शुभ संकल्प का आशय अच्छे विचार से है
जीवन में शुभ संकल्प होना हमारे कल्याण का हेतु है। शुभ संकल्प का आशय अच्छे विचार से है।
जीवन में शुभ संकल्प होना हमारे कल्याण का हेतु है। शुभ संकल्प का आशय अच्छे विचार से है। कुटिलता कदापि ग्राह्य नहीं है, अपितु सरलता और सहजता नैसर्गिक गुण हैं। आडंबरों और उपाधियों की भरमार न केवल दुखदायी होती है, अपितु शांति को भंग भी करती है। अत: प्रयास यह होना चाहिए कि सहज भाव से जिया जाए। निश्छल मन में ही सद्विचार आते हैं, जो हमारे बंधनों को काटने वाले होते हैं। जीवन मधुमय हो, ऐसी हमारी चिर प्रार्थना रही है। शिव तत्व का निरंतर चिंतन होने पर शुभ और कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। देवाराधन में उस देव के गुणों का स्वयं ग्रहण भी अभीष्ट होता है। इसीलिए शिवाराधन हमें शिवत्व अर्थात सर्वकल्याण की भावना से प्रेरित करता है। शिव विष पीकर भी जगत का कल्याण करते हैं। हम उनसे क्या संदेश ले सकते हैं? जगत का विष पीना तो संभव नहीं, किंतु जगत को विष प्रदान तो न किया जाए। संतवाणी है कि हो सके तो लोगों को सुख दो, किसी को भी दुख न दो। प्रयास करने से ऐसा संभव होगा। सर्वप्रथम हम स्वयं में संतुलित हों। स्वयं को पहचानने की कोशिश करें। अपनी पावनता का बोध हमें न केवल प्रसन्नता प्रदान करता है, अपितु बल भी देता है। स्वयं का मूल्यांकन सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। जगत की आलोचना या परमूल्यांकन का उसके समक्ष कोई मूल्य नहीं है, किंतु यह स्वमूल्यांकन सर्वथा निरपेक्ष होना चाहिए। हम अपने को तभी सत्य मानें जब सत्य का अनुसरण करते हों। जीवन को सत्य और सरल बनाने के लिए हम अनंतकाल से प्रार्थना करते रहे हैं। कर्तव्य मार्ग पर दृढ़ रहने का भी हमारा संकल्प रहा है। अत: अभीष्ट यही है कि प्रार्थना को जीवन का अंग बनाकर सन्मार्ग का अनुसरण किया जाए। स्वयं के कर्मो के प्रति सतत सचेष्ट रहने की अपेक्षा है। अपनी कमियों को जानने और उन्हें दूर करने की आवश्यकता है। आइए, परमशक्तिमान परमेश्वर की सर्वातिशायी सत्ता का स्मरण करें, जिसके कि हम स्वयं भी अंश हैं। अंश और अंशी में भेद नहीं होने से हम भी परम शक्तिमान हैं। स्मरण के माध्यम से उस शक्ति का बोध करना ही हमारे कल्याण का हेतु है।
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