महेश्वरी दुर्गा मंदिर
असीम आस्था व अलौकिक शक्ति का केन्द्र महेश्वरी दुर्गा मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। वीरता व जांबाजी के लिए ख्यात इस गांव के पूर्वजों ने ही शक्ति की उपासना व आराधना के लिए दुर्गा मंदिर का निर्माण कराया था।
जमुई। असीम आस्था व अलौकिक शक्ति का केन्द्र महेश्वरी दुर्गा मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। वीरता व जांबाजी के लिए ख्यात इस गांव के पूर्वजों ने ही शक्ति की उपासना व आराधना के लिए दुर्गा मंदिर का निर्माण कराया था। गांव के बयोवृद्ध समाजसेवी दिलीप नारायण सिंह बताते हैं कि महेश्वरी गांव का दुर्गा मंदिर संभवत: गिद्धौर दुर्गा मंदिर से पूर्व का है। इसकी स्थापना 17 वीं शताब्दी में की गई थी। उच्च विद्यालय महेश्वरी के सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक चन्द्रकांत पांडेय बताते हैं कि इस इलाके में दुर्गा पूजा महोत्सव का आयोजन तब सिर्फ महेश्वरी में ही हुआ करता था। दूर-दराज से मेला देखने आने वाले लोगों के लिए रात्रि विश्राम तथा भोजनादि का प्रबंध उस समय गांव के जमींदार द्वारा किया जाता था।
महेश्वरी स्थित दुर्गा मंदिर लगभग 400 वर्ष पुराना है। प्रारंभिक काल में यह मंदिर झोपड़ी नूमा था। कालांतर में ग्रामीणों द्वारा जनसहयोग व चंदे से इस मंदिर को भव्य रूप दिया गया। महेश्वरी के पुरोहित पीताम्बर पांडेय बताते हैं कि शक्ति की देवी दुर्गा का यह मंदिर असीम विश्वास व सिद्धियों का केन्द्र है। यहां आने वाले भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर होती हैं।
दुर्गा मंदिर में कलश स्थापना से लेकर विजयादशमी तक विशेष आयोजन किया जाता है। गांव के श्रद्धालु प्रात: व संध्या बेला में माता दुर्गा की महा आरती में शामिल होते हैं तथा माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
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