समिति के समक्ष पेश होने के बजाय कोर्ट गईं डूटा अध्यक्ष
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) की अध्यक्ष डॉ. नंदिता नारायण दिल्ली
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) की अध्यक्ष डॉ. नंदिता नारायण दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) प्रशासन द्वारा बुलाई गई तथ्य निर्धारण समिति के समक्ष उपस्थित नहीं हुईं। उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया है। गौरतलब है कि कई तरह की शिकायतें मिलने पर प्रशासन ने उनके खिलाफ नोटिस जारी कर समिति के समक्ष पेश होने को कहा था। इस बीच सुबह साढ़े दस बजे से ही डीयू के कुलपति कार्यालय के बाहर विभिन्न शिक्षक संगठनों के सदस्यों ने डीयू प्रशासन के निर्णय के खिलाफ प्रदर्शन किया। उधर, डीयू में दिन भर इस बात की चर्चा भी रही कि डूटा अध्यक्ष समिति के समक्ष उपस्थित होंगी या नहीं।
इस बारे में डूटा अध्यक्ष का कहना है कि तथ्य निर्धारण समिति के समक्ष पेश होने से पहले हमने डीयू प्रशासन को एक पत्र लिखकर इस समिति को बनाने वाले और इसके सदस्यों के बारे में जानकारी चाही थी, लेकिन मुझे जानकारी नहीं दी गई। मैंने फिर उच्च न्यायालय में सुनवाई के लिए अपील की और यह सुनवाई मंगलवार को होगी। अदालत जाने की बात भी मैंने डीयू प्रशासन को बताई, लेकिन उन्होंने कहा कि सोमवार को ही दोपहर दो बजे आइए। मैंने आने में असमर्थता जताई और दो सप्ताह का समय मांगा, लेकिन डीयू प्रशासन ने हमें समय भी नहीं दिया। यह मामला पूरी तरह से गलत नियत के साथ अंजाम दिया जा रहा है। इसमें डीयू प्रशासन का रवैया तानाशाहीपूर्ण है। दरअसल, डूटा की शिकायत पर ही डीयू कुलपति प्रो. दिनेश सिंह के खिलाफ जांच हो रही है।
उधर, शिक्षक संगठन एकेडमिक फॉर एक्शन एंड डेवलपमेंट के अध्यक्ष आदित्य नारायण मिश्रा ने कहा कि डीयू प्रशासन द्वारा भेजा गया नोटिस शिक्षकों के अधिकारों के ऊपर हमला है। हम यह हमला बर्दाश्त नहीं करेंगे। जब-जब प्रशासन ने शिक्षकों के हितों की अनदेखी की, उनके अधिकार कम करने की कोशिश की, तब-तब शिक्षकों ने उसके खिलाफ आवाज उठाई है। हम यह लड़ाई जारी रखेंगे। कुछ अन्य शिक्षकों का कहना था कि कुलपति प्रो. दिनेश सिंह का 28 अक्टूबर को कार्यकाल समाप्त हो रहा है, ऐसे में डीयू प्रशासन डूटा अध्यक्ष से सब हिसाब बराबर कर लेना चाहता है।