मैथ्यूज परिवार के लिए दो फरवरी बनी काली तिथि, छह माह में सात सदस्यों का परिवार खत्म
चारों भाई-बहन 20 अगस्त को चर्च गए थे। चर्च से उन्हें आर्थिक मदद देने की कोशिश भी की थी, लेकिन उन्होंने मना कर दिया था। पूरा परिवार बेहद आर्थिक तंगी से जूझ रहा था।
फरीदाबाद, हरेंद्र नागर। दयालबाग कॉलोनी में सामूहिक आत्महत्या करने वाले चारों भाई बहनों के लिए 2 फरवरी से पहले जीवन का मतलब भरपूर आनंद था। 2 फरवरी को सबसे छोटे बेटे संजू के हादसे के बाद परिवार पर दुखों का ऐसा पहाड़ टूटा कि महज छह महीने के अंदर सात सदस्यों का पूरा परिवार खत्म हो गया।
उस दिन संजू मोटरसाइकिल पर किसी दोस्त को छोड़ने के लिए गया था। सूरजकुंड रोड पर सिद्धदाता आश्रम के पास किसी वाहन ने उसे टक्कर मार दी। वह बुरी तरह घायल हो गया। इस हादसे में गर्दन के पास उसकी नस दब गई थी, जिससे वह लकवाग्रस्त होकर बेड पर चला गया था।
संजू इस परिवार का सबसे एक्टिव सदस्य था। उसके घायल होने के बाद पिता जेजे मैथ्यूज बुरी तरह टूट गए और बीमार रहने लगे। अप्रैल में उनकी मौत हो गई। मां एगनेस मैथ्यूज पति की मौत और बेटे की बीमारी का सदमा सहन नहीं कर पाई और मई में उनकी भी मौत हो गई। संजू के इलाज पर परिवार की सारी जमापूंजी खत्म हो गई।
हालात ऐसे हुए कि माता-पिता की मौत के बाद उनके अंतिम संस्कार के लिए भाई-बहनों को होटल राजहंस से चंदा एकत्र करना पड़ा। जुलाई में संजू की भी मौत हो गई।
फरीदाबाद सेक्टर-28 चर्च के फादर रवि कोटा के अनुसार चारों भाई-बहन 20 अगस्त को मेरे पास आए थे। वे बेहद ईमानदार थे। चर्च से उन्हें आर्थिक मदद देने की कोशिश भी की थी, लेकिन उन्होंने मना कर दिया था। इनके माता-पिता और भाई को बुराड़ी के कब्रिस्तान में दफनाया गया था। शायद इसीलिए उन्होंने सुसाइड नोट में वहां दफनाए जाने की इच्छा जाहिर की है।