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आदमी की तरह दिखने वाली औरतें

प्रकृति ने अपनी हर सरंचना को एक आकार के साथ एक खास विशेषता देकर उसे अन्य से अलग बनाया है। अब मनुष्य को ही ले लें। मानव जाति में ही स्त्री-पुरुष की कुछ शारीरिक विशेषताओं के साथ उनकी पहचान पृथक होती है। महिलाएं प्रकृति की खूबसूरत रचनाओं में एक मानी जाती हैं। साफ सुथरी काया के साथ इन्हें सुंदरता का प्रतीक माना जाता है।

By Edited By: Published: Wed, 17 Jul 2013 01:35 PM (IST)Updated: Wed, 17 Jul 2013 01:35 PM (IST)
आदमी की तरह दिखने वाली औरतें

प्रकृति ने अपनी हर सरंचना को एक आकार के साथ एक खास विशेषता देकर उसे अन्य से अलग बनाया है। अब मनुष्य को ही ले लें। मानव जाति में ही स्त्री-पुरुष की कुछ शारीरिक विशेषताओं के साथ उनकी पहचान पृथक होती है। महिलाएं प्रकृति की खूबसूरत रचनाओं में एक मानी जाती हैं। साफ सुथरी काया के साथ इन्हें सुंदरता का प्रतीक माना जाता है। हालांकि हर महिला विश्व-सुंदरी नहीं होती पर फिर भी पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को ज्यादा आकर्षक माना जाता है। किसी आदमी को आप बढ़ी हुई बेतरतीब दाढ़ी के साथ देखकर आवारा कह सकते हैं, पर महिलाएं अगर बाल खुला भी रखें तो वह भी उनका सौंदर्य है। पर हमेशा ऐसा नहीं होता। अपवाद हर जगह होते हैं। प्रकृति के नियमों में भी कभी-कभी कुछ अपवाद दिख जाते हैं।

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असल जिंदगी से मेल न खाने के कारण यह किसी अभिशाप से कम नहीं होता।आदमी को बढ़ी हुई दाढी के साथ देखना कोई अजूबा नहीं पर अगर कोई औरत आपको बढ़ी हुई दाढ़ी-मूंछों के साथ दिखाई दे तो जरूर अजीब लगेगा। सामान्यतया साफ-सुथरी काया महिलाओं का वरदान है। उस पर भी चेहरे पर एक अनचाहा बाल भी उन्हें बर्दाश्त नहीं होता। इसके लिए भी वे ब्यूटी पार्लर के चक्कर लगा लेती हैं। पर पुणे के एक परिवार में तीन सगी बहनों के लिए उनका चेहरा वरदान की जगह अभिशाप बन गया है। इसकी वजह उनकी खूबसूरती नहीं, उनका आदमियों की तरह दाढ़ी-मूंछों से भरा चेहरा है। हालांकि इनके पूरे शरीर पर बड़े-बड़े बाल हैं पर आदमियों की तरह चेहरे पर उग आए ये बाल इनके लिए अभिशाप से कम नहीं है।

पुणे की तीन बहनों सविता, मोनिशा और सावित्री को हाइपरट्रिकोसिस यूनिवर्सलिस डिसऑर्डर नाम की एक बीमारी है और चेहरे समेत उनके पूरे शरीर पर बड़े-बड़े और घने बाल उग आए हैं। यह अवस्था वेयरवुल्फ सिंड्रॉम के नाम से जानी जाती है। इसमें असामान्य बाल पूरे शरीर और चेहरे पर उग आते हैं। यह हाइपरट्रिकोसिस यूनिवर्सलिस डिसऑर्डर कोई सामान्य बीमारी नहीं है और न ही इसका कोई इलाज है। यह करोड़ो में कभी-कभार ही किसी को होती है और केवल बाल हटाने की तकनीक लेजर विधि से ही इन बालों को हटाया जा सकता है। इसके अलावा दवाइयों से इसका कोई इलाज नहीं है। इन बहनों की यह बीमारी अनुवांशिक है। इनके पिता को भी यह बीमारी थी। पर 6 बहनों में इन तीन बहनों को ही यह बीमारी है, अन्य तीन बहनें पूरी तरह सामान्य हैं। डिस्कवरी चैनल ने हाल ही में इन पर डॉक्यूमेंट्री भी बनाई है। इसी से मिले पैसों से इनका परिवार स्थानीय डॉक्टर से इनका इलाज करवाने की कोशिश कर रहा है। हालांकि डॉक्टर इसका एकमात्र इलाज लेजर से बाल हटवाना ही मानते हैं जिसमें एक के लिए कम से कम 3 से 5 लाख का खर्च आ सकता है। पर इतना खर्च यह परिवार उठा नहीं सकता इसलिए सामान्य दवाओं के सहारे कुछ सुधार की उम्मीद लगाए बैठे हैं। इन बच्चियों को अपने इन असामान्य चेहरे के बालों के कारण हर जगह शर्मिंदगी उठानी पड़ती है। इनका परिवार भी इस कारण भविष्य में इनकी शादी को लेकर चिंतित है। पर इनकी मां को उम्मीद है कि दवाओं के इलाज से ही इनकी तीनों बेटियां ठीक हो जाएंगी।

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