जमीन के बजाए कमरों के आधार पर स्कूलों को मिलेगी मान्यता : सिसोदिया
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा है कि स्कूलों को मान्
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली :
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा है कि स्कूलों को मान्यता प्रदान करने के लिए निश्चित क्षेत्रफल की जमीन की अनिवार्यता अनेक समस्याओं का कारण बन रही है। उन्होंने कहा है कि सरकार स्कूलों को मान्यता प्रदान करने के लिए जमीन के बजाए कमरों की उपलब्धता को प्राथमिकता देगी। सरकार के इस फैसले से राजधानी के लगभग 1400 स्कूलों को राहत मिलने की संभावना है। सिसोदिया राजधानी के ऐवान-ए-गालिब में नेशनल इंडिपेंडेंट स्कूल्स अलायंस (नीसा), दिल्ली इंडिपेंडेंट स्कूल्स अलायंस (दीसा) व कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ पब्लिक स्कूल्स के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
सिसोदिया ने कहा कि निजी स्कूलों की समस्याओं के समाधान के लिए एक पॉलिसी रिव्यू कमेटी बनाई जाएगी। इस दौरान दिल्ली में स्कूलों की मान्यता के लिए आवश्यक 'लैंड नॉर्म्स' के अव्यवहारिक पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की गई और समस्या के समाधान सुझाए गए। नीसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने कहा कि बजट में प्राइवेट स्कूलों के लिए अलग प्रावधान होना आवश्यक है। बजट में प्राइवेट स्कूलों के हितों की हमेशा अनदेखी होती है, इसलिए इनकी आवाज को नीति निर्धारकों तक पहुंचाने के लिए अलग से पॉलिसी रिव्यू कमेटी के गठन की आवश्यकता है। कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ पब्लिक स्कूल्स के चेयरमैन आरके. शर्मा ने कहा कि प्राइवेट स्कूल उन जगहों पर भी गुणवत्तायुक्त शिक्षा पहुंचाने में सफल रहे हैं जहा सरकार नहीं पहुंच सकी है। दिल्ली में जमीन की भारी कमी है, जिससे पर्याप्त संख्या में नए स्कूलों की स्थापना मुश्किल है, इसलिए आवश्यक है कि मौजूदा स्कूलों को अपग्रेड किया जाए। स्कूल खोलने के लिए सिंगल विंडो सिस्टम होना चाहिए।