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महिला पुलिसकर्मी को भी डराती है दिल्ली!

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली: दिल्ली में महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध की वारदातें नई नहीं हैं। आलम ये है

By Edited By: Published: Mon, 26 Oct 2015 09:12 PM (IST)Updated: Mon, 26 Oct 2015 09:12 PM (IST)
महिला पुलिसकर्मी को भी डराती है दिल्ली!

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली: दिल्ली में महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध की वारदातें नई नहीं हैं। आलम ये है कि हर अपराध अपनी विभत्सता का नया रूप पेश कर रहा है। ऐसे में दिल्ली पुलिस की एक महिला कर्मचारी को भी वर्दी के बिना सामान्य महिला के तौर पर डर लगता है। जानकर हैरान न हों, ऐसा एक डॉक्यूमेंट्री में दिखाया गया है। 'दिल्ली फेयर एंड फ्रीडम' नामक ये डॉक्यूमेंट्री एक नवंबर को जीविका 2015 : 12वें एशिया लाइवलीहुड डॉक्यूमेंट्री फेस्टिवल में दिखाई जाएगी।

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तीन दिवसीय इस फिल्म फेस्टीवल की शुरुआत 30 अक्टूबर को होगी। दिल्ली के सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम में आयोजित होने वाले इस फेस्टीवल में दिखाई जाने वाली डॉक्यूमेंट्री का निर्माण राजा शाबिर खान ने किया है। 52 मिनट की इस डॉक्यूमेंट्री का मुख्य किरदार दिल्ली पुलिस की निवेदिता नामक एक महिला पुलिसकर्मी है, जो अपने अनुभव साझा कर बताती है कि जब वह वर्दी के बिना शहर में घूमने निकलती है तो उसे भी आम महिलाओं की तरह अपनी सुरक्षा को लेकर डर लगता है। इस महिलाकर्मी के साथ-साथ इस डॉक्यूमेंट्री में महिला ऑटो चालक और महिला डीजे को दिल्ली में सुरक्षा को लेकर काम के दौरान आने वाली परेशानियों का भी प्रदर्शन किया गया है। फेस्टीवल में कुल 26 डॉक्यूमेंट्री फिल्मों का प्रदर्शन होगा। इसमें देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी प्रतिभागी हिस्सा लेंगे। इसमें बीफ पर पाबंदी से समाज व इसके उद्योग पर पड़ने वाले असर, ईरान में एक संगीत कम्पोजर को अपने कन्सर्ट में महिला सिंगर को शामिल करने में आने वाली परेशानी और दिल्ली की कठपुतली कॉलोनी के लोगों पर आधारित एक फिल्म भी शामिल है।

सेंटर फॉर सिविल सोसायटी (सीसीएस) के इस तीन दिवसीय फेस्टिवल की घोषणा सोमवार को प्रेस क्लब में फेस्टिवल निदेशक मनोज मैथ्यू और सीसीएस के एसोसिएट निदेशक (एडवोकेसी)अमित चंद्रा ने की। उन्होंने बताया कि फेस्टिवल के लिए कुल 115 फिल्मों की एंट्री आई थी, जिसमें कुल 26 को चुना गया है। इसमें सात फिल्में ऐसी हैं, जो छात्रों के द्वारा बनाई गई हैं। अमित चंद्रा ने बताया कि इस फेस्टिवल के जरिय हम समाज में घट रहे विषयों को सामने लाने और फिर उन पर चर्चा कर सामाजिक व नीतिगत मोर्चे पर सुधार की दिशा में काम करेंगे। उन्होंने बताया कि फिल्म फेस्टिवल में रोजाना फिल्मों के बाद एक चर्चा भी होगी, जिसके आधार पर भविष्य में सुधार का मार्ग प्रशस्त किया जाएगा। इस फेस्टीवल में प्रवेश निशुल्क रखा गया है।


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