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फरीदाबाद सामूहिक आत्महत्याः खाओ-पीयो ऐश करो की नीति पूरे परिवार पर पड़ी भारी

मनोचिकित्सकों के अनुसार ऐशो-आराम की जिंदगी जीने वाले बच्चों के सामने अचानक आर्थिक संकट खड़ा हो जाए तो डिप्रेशन स्वाभाविक है। इसीलिए चारों भाई-बहनों ने सामूहिक आत्महत्या कर ली।

By Amit SinghEdited By: Published: Sun, 21 Oct 2018 03:30 PM (IST)Updated: Sun, 21 Oct 2018 03:30 PM (IST)
फरीदाबाद सामूहिक आत्महत्याः खाओ-पीयो ऐश करो की नीति पूरे परिवार पर पड़ी भारी
फरीदाबाद सामूहिक आत्महत्याः खाओ-पीयो ऐश करो की नीति पूरे परिवार पर पड़ी भारी

फरीदाबाद, प्रवीन कौशिक। फरीदाबाद की दयालबाग कॉलोनी में एक ही परिवार के चार सदस्यों द्वारा फांसी लगा सामूहिक आत्महत्या मामले की एक चौंकाने वाली वजह सामने आई है। मरने वालों में तीन बहनें व उनका भाई है। पूरा मामला सूरजकुंड थाना क्षेत्र के अंतर्गत दयालबाग कॉलोनी का है। मृतकों की उम्र 24 से 30 साल के बीच है।

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कमाओ-खाओ और ऐश करो..बचत तो होती रहेगी! जितना कमाया, उतना खर्च कर दिया!! बच्चों की हर ख्वाहिश पूरी करना जरूरी है। बेशक, इसके लिए कर्ज क्यों न लेना पड़े! परिवार के मुखिया जेजे मैथ्यूज की इस तरह की सोच बाकी सदस्यों के लिए भी घातक साबित हुई।

मनोचिकित्सकों का मानना है कि ऐशो-आराम की जिंदगी जीने वाले बच्चों के सामने अचानक आर्थिक संकट खड़ा हो जाए तो डिप्रेशन में जाना स्वाभाविक है। कमाई का साधन न होना। काफी लोगों का उधार होना और बीमारी के कारण परेशान होना। इन्हीं कारणों से दयालबाग कॉलोनी में चार भाई-बहनों ने सामूहिक आत्महत्या कर ली।

इस घटनाक्रम ने शहरवासियों को झकझोर कर रख दिया है। मैथ्यूज ने अपने बच्चों को कमाने के लिए प्रेरित नहीं किया और न ही बचत करना सिखाया। इसे भी घटनाक्रम का एक अहम हिस्सा माना जा रहा है। पड़ोसी बताते हैं कि ये चारों भाई-बहन किसी से मिलते-जुलते नहीं थे।

पड़ोसी बोले, कमाते खूब थे पर उड़ा देते थे करीब 20 साल तक मैथ्यूज परिवार के पड़ोसी रहे ठाकुर सिंह बताते हैं कि मैथ्यूज और उसकी पत्नी एगनेस मैथ्यूज ने होटल राजहंस में काम किया था। जेजे मैथ्यूज वेटरों के प्रमुख थे। उनकी पत्नी एगनेस हेल्थ सेंटर में सहायक के रूप में काम करती थीं। जेजे और उनकी पत्नी को अच्छी खासी तनख्वाह मिलती थी, लेकिन इनके खर्चे भी इतने थे कि बचत नहीं हो पाती थी।

पूरा परिवार मनचाहा खाना खाता था, जहां चाहते थे, वहां घूमते थे। मैं उन्हें काफी मना करता था। फिजूलखर्ची रोकने को कहता था लेकिन जेजे मानने को तैयार नहीं थे। यही कारण है कि जेजे अक्सर कई लोगों से पैसे उधार मांगते रहते थे। कई बार बेटियों की शादी के बारे में मैंने कहा, लेकिन जेजे टाल देते थे। वह बड़ी बेटी को नन बनाने के बारे में कहते थे। होटल से सेवानिवृत होते ही उन्होंने सारा कर्जा निपटा दिया था।

होटल राजहंस के पूर्व मंडल प्रबंधक राजेश जून का कहना है कि मुझे बड़ा दुख हुआ कि जेजे के बच्चों ने ऐसा कदम उठाया। वे किसी से अधिक घुलते-मिलते नहीं थे। परिवार में जेजे ही थोड़े मिलनसार थे। जेजे और उनकी पत्नी के रहते परिवार की स्थिति ठीक थी। बाद में परिवार के समक्ष आर्थिक संकट हो गया था।

बेहद ईमानदार प्रतीत होते हैं भाई-बहन

दयालबाग कॉलोनी में सामूहिक आत्महत्या करने वाले चारों भाई-बहन के बारे में सेक्टर-28 चर्च के फादर रवि कोटा का मानना है कि वे बेहद ईमानदार थे। उनका सुसाइड नोट भी इसकी तस्दीक करता है। सुसाइड नोट में उन्होंने इसका पूरा ब्योरा दिया है, जिनसे उन्होंने कर्ज लिया। साथ ही यह भी लिखा है कि कर्ज कैसे उतारा जाए। पुलिस ने सुसाइड नोट कब्जे में ले लिया है। इसकी सत्यता परखने के लिए फॉरेंसिक जांच कराई जाएगी। सुसाइड नोट में मकान मालिक के किराए का भी हिसाब-किताब लिखा गया है। बताया है कि इस महीने का किराया वे दे चुके हैं।

खुदकशी के लिए नई रस्सियों का इस्तेमाल

भाई-बहनों ने खुदकशी के लिए प्लास्टिक की नई रस्सियों का प्रयोग किया। रस्सियां मजबूत थीं। दोनों बड़ी बहनें, मीना और बीना डायनिंग हॉल, छोटी बहन जया बैठक और भाई प्रदीप बेडरूम में लटके मिला था। मीना और बीना ने फांसी लगाने के लिए कुर्सियों का प्रयोग किया। पुलिस को उनके पास दो कुर्सियां गिरी मिलीं। जया ने डबल बेड को दोनों तरफ से खिसकाकर बीच में जगह बनाई और उसके बीच में लटकी। प्रदीप ने बेड पर कुर्सी रखकर फांसी लगाई। सभी की जीभ बाहर निकली हुई थीं। पुलिस को बीना व जया के पास काफी मात्र में खून फैला मिला।


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