भूख के कारण 12 वर्षीय दिव्यांग की मौत के मामले में हाई कोर्ट ने मांगा जवाब
कोरोना के दौरान भोजन दवा व वित्तीय सहायता न मिलने के कारण दृष्टिहीन 12 वर्षीय नाबालिग ने दम तोड़ दिया।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली:
कोरोना महामारी के दौरान भोजन, दवा व वित्तीय सहायता न मिलने के कारण दृष्टिहीन 12 वर्षीय नाबालिग ने दम तोड़ दिया। शाहदरा स्थित दयानंद अस्पताल में हुई लड़की की मौत को लेकर दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। मुख्य न्यायमूर्ति डीएन पटेल व न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने मामले की गंभीरता को देखते हुए दिल्ली सरकार से कहा कि वह अगली सुनवाई पर एक निष्कर्ष के साथ आए। पीठ ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर सुनवाई 14 जुलाई के लिए स्थगित कर दी है।
अधिवक्ता कबीर घोष के माध्यम से सौरभ सिंह की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि कोरोना महामारी के दौरान कई दिव्यांगों को राशन व दवा उपलब्ध नहीं कराई गई। अधिवक्ता ने कहा कि लड़की को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर 30 जून को ही सुनवाई का आग्रह किया गया था, लेकिन सुनवाई नहीं हो सकी और अगले ही दिन यानी एक जुलाई को लड़की की मौत हो गई। उन्होंने कहा कि लड़की के पास त्रुटिपूर्ण आधार कार्ड थे, जिसके कारण उसे कोई सहायता नहीं दी गई। इस तरह के कई दिव्यांग हैं जिन्हें सरकार से सहायता नहीं मिल रही है। उनके लिए कोई हेल्पलाइन नंबर भी नहीं है। उन्होंने मांग की कि ऐसे दिव्यांग लोग की मदद के लिए सरकार से कोई ठोस कदम उठाने का निर्देश दिया जाए।
याचिका में कहा कि राजधानी में कई ऐसे दिव्यांग बच्चे हैं जिन्हें आधार कार्ड नहीं होने के कारण राशन नहीं मिल रहा है। इतना ही नहीं दिव्यांगता प्रमाण पत्र होने के बावजूद भी कुछ लोग को दिव्यांगता पेंशन देने से इन्कार कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि दिव्यांग लोग के लिए पेंशन भी सरकार समय पर जारी नहीं करती है। इससे उन्हें काफी वित्तीय संकट का सामना करना पड़ता है। दिव्यांगों को भी दिया जाए अंत्योदय अन्य योजना समेत अन्य का लाभ
वहीं, दूसरी तरफ दिल्ली हाई कोर्ट में एक अन्य याचिका दायर कर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत अंत्योदय अन्न योजना व खाद्य सुरक्षा कानून का लाभ दिव्यांगों को दिए जाने की मांग की गई। याचिका पर मुख्य न्यायमूर्ति डीएन पटेल व न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने केंद्र सरकार के उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय व समाज कल्याण मंत्रालय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका पर अगली सुनवाई 22 जुलाई को होगी। नेशनल फेडरेशन ऑफ ब्लाइंड ने याचिका दायर कर कहा कि अंत्योदय अन्न योजना व खाद्य सुरक्षा कानून का उद्देश्य गरीबों को मदद करना है। इसके लिए आवश्यक है कि लाभ लेने वाले व्यक्ति के पास राशन कार्ड हो, लेकिन दिव्यांगों को घर से बाहर निकाल दिया जाता है और उनके पास राशन कार्ड नहीं होता है। यह दिव्यांगों के साथ भेदभाव है।