर खेला गया था।

कर्ज लेकर रिश्तेदारों की जमीन खरीदी थी
फर्जीवाड़े की जानकारी मिलने पर प्राधिकरण के चेयरमैन डॉ. प्रभात कुमार ने मामले की जांच प्राधिकरण के जीएम प्लानिंग मीना भार्गव से कराई। पता चला था कि यमुना एक्सप्रेस वे का रैंप बनाने व किसानों को सात फीसद आबादी के भूखंड देने के नाम पर प्राधिकरण ने 80 करोड़ रुपये में 57 हेक्टेयर जमीन खरीदी थी। ये जमीन पूर्व सीईओ पीसी गुप्ता व अन्य अधिकारियों के रिश्तेदारों की थी, जिसे उन्होंने किसानों से दो लाख रुपये बीघा में खरीदा था। बाद में प्राधिकरण अधिकारियों ने अपने रिश्तेदारों से इसी जमीन को 15 से 18 लाख रुपये प्रति बीघा के हिसाब से खरीद लिया था। इसके लिए प्राधिकरण ने बैंकों से कर्ज लिया था, जो अब ब्याज के साथ बढ़कर 126 करोड़ रुपये हो गया है।

21 अधिकारियों के खिलाफ दर्ज है रिपोर्ट
जमीन घोटाले के इस मामले में पूर्व सीईओ पीसी गुप्ता, पूर्व तहसीलदार सुरेश चंद शर्मा समेत 21 अधिकारियों व अन्य लोगों के खिलाफ ग्रेटर नोएडा के कासना कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज है। पीसी गुप्ता की गिरफ्तारी के बाद तत्कालीन ओएसडी बीपी सिंह, डीसीईओ सतीश कुमार, तहसीलदार रणवीर सिंह व चमन सिंह का नाम घोटाले में जुड़ चुका है। जांच में पता चला है कि इन अधिकारियों ने मथुरा के अलावा हाथरस व गौतमबुद्ध नगर के 15 गांवों में भी इसी तरह जमीन खरीदकर घोटाला किया गया था।

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