हाई कोर्ट ने गौतम नवलखा पर से हटाई नजरबंदी
- हाई कोर्ट ने निचली अदालत द्वारा जारी ट्रांजिट रिमांड को किया रद - भीमा कोरेगांव ¨हसा ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली :
भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में नक्सल से जुड़े होने के आरोप में घर में नजरबंद मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को हाई कोर्ट ने मुक्त करने की इजाजत दे दी। हाई कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें चार हफ्तों के अंदर उपयुक्त अदालत का रुख करने की छूट दी थी, जिसका उन्होंने उपयोग किया है। न्यायमूर्ति एस मुरलीधर व न्यायमूर्ति विनोद गोयल की पीठ ने साकेत कोर्ट द्वारा जारी ट्राजिट रिमाड के आदेश को भी रद कर दिया।
दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि नवलखा को 24 घटे से अधिक समय हिरासत में रखा गया, जिसे उचित नहीं ठहराया जा सकता। न्यायमूर्ति एस मुरलीधर व न्यायमूर्ति विनोद गोयल की पीठ ने 28 अगस्त को साकेत कोर्ट द्वारा जारी ट्रांजिट रिमांड को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इसमें सीआरपीसी व संविधान के मूल तत्वों को लागू नहीं किया गया। निचली अदालत का आदेश कानून के तहत आधारहीन था। सुनवाई के दौरान जब महाराष्ट्र सरकार के वकील ने नजरबंदी को दो दिन और बढ़ाने की मांग की तो पीठ ने सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि आरोपित चार हफ्ते तक नजरबंद रहेंगे और इस दौरान उन्हें उपयुक्त अदालत में जाने की आजादी है।
28 अगस्त को पुणे पुलिस द्वारा गौतम नवलखा को उनके नेहरू इन्क्लेव स्थित घर से गिरफ्तार किया था। नवलखा ने उसी दिन ट्रांजिट रिमांड को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। वहीं दूसरी ओर नवलखा समेत पांच एक्टिविस्ट की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
अदालत ने 29 सितंबर को पाचों कार्यकर्ताओं को फौरन रिहा करने की याचिका को खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने टिप्पणी की थी कि महज असहमति वाले विचारों या राजनीतिक विचारधारा में अंतर को लेकर गिरफ्तार किए जाने का यह मामला नहीं है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।