तीसरे टेस्ट मैच में प्रोटीज के खिलाफ क्या वांडरर्स में 'वंडर' कर पाएगी विराट सेना
तीसरे टेस्ट में भारतीय टीम के लिए चुनौती कम नहीं है।
अभिषेक त्रिपाठी, जोहानिसबर्ग। भारतीय टीम ने 2013 दौरे का शुरुआती टेस्ट वांडरर्स स्टेडियम में ही खेला था और वर्तमान कप्तान विराट कोहली ने पहली पारी में 119 और दूसरी पारी में 96 रनों की पारी खेलकर वह मैच ड्रॉ कराया था। विराट उस टेस्ट में मैन ऑफ द मैच रहे थे और महेंद्र सिंह की कप्तानी में टीम इंडिया ने दो मैचों की सीरीज ड्रॉ कराई थी। उस टेस्ट के बाद भारतीय टीम पहली बार यहां पर टेस्ट मैच खेल रही है और उस मैच के मैन ऑफ द मैच मेहमान टीम के कप्तान हैं।
विराट ने उस मैच को याद करते हुए कहा कि 2013 में यहां खेला गया टेस्ट सबके लिए रोमांचक था। उसमें दोनों टीमों के लिए कई बार जीतने के मौके बने। खास तौर पर आखिरी दिन तो बेहद ही रोमांचक खेल हुआ। दोनों टीमों और दर्शकों के लिए तो आखिरी दिन मैच ऊपर-नीचे होता रहा। कई बार ऐसा लगा कि हम मैच हार जाएंगे, लेकिन हम उसे ड्रॉ कराने में सफल रहे। वह टेस्ट मेरे और टीम के लिए काफी यादगार रहा, क्योंकि हमने एक अच्छा स्कोर किया और दक्षिण अफ्रीका को अपना सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट खेलने को मजबूर किया। मुझे इस मैदान में खेलने में हमेशा मजा आता है। यहां मुझे सकारात्मक महसूस होता है। जब मैं इस मैदान में आता हूं तो काफी अच्छा लगता है। हमें उम्मीद है कि पिछली बार की तरह ही हम इस बार भी रोमांचक क्रिकेट खेलेंगे।
इस मैदान पर एक भी टेस्ट नहीं हारने के सवाल पर उन्होंने कहा कि पिछली बार जिन चीजों ने हमारे लिए काम किया था उस पर हम काम करेंगे। इस बार पिछली बार से ज्यादा पिच पर घास है, लेकिन तेजी और बाउंस 2013 की तरह ही होगा। उनका तेज गेंदबाजी आक्रमण पिछली बार से थोड़ा सा अलग है। हालांकि, मोर्केल और फिलेंडर तब भी उनकी टीम में थे। हम उस टेस्ट के सकारात्मक पहलुओं पर बात करेंगे जो हमारे लिए अच्छा काम करेगी। इस बार हम मैच को छोड़ने की जगह अपनी तरफ लाने की कोशिश करेंगे। हम पुरानी गलतियों को ठीक करके आगे बढ़ने की कोशिश करेंगे, क्योंकि यह मैदान हमारे लिए विशेष है।
तेज गेंदबाजी आक्रमण संभव : भारतीय कप्तान से जब यह पूछा गया कि क्या वह यहां पर सिर्फ तेज गेंदबाजी आक्रमण के ही सहारे उतरेंगे तो उन्होंने कहा कि यहां पर कुछ भी संभव है। इस पिच पर ज्यादा घास है और हम इस विकल्प पर विचार कर रहे हैं। शायद दोनों ही टीमें इस बारे में सोच रही होंगी। हमने पिछले दोनों टेस्ट में 40 विकेट लिए हैं तो हम उस विकल्प के साथ जाना चाहेंगे जिससे अगले टेस्ट में भी 20 विकेट ले सकें। रनआउट और बल्लेबाजों की गलतियों पर उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत तौर पर सभी को अपने अंदर सुधार करना चाहिए, ये उनकी जिम्मेदारी है। बल्लेबाजी कोच संजय बांगर सभी को बल्लेबाजी के बारे में बताते हैं। सभी व्यक्तिगत तौर पर अपनी गलतियों के बारे में उनसे बात करते हैं। जब आप मैदान पर होते हैं तो आपके पास अपनी गलतियों को सुधारने का मौका होता है। क्षेत्ररक्षण को लेकर उन्होंने कहा कि यह एक बड़ा फैक्टर है। मेजबानों ने हमसे बेहतर क्षेत्ररक्षण किया जो साफ दिखाई देता है। हमें इसमें सुधार करना होगा।
शास्त्री से अलग बात कही : एक दिन पहले ही मुख्य कोच रवि शास्त्री ने कहा था कि अगर हम दो सप्ताह पहले यहां आते तो तैयारियां बेहतर होतीं। जब भारतीय कप्तान से पूछा गया कि क्या बीसीसीआइ को आपको पहले यहां भेजना चाहिए था तो उन्होंने कहा कि जिम्मेदारी एकतरफा नहीं होती है। मुझे व्यक्तिगत तौर पर ऐसा नहीं लगता कि सीरीज के लिए हमारी तैयारियां पूरी नहीं थीं। मैं सीरीज हारने के बाद यह नहीं कह सकता। हमें एक सप्ताह तैयारियों के लिए मिला था। एक दिन आने में लगा और पांच दिन हमने अभ्यास किया। यह हमारी गलती है जो हम परिस्थितियों के हिसाब से अपने आपको ढाल नहीं पाए और 0-2 से सीरीज हार गए। मैं किसी को कुछ नहीं कह रहा और जब आगे की सीरीज की योजना बनेगी तो उस पर बात की जाएगी। तीसरे टेस्ट मैच से पहले विराट ने तीन दिन अभ्यास में दो-दो बार बल्लेबाजी की। जब उनसे इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जबसे मैं यहां आया हूं ज्यादा से ज्यादा बल्लेबाजी करना चाहता हूं, क्योंकि भारत में जिस रुटीन के साथ हम चलते हैं वह यहां की परिस्थितियों में कारगर साबित नहीं होगा। आप जितना ज्यादा खेलेंगे उतना ज्यादा सहज महसूस करेंगे। इसके अलावा इसके पीछे कोई और लॉजिक नहीं है।