अगर सीबीआइ की चलती तो बच निकलते दोषी
संदीप गुप्ता, नई दिल्ली मध्य प्रदेश में कमल स्पोंज स्टील एंड पावर लिमिटेड (केएसएसपीएल) को कोल ब्लॉ
संदीप गुप्ता, नई दिल्ली
मध्य प्रदेश में कमल स्पोंज स्टील एंड पावर लिमिटेड (केएसएसपीएल) को कोल ब्लॉक आवंटित करने से जुड़े मामले में अगर सीबीआइ की चली होती तो सभी आरोपी बच निकलते, क्योंकि जांच एजेंसी ने अदालत के समक्ष आरोपपत्र दाखिल करने की जगह क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी।
विशेष जज भरत पराशर के समक्ष सीबीआइ का कहना था कि उसके पास इस मामले में पर्याप्त सुबूत उपलब्ध नहीं है, जिनके आधार पर आरोपियों को सजा दिलाई जा सके। न्यायाधीश ने सीबीआइ की जांच पर गहरी आपत्ति जताई थी। जांच एजेंसी की दलीलों से असहमति जाहिर करते हुए अदालत ने सीबीआइ की क्लोजर रिपोर्ट को ही आरोपपत्र में तब्दील करने का निर्णय लिया था। इस आरोपपत्र के आधार पर ही पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता, मंत्रालय के तत्कालीन संयुक्त सचिव केएस करोपहा, तत्कालीन निदेशक (कोयला आवंटन-1) केसी समरइया सहित सभी आरोपियों के खिलाफ पेशी समन जारी किए गए थे। सीबीआइ और प्रवर्तन निदेशालय के पास कोल ब्लॉक आवंटन घोटाले से जुड़े 25 से अधिक मामले हैं। अबतक तीन मामलों में नतीजा आया है। देश की प्राकृतिक संपदा को लूटे जाने पर कड़ा रूख अख्तियार करते हुए अदालत ने अबतक तीनों ही मामलों में आरोपियों को दोषी करार दिया है। एचसी गुप्ता 31 दिसंबर 2005 से नवंबर 2008 तक कोयल मंत्रालय के सचिव रहे। सीबीआइ वर्ष 2004 से 2010 के दौरान आवंटित किए गए कोल ब्लॉक में धांधली की जांच कर रही थी, लेकिन बाद में जांच का दायरा वर्ष 1993 तक बढ़ा दिया गया था।