प्लॉट नहीं देने पर आयोग ने लगाया दो लाख जुर्माना
एडवांस बुकिंग के करीब साढ़े तीन लाख रुपये देने के बावजूद शिकायतकर्ता को प्लॉट न दिए जाने पर उपभोक्ता आयोग ने बिल्डर के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। आयोग ने बिल्डर पर दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया है, साथ ही जमा कराए गये पैसे भी ब्याज के साथ लौटाने को कहा है। हालांकि उपभोक्ता आयोग के नोटिस के बाद बिल्डर ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उसने शिकायतकर्ता को कहा था कि उसका पैसा दूसरे प्रोजेक्ट में लगाया जा सकता है। इस पर आयोग ने कहा कि इस तरह से किसी भी प्रोजेक्ट में पैसे लगाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली
एडवांस बुकिंग के करीब साढ़े तीन लाख रुपये देने के बावजूद शिकायतकर्ता को प्लॉट न दिए जाने पर उपभोक्ता आयोग ने बिल्डर के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। आयोग ने बिल्डर पर दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया है, साथ ही जमा कराए गये पैसे भी ब्याज के साथ लौटाने को कहा है। हालांकि उपभोक्ता आयोग के नोटिस के बाद बिल्डर ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उसने शिकायतकर्ता को कहा था कि उसका पैसा दूसरे प्रोजेक्ट में लगाया जा सकता है। इस पर आयोग ने कहा कि इस तरह से किसी भी प्रोजेक्ट में पैसे लगाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
नवंबर 2001 में पीतमपुरा (दिल्ली) के संदेश विहार निवासी प्रेक्षा सिंघल ने सामिया इंटरनेशनल बिल्डर्स लिमिटेड के नोएडा में एनआरआइ लेक सिटी प्रोजेक्ट में प्लॉट बुक कराया था। इसके लिए तीन लाख 48 हजार रुपये दिए, लेकिन कई साल गुजरने के बावजूद प्लॉट नहीं दिया गया। मामला उपभोक्ता फोरम में पहुंचा तो 2012 में फोरम ने शिकायतकर्ता के पक्ष में फैसला देते हुए कहा कि बिल्डर जमा कराई गई रकम 14 फीसदी ब्याज के साथ वापस करे। फोरम के इस फैसले के खिलाफ बिल्डर ने उपभोक्ता आयोग में अपील की थी। अब आयोग ने भी शिकायतकर्ता के पक्ष में अपना फैसला सुनाया। आयोग ने कहा कि बिल्डर उपभोक्ता फोरम के फैसले का पालन करे। इसके अलावा शिकायतकर्ता को इतने साल तक जो मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ी है उसके लिए बिल्डर दो लाख रुपये मुआवजा भी अदा करे। आयोग ने फटकार लगाते हुए कहा कि 12 साल से ज्यादा समय गुजरने के बाद भी प्लॉट नहीं दिया, जो सेवा में बड़ी कोताही है। जिस प्रोजेक्ट में पैसा लगाया, वहां प्लॉट देने के बजाय दूसरे प्रोजेक्ट में पैसा लगाने को कहा गया, जो गलत है। आयोग ने कहा कि इन आदेशों का पालन 30 दिन के भीतर किया जाए, नहीं तो मुआवजे की रकम पर 24 फीसदी वार्षिक ब्याज भी देना होगा।