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नेपाल की क्रिकेट टीम कहानी: कड़ी मेहनत, आंसू और भाग्य

नई दिल्ली [रूपेश रंजन सिंह]। बांग्लादेश में होने जा रहे आइसीसी टी-20 विश्व कप में नेपाल की टीम भी भाग लेने जा रही है। यह इस बात का ताजा उदाहरण है कि भारतीय उपमहाद्वीप में क्रिकेट का बोलबाला कितना बढ़ता जा रहा है। आइसीसी के बड़े टूर्नामेंटों में पहले उपमहाद्वीप की तरफ से भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका की टीमें ही भाग ले पाती थीं, लेकिन

By Edited By: Published: Wed, 12 Mar 2014 07:31 PM (IST)Updated: Sat, 15 Mar 2014 11:52 AM (IST)
नेपाल की क्रिकेट टीम कहानी: कड़ी मेहनत, आंसू और भाग्य

नई दिल्ली [रूपेश रंजन सिंह]। बांग्लादेश में होने जा रहे आइसीसी टी-20 विश्व कप में नेपाल की टीम भी भाग लेने जा रही है। यह इस बात का ताजा उदाहरण है कि भारतीय उपमहाद्वीप में क्रिकेट का बोलबाला कितना बढ़ता जा रहा है। आइसीसी के बड़े टूर्नामेंटों में पहले उपमहाद्वीप की तरफ से भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका की टीमें ही भाग ले पाती थीं, लेकिन इस बार बांग्लादेश, अफगानिस्तान और नेपाल के भी जुड़ जाने से संख्या छह तक पहुंच गई है। यह आइसीसी के सीनियर स्तर के अब तक के किसी भी टूर्नामेंट में उपमहाद्वीप के टीमों की सर्वाधिक संख्या है।

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इनमें से क्रिकेट प्रशंसक अगर किसी टीम के बारे में सबसे कम जानते हैं, तो वह है नेपाल की टीम। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि नेपाल में क्रिकेट की कद्र नहीं। नेपाल क्रिकेट टीम के कप्तान पारस खड़का की मानें तो अपने देश में उनकी हैसियत किसी स्टार से कम नहीं और प्रशंसक तो इतने हैं, जितने किसी टेस्ट खेलने वाली टीम के होते हैं। खड़का के अनुसार नेपाल में दो खेलों फुटबॉल और क्रिकेट को लेकर जबरदस्त दीवानगी है। विश्व पटल पर नेपाली टीम पहली बार नजर आ रही है, लेकिन वहां पिछले करीब 10-12 सालों से क्रिकेट खेला जा रहा है। यह एक नवोदित टीम के खिलाड़ियों की कड़ी मेहनत, समर्पण और लगन का ही नतीजा था कि नेपाली टीम 2006 में आइसीसी अंडर-19 विश्व कप में प्लेट चैंपियनशिप जीतने में सफल रही।

टी-20 ंिवश्व कप क्वालीफायर में नेपाल की पहली टक्कर जीत के प्रबल दावेदार केन्या से थी। जिसमें उसे जीत के लिए 183 रन का लक्ष्य मिला था। आखिरी ओवर में उसे जीत के लिए 17 रन की जरूरत थी और क्रीज पर कप्तान खड़का के साथ शरद वेसावकर थे। शरद ने पहली ही गेंद को छक्के के लिए उड़ा दिया। टीम को जीत के करीब पहुंचते देख पवेलियन में पैड बांधे बैठे 20 वर्षीय सागर पुन फूट-फूट कर रोने लगे। शरद ने ओवर में दो और छक्के जड़ते हुए टीम को चमत्कारिक जीत दिलाई। जीत के साथ ही पुन की भावनाओं का बांध टूट गया। उस जीत ने टीम के हर खिलाड़ी को प्रेरित किया। भाग्य ने भी उनका साथ दिया और स्कॉटलैंड से दशमलव की गणना में बेहतर रनरेट होने पर उन्हें नॉक आउट में जगह मिल गई।

हांगकांग के खिलाफ क्वार्टर फाइनल मैच में भी नेपाल कुछ ऐसी ही स्थिति में खड़ा था। आखिरी ओवर में उसे जीत के लिए 13 रन की जरूरत थी। एक बार फिर शरद क्रीज पर थे और उन्होंने छक्का और चौका लगाकर स्कोर बराबर कर दिया। आखिरी गेंद पर जीत के लिए एक रन चाहिए थे। सभी क्षेत्ररक्षक पहले घेरे के अंदर थे, लेकिन शरद ने चौका जड़कर एसोसिएट देश को उसकी सबसे यादगार जीत दिलाकर टीम को 2014 टी-20 विश्व कप के लिए क्वालीफाई कराया।

हिमालय के इस छोटे से देश का इरादा मिले मौके को दोनों हाथों से लपकने का है। उसके खिलाड़ियों का इरादा है कि वे टी-20 विश्व कप में अपनी छाप छोड़ें। अपने छोटे से सफर में टीम ने जिस तरह का जुझारूपन दिखाया है, उसे देखते हुए कोई उनकी इस बात को आसानी से खारिज नहीं कर सकता।


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