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8 दिन का बच्चा भुगतेगा पिता के कर्मों की सजा, कहलाएगा आतंकी का बेटा

आतंकवादियों के हापुड़ से तार जुड़े होने के मामले पहले भी सामने आS हैं। 22 मार्च 2002 को कोतवाली और एसटीएफ की संयुक्त टीम ने मुठभेड़ के बाद लश्कर के चार आतंकवादियों को पकड़ा था।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 27 Dec 2018 12:09 PM (IST)Updated: Thu, 27 Dec 2018 01:42 PM (IST)
8 दिन का बच्चा भुगतेगा पिता के कर्मों की सजा, कहलाएगा आतंकी का बेटा
8 दिन का बच्चा भुगतेगा पिता के कर्मों की सजा, कहलाएगा आतंकी का बेटा

हापुड़/गढ़मुक्तेवश्वर [गौरव भारद्वाज]। राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (ANI) की टीम ने कई स्थानों पर धमाके करने की साजिश रच रहे 10 संदिग्ध आतंकवादियों को गिरफ्तार किया है। इनमें सिंभावली के गांव वैट का निवासी शाकिब अली भी शामिल है। शाकिब ने अमरोहा में रहकर मुफ्ती की शिक्षा ग्रहण की थी। एनआइए द्वारा पकड़ा गया मास्टरमाइंड सुहेल भी अमरोहा की एक मस्जिद में मौलवी है। यहीं से शाकिब सुहेल के संपर्क में आया था।

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खुफिया एजेंसियों को सिंभावली के गांव बक्सर की जामा मस्जिद के इमाम शाकिब पर आतंकी संगठन  इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आइएसआइएस) से जुड़े होने का संदेह है। अब एनआइए की टीम शाकिब की पूरी पृष्ठभूमि पता करने में जुटी है। परिजन के अनुसार, शाकिब ने अमरोहा में रहकर मुफ्ती की शिक्षा ग्रहण की। यहीं उसकी मुलाकात मुफ्ती मोहम्मद सुहेल से हुई थी। सुहेल के संपर्क में आने के बाद शाकिब ने उसकी मदद करना शुरू कर दिया। बताया जाता है कि शाकिब पिछले काफी समय से सुहेल से फोन और विभिन्न माध्यम से वार्ता करता रहता था। इसके आधार पर एनआइए की टीम सुहेल और शाकिब समेत अन्य लोगों तक पहुंची है।

एनआइए के आइजी ने प्रेसवार्ता में बताया कि ये सभी लोग एक विदेशी व्यक्ति के संपर्क में थे। आतंकी संगठन आइएस से प्रभावित इन लोगों का आका एक विदेशी है। ये लोग आपस में वाट्सएप और टेलीग्राम के माध्यम से बातचीत करते रहते थे। एनआइए के अनुसार, पकड़े गए सभी आरोपितों की बम बनाने की साजिश थी। इनके कब्जे से बड़े पैमाने पर अलार्म घड़ी और पाइप बरामद किए गए हैं। ये लोग कई जगह पर एक साथ धमाके करने की साजिश रच रहे थे। इनकी रिमोट कंट्रोल और आत्मघाती हमला करने की भी योजना थी।

मस्जिद में जाने तक की वीडियो बनाई
शाकिब को पकड़े जाने के बाद जांच टीम उसे बक्सर गांव की जामा मस्जिद लेकर पहुंची। इस दौरान टीम के सदस्यों ने धार्मिक स्थल में घुसने से पहले अपने जूते बाहर उतार दिए। उन्होंने जूते उतारने से शाकिब के कमरे तक जाने और वापस आने की वीडियोग्राफी भी कराई।

नमाजियों को मस्जिद में जाने से रोका
टीम ने नमाज पढ़ने के लिए आए लोगों को जांच करने के दौरान मस्जिद से बाहर खड़ा कर दिया। शाकिब के कमरे से मिली सामग्री को कब्जे में लेने के बाद उसे अपने साथ लेकर चले गए। एनआइए की टीम के जाने के बाद नमाजियों को मस्जिद में प्रवेश करने की अनुमति दी गई।

रझैड़ा में भी मिल चुके हैं प्रतिबंधित हथियार
मस्जिद का इमाम पकड़े जाने के बाद से क्षेत्र में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि एक माह पूर्व ही गांव रझैड़ा में भी सेना के प्रतिबंधित हथियार बरामद किए गए थे। पुलिस ने एक आरोपित को गिरफ्तार किया था, जबकि उसका मुख्य आरोपित भाग निकला और जनपद मुरादाबाद की न्यायालय में आत्मसर्मपण कर दिया था। पुलिस अभी तक उसे रिमांड पर नहीं ले सकी है। उसे रिमांड पर लेने के बाद शायद पुलिस को कोई अहम सबूत मिल सके।

जनपद में पकड़े जा चुके हैं लश्कर के आतंकी
आतंकवादियों के हापुड़ जिले से तार जुड़े होने के मामले पहले भी सामने आ चुके हैं। 22 मार्च 2002 को कोतवाली और एसटीएफ की संयुक्त टीम ने मुठभेड़ के बाद लश्कर के चार आतंकवादियों को पकड़ा था। इसके अलावा आतंक की दुनिया का खुंखार चेहरा बना अब्दुल करीम उर्फ टुंडा भी पिलखुवा के मोहल्ला लुहारन का रहने वाला है।

वर्ष 22मार्च 2002 को एसटीएफ के तत्कालीन निरीक्षक दुष्यंत कुमार बालियान ने कोतवाली पुलिस की टीम के साथ मिलकर फ्रीगंज तिराहे से मुठभेड़ के बाद लश्कर के चार आतंकवादी कल्लन, शमीम, रईस और साजिद को गिरफ्तार किया था।

खुंखार आतंकवादी अब्दुल करीम पिलखुवा का निवासी है। कई साल गायब रहने के बाद पिछले पिछले दिनों उसे गिरफ्तार किया था। इस समय वह जेल में हैं। दिसंबर 1993 को राजधानी एक्सप्रेस, दिल्ली हावड़ा एक्सप्रेस, फ्लाई क्वीन, एक्सप्रेस, सूरत-मुंबई एक्सप्रेस, एपी एक्सप्रेस आदि दर्जन भर रेलगाड़ियों में बम विस्फोट किए। इस हादसे में दो लोगों की मौत और 22 लोग घायल हुए थे।

शाकिब करीब सवा साल से मस्जिद में था इमाम
26 वर्षीय शाकिब अली का जन्म सिंभावली थाना क्षेत्र के गांव वैट में इफ्तेकार अली के घर हुआ था। प्राथमिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद उसने जनपद अमरोहा में मुफ्ती की शिक्षा ग्रहण की। करीब सवा साल से वह बक्सर की जामा मस्जिद में इमाम है। उसके पिता इफ्तेकार अली बुलंदशहर स्थित एक मदरसे में अध्यापक हैं। उसका एक साल पहले ही गाजियाबाद के डासना कोतवाली क्षेत्र के गांव नहाल निवासी युवती से निकाह हुआ था। आठ दिन पहले ही पिता बना था। शाकिब ने करीब एक साल पहले ही सऊदी जाने की बात कहते हुए पासपोर्ट बनवाया था। ग्रामीणों का कहना है कि शाकिब लोगों को धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।
 


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