नोएडा: भू-माफिया की गोली मारकर हत्या, करोडों की जमीन पर कर रखा था कब्जा
हिंडन विहार के पास मेन रोड के किनारे प्लाट पर मोती गोयल मकान बनवाने के लिए नींव खुदवा रहा था। इसी दौरान बाइक सवार दो शूटर पहुंचे और 8-10 राउंड फायरिंग की।
नोएडा [जेएनएन]। हिंडन विहार सेक्टर-49 में मोती गोयल नाम के शख्स की गोली मारकर हत्या का सनसनीखेज मामला सामने आया है। गोयल को उसके प्लॉट में ही तीन गोलियां मारी गईं जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। हत्या की वारदात के बाद पुलिस टीम मौके पर पहुंच चुकी है। हिंडन विहार में हुई वारदात के बाद घटना स्थल पर एसपी सिटी अरुण कुमार सिंह भी पहुंचे। प्लाट के विवाद में हत्या की आशंका जताई जा रही है।
बाइक सवार दो शूटरों ने मारी गोली
हिंडन विहार के पास मेन रोड के किनारे प्लाट पर मोती गोयल मकान बनवाने के लिए नींव खुदवा रहा था। इसी दौरान बाइक सवार दो शूटर पहुंचे और 8-10 राउंड फायरिंग की। फायरिंग के दौरान तीन गोलियां मोती को लगीं और उसकी मौके पर मौत हो गई। एक गोली मोती के सिर में लगी है। घटना के बाद वहां काम कर रहे मजदूर भी भाग खड़े हुए। जिस दौरान घटना हुई उस समय कुछ ही दूरी पर सीओ सीटी थर्ड गश्त करते हुए निकल रहे थे।सूचना पर वह भी मौके पर पहुंचे।
कई थानों में केस दर्ज
गौरतलब है कि मोती गोयल दिल्ली-एनसीआर के सबसे बड़े भू-माफिया में से एक था। मोती गाजियाबाद के राजनगर एक्सटेंशन में रहता था और गाजियाबाद व साहिबाबाद में करोडों की जमीन पर कब्जा कर रखा था। मोती गोयल के खिलाफ गाजियाबाद के कई थानों में केस दर्ज हैं। बरौला सलारपुर मार्ग किनारे प्लाट पर मोती की हत्या की गई है।
बाहुबली के नाम से भी जाना जाता था
मोती गोयल ने वसुंधरा सेक्टर 7-8 में आवास विकास की लगभग 300 करोड़ की भूमि पर अवैध कब्जा करके फार्म हाउस व बरात घर बनाया था। सपा सरकार में मोती गोयल को बाहुबली के नाम से भी जाना जाता था। मोती को उस वक्त बुरा दौर भी देखने को मिला जब यूपी में मायावती की सरकार बनी। बसपा सारकार बनते ही मोती कई साल जेल में रहा।
आईएएस अफसरों से थे नजदीकी संबंध
मोती गोयल ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा में अपने नाम करीब ढाई हजार करोड़ रुपए मूल्य की जमीन फर्जी तरीके से दर्ज कराई थी। मोती गोयल के कई आईएएस अफसरों से भी नजदीकी संबंध थे। मोती ने अफसरों के बूते ग्राम समाज की जमीन पर भी अवैध कब्जा किया था। मोती गोयल का काला चिट्ठा गौतम बुद्ध नगर में 2004 में तत्कालीन जिलाधिकारी संतोष यादव ने खोला था।
कई सौ एकड़ ग्रीन बेल्ट पर कब्जा
बता दें कि मोती गोयल के कारण ही आनंद विहार वैशाली मेट्रो प्रोजेक्ट में करीब एक साल की देरी हुई थी। आवास विकास परिषद की करीब 400 करोड़ की जमीन पर मोती का कब्जा था। इतना ही नहीं वैशाली से मोहन नगर तक कि कई सौ एकड़ ग्रीन बेल्ट पर भी इसी का कब्जा था।
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