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मीठे पानी के तालाब का वजूद खतरे में

By Edited By: Published: Mon, 10 Mar 2014 05:52 PM (IST)Updated: Tue, 11 Mar 2014 02:40 AM (IST)
मीठे पानी के तालाब का वजूद खतरे में

जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली : प्रहलादपुर बांगर स्थित ऐतिहासिक जोहड़ (तालाब) के प्रति अब भी लोगों में आस्था है, लेकिन उसकी सुध सरकार ने अब तक नहीं ली। कभी मीठे पानी के तालाब के नाम से प्रसिद्ध यह ऐतिहासिक जोहड़ आज नाले में तब्दील हो चुका है।

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स्थानीय जनप्रतिनिधियों के प्रयास पर बाढ़ एवं नियंत्रण विभाग ने इसके सुंदरीकरण की योजना तो बनी थी, मगर यह चारदीवारी तक ही सीमित होकर रह गई। विभाग के अधिकारियों ने ग्रामीणों से यह कहकर काम बंद कर दिया कि फंड का अभाव है। इसके बाद ग्रामीण मुख्यमंत्री कार्यालय तक का चक्कर लगा चुके हैं, मगर सरकार ने इसकी सुध अब तक नहीं ली।

तालाब की विशेषता

करीब साढ़े तीन एकड़ क्षेत्रफल में फैला यह तालाब सैकड़ों साल पुराना बताया जाता है। स्थानीय लोगों के मुताबिक इस तालाब का पानी काफी मीठा होता था, वहीं तालाब के पास ही प्राचीन मंदिर भी है। बीमार या चर्म रोग से पीड़ित लोगों को जोहड़ के पानी से स्नान कराने के बाद रोग दूर हो जाते थे। लोग अब भी इस तालाब को देवता वाले तालाब के नाम से जानते हैं।

स्पीक आउट.......

''अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में जोहड़ का सुंदरीकरण कराया जा रहा है, लेकिन चार वर्षो में कई बार शिकायतों के बाद भी इसकी तरफ ध्यान देने वाला कोई नहीं।

- जितेंद्र मान, निवासी

गांव में बरसाती पानी की निकासी का साधन नहीं है। वह सारा पानी नाले से होते हुए तालाब में जाता है। इससे तालाब गंदा हो रहा है। सफाई नहीं होने से जंगली पौधों और घास की वजह से दलदल में तब्दील होता तालाब सिकुड़ रहा है।

- आजाद सिंह, अध्यक्ष, युवा ग्राम विकास समिति

तालाब के आसपास बच्चों के स्कूल भी हैं। गंदगी व दुर्गध से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। बदबू की वजह से शिक्षकों व बच्चों का यहां बैठना मुश्किल हो जाता है।

- महेंद्र सिंह मान, महासचिव, युवा ग्राम विकास समिति

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ग्रामीण विकास बोर्ड की तरफ से इसके सुदरीकरण के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। जल्द टेंडर पास होने के बाद कार्य प्रगति पर होगा।

- एन के वर्मा, सहायक इंजीनियर, बाढ़ नियंत्रण विभाग


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