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युवराज की आलोचना सही नहीं

श्रीलंकाई खिलाड़ियों के लिए रविवार की रात यादगार रहेगी क्योंकि पिछले सात सालों में पांच बार आइसीसी टूर्नामेंट के फाइनल में नाकाम रहने के बाद टीम ने बड़ा खिताब जीता। महान खिलाड़ी महेला जयवर्धने और कुमार संगकारा ने श्रीलंका क्रिकेट की काफी सेवा की और अगर यह दोनों कोई विश्व खिताब नहीं जीत पाते

By Edited By: Published: Mon, 07 Apr 2014 09:04 PM (IST)Updated: Mon, 07 Apr 2014 09:04 PM (IST)
युवराज की आलोचना सही नहीं

(सौरव गांगुली का कॉलम)

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श्रीलंकाई खिलाड़ियों के लिए रविवार की रात यादगार रहेगी क्योंकि पिछले सात सालों में पांच बार आइसीसी टूर्नामेंट के फाइनल में नाकाम रहने के बाद टीम ने बड़ा खिताब जीता। महान खिलाड़ी महेला जयवर्धने और कुमार संगकारा ने श्रीलंका क्रिकेट की काफी सेवा की और अगर यह दोनों कोई विश्व खिताब नहीं जीत पाते तो यह उनके करियर में बड़ा खालीपन होता। इन दोनों के लिए यह शानदार उपलब्धि है।

भारत की हार से भारतीय प्रशंसक निराश होंगे, लेकिन टीम इंडिया से टूर्नामेंट में जिस तरह से खेल दिखाया उससे उन्हें खुश होना चाहिए। भारत ने शानदार खेल दिखाया और सिर्फ एक मैच (फाइनल) को छोड़कर भारतीय टीम कभी कमजोर नहीं दिखी। श्रीलंका ने जब टॉस जीतकर क्षेत्ररक्षण चुना तब मुझे थोड़ी हैरानी हुई, लेकिन वह एक योजना के साथ आए थे, जिसे उन्होंने परिपूर्णता के साथ कार्यान्वित किया। लंबे समय बाद मैंने इतनी शानदार गेंदबाजी देखी, जो मलिंगा और कुलशेखरा ने आखिरी चार ओवरों में की। कोहली, युवराज और धौनी जैसे खिलाड़ी भी उनकी गेंदों पर बाउंड्री नहीं लगा पा रहे थे।

मैच के बाद युवराज की आलोचना दुखद रही। युवराज ने आपको दो विश्व कप दिलाए और सिर्फ एक खराब दिन की वजह से उनकी आलोचना खेल से जुड़े लोगों की अपरिपक्वता दर्शाती है। क्रिकेटर भी इंसान हैं। बैठकर यह कहना कि उनका करियर समाप्त हो चुका है न सिर्फ कठोर है बल्कि खेल के प्रति ज्ञान की कमी है। 130 रनों का लक्ष्य श्रीलंका के लिए बड़ा नहीं था, लेकिन प्रशंसकों को उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए थी खासतौर से पिछले साल चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल के बाद। लेकिन भारतीय स्पिनरों का सामना श्रीलंकाई बल्लेबाजों से था जो स्पिन को इंग्लिश बल्लेबाजों से बेहतर खेलते हैं। श्रीलंकाई टीम ने विकेट नहीं गंवाने की रणनीति अपनाई और इसी से उन्हें जीत मिली।

मेरा मानना है कि अगर आप प्रयास जारी रखते हो तो यह तो निश्चित है कि कभी न कभी आपको सफलता मिलेगी और सफलता का कोई तय फॉर्मूला नहीं होता। सबसे बड़ा उदाहरण हैं लसिथ मलिंगा। श्रीलंका क्रिकेट में बड़े नाम रहे, जिन्होंने टीम को कप जिताने के लिए काफी मेहनत की, लेकिन दूसरी ओर एक ऐसा व्यक्ति (मलिंगा) जिसे ऐसे ही कप्तानी मिली और उसने श्रीलंका के लिए तीन अहम मैच जिताकर खुद को इतिहास की किताबों में दर्ज करा दिया।

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