क्या भारतीय खिलाड़ी वहां छुट्टियां बिताने गए हैं
सिडनी में आस्ट्रेलिया से भारत की हार में एक अच्छी चीज देखने को मिली। वह यह कि भारत 400 रन के स्कोर तक पहुंचा। कुछ बीस विदेशी पारियों में यह दूसरी बार ऐसा हुआ है। लिहाजा इस हार के बावजूद जश्न मनाने के लिए कुछ है।
[सुनील गावस्कर की कलम से]
सिडनी में आस्ट्रेलिया से भारत की हार में एक अच्छी चीज देखने को मिली। वह यह कि भारत 400 रन के स्कोर तक पहुंचा। कुछ बीस विदेशी पारियों में यह दूसरी बार ऐसा हुआ है। लिहाजा इस हार के बावजूद जश्न मनाने के लिए कुछ है।
खैर, बहुत हुआ मजाक। सच्चाई यह है कि बल्लेबाजी में खामी की पोल खुल गई है और अगला टेस्ट पर्थ में है, जिसे देखते हुए इसकी ज्यादा समय तक अनदेखी नहीं की जा सकती। भारत को काफी होम वर्क करना है, लेकिन दुर्भाग्य से इसके लिए अब उसके पास पर्याप्त समय नहीं है। यह अच्छा होता यदि पर्थ में दो दिन का अभ्यास मैच रखा गया होता, क्योंकि तीसरा टेस्ट शुरू होने में पांच दिन का अंतराल है और आस्ट्रेलिया में यह सबसे तेज और उछाल भरा विकेट माना जाता है। वैसे तो यह सभी चीजें दौरा शुरू होने से पहले ही तय की जानी थीं। यह सीनियर खिलाडि़यों की जवाबदेही होनी चाहिए क्योंकि वे आस्ट्रेलिया पहले आए।
उधर, कोच डंकन फ्लेचर को बीसीसीआई से अतिरिक्त मैच का प्रबंध कराने के बारे में बात करनी चाहिए थी। पर्थ टेस्ट और एडिलेड टेस्ट में भी इतने ही दिन का अंतराल है और यहां भी कोई अभ्यास मैच प्रस्तावित नहीं है। सवाल यह है कि ये खिलाड़ी क्या वहां छुट्टियां बिताने गए हैं या फिर प्रतिस्पर्धी क्रिकेट खेलने? यदि जवाब बाद वाला है तो वहां खिलाडि़यों को इतने आफ दिन क्यों मिल रहे हैं। इस बात में कोई शक नहीं कि आज के दौर में सभी टीमों का कार्यक्रम काफी कड़ा है, लेकिन अगर उनके पास खाली दिन हैं तो उन्हें इसका इस्तेमाल करना चाहिए।
यह देखना रोचक होगा कि अब जब मैच खत्म हो गया है, टीम पांचवें दिन सिडनी पिच पर प्रैक्टिस करती है या नहीं। भारतीय चौथे दिन ही मेलबर्न में भी बुरी तरह हारे, लेकिन क्या उन्होंने वहां पांचवें दिन अभ्यास किया, जो आफ दिन हो गया। नहीं, ऐसा नहीं कि या। अगर उन्हें मैच जीतना है तो इसे समझना चाहिए। अगर वे हारते हैं और खराब ढंग से हारते हैं तो उन्हें अपनी कमजोरियों पर काम करना चाहिए। [पीएमजी]
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