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स्ट्राइक रोटेट नहीं करते हैं भारतीय बल्लेबाज

मैं ऐसी किसी चीज पर बात नहीं करूंगा जो आप पहले से जानते हैं। शीर्ष चार बल्लेबाजों में से कोई बड़ी पारी नहीं खेल पा रहा है। साझेदारियां बनाने में लगातार विफलता मिल रही है। मैदान पर हाथ आए मौके गंवाए जा रहे हैं। मैं बात करूंगा तकनीकी और मानसिक मुद्दों पर। यदि इन पर ध्यान दिया गया तो इस युवा टीम क

By Edited By: Published: Wed, 05 Mar 2014 12:36 PM (IST)Updated: Sat, 15 Mar 2014 11:50 AM (IST)
स्ट्राइक रोटेट नहीं करते हैं भारतीय बल्लेबाज

(रवि शास्त्री का कॉलम)

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मैं ऐसी किसी चीज पर बात नहीं करूंगा जो आप पहले से जानते हैं। शीर्ष चार बल्लेबाजों में से कोई बड़ी पारी नहीं खेल पा रहा है। साझेदारियां बनाने में लगातार विफलता मिल रही है। मैदान पर हाथ आए मौके गंवाए जा रहे हैं। मैं बात करूंगा तकनीकी और मानसिक मुद्दों पर। यदि इन पर ध्यान दिया गया तो इस युवा टीम को लय हासिल करने में मदद मिल सकती है।

पिछले तीन महीने में तीन विदेशी दौरों पर टीम ने बल्लेबाजी, गेंदबाजी और फील्डिंग में कुछ हद तक भरोसेमंद प्रदर्शन किया, लेकिन उसके बाद क्या हुआ सभी के सामने है। मेरे ख्याल से यह तकनीकी से ज्यादा मानसिक समस्या है। बल्लेबाजों का ही उदाहरण लीजिए। कई बल्लेबाजों के शॉट लंबे समय तक हवा में गए, जैसे कि रोहित शर्मा, अंबाती रायुडू और दिनेश कार्तिक। अन्य बल्लेबाजों ने भी फील्ड को तितर-बितर करने के लिए हल्के हाथों से शॉट खेलने की अहमियत नहीं समझी। अनुभवी शीर्ष चार बल्लेबाजों ने अच्छी शुरुआत को बेकार जाने दिया।

जहां तक बात तकनीकी समस्या की है तो मेरे हिसाब से वह स्ट्राइक रोटेट नहीं करने की है। धौनी इस बात का सटीक उदाहरण हैं। वह अपनी पारी को सिंगल्स या डबल्स रन से संवारते हैं। विकेटों के बीच में इतने तेज हैं कि एक रन को दूसरे में बदलना जानते हैं। और बीच-बीच में करारे प्रहार भी करते हैं। वह पारी को सजाने संवारने की कला सीख चुके हैं। इससे उन्हें और टीम दोनों को काफी फायदा हुआ। टीम में मौजूद खिलाड़ी बल्लेबाजी कर सकते हैं, लेकिन क्या ये रन बना सकते हैं। क्या उनमें रनों की भूख नजर आती है या फिर टीम में स्थान पक्का करने की भावना ने उनके विकास पर लगाम कस दी है।

भारतीय गेंदबाजों की बात करें तो उन्होंने बांग्लादेश में अच्छा प्रदर्शन किया। अगर स्पिनर चले तो भारत के लिए मैच जीतना कठिन नहीं है। टीम को अपने सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजों के साथ उतरना चाहिए। अगर इसके लिए तीन स्पिनर भी खिलाने पड़े तो क्या गलत है। अमित मिश्रा के बारे में कुछ भी न कहना ठीक नहीं होगा। उन्होंने अपने 22 वनडे खेलने के लिए 22 बार वापसी की होगी। उनका औसत और स्ट्राइक रेट उनके बेहतरीन प्रदर्शन के गवाह हैं। उन्हें अधिक मौके मिलने चाहिए थे, खासतौर पर उपमहाद्वीप में तो ऐसा किया ही जा सकता था।

फिलहाल टीम इंडिया को बुधवार को अब अफगानिस्तान का सामना करना है। भारत को पिछली हार को भुलाते हुए इस मुकाबले पर अपना ध्यान केंद्रित करना होगा। टीम का ध्यान पूरी तरह जीत पर होगा, एक बहुत बड़ी जीत पर।

(टीसीएम)


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