दाऊद के गुर्गे देते थे खिलाड़ियों को धमकी!
क्या टेलीविजन पर अथवा टिकट लेकर स्टेडियम जाकर आइपीएल के मैच देखने से दाऊद इब्राहिम को ताकत मिलती है? इस अजीब से सवाल का जवाब में 'हां' में भी हो सकता है। सुरक्षा विशेषाों की मानें तो आइपीएल मैचों का क्रेज देसी-विदेशी क्रिकेटरों, आइपीएल टीमों के मालिकों और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड
नई दिल्ली [जेएनएन]। क्या टेलीविजन पर अथवा टिकट लेकर स्टेडियम जाकर आइपीएल के मैच देखने से दाऊद इब्राहिम को ताकत मिलती है? इस अजीब से सवाल का जवाब में 'हां' में भी हो सकता है। सुरक्षा विशेषज्ञों की मानें तो आइपीएल मैचों का क्रेज देसी-विदेशी क्रिकेटरों, आइपीएल टीमों के मालिकों और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) के साथ-साथ सट्टेबाजों और देश के सबसे बड़े दुश्मन दाऊद इब्राहिम के भी वारे-न्यारे करता है।
पुलिस की नौकरी छोड़कर वकालत कर रहे पूर्व आइपीएस वाईपी सिंह का तो साफतौर पर यह कहना है कि आइपीएल में सट्टेबाजी देश के लिए खतरनाक है। भारत में जितना भी सट्टा खेला जाता है उसके अधिकांश हिस्से का संचालन कराची में रह रहे दाऊद इब्राहिम और उसके भाई अनीस इब्राहिम के दुबई में बैठे गुर्गे करते हैं। वैसे तो सट्टेबाजी हर समय होती है और क्रिकेट के साथ-अन्य खेलों को लेकर भी होने लगी है, लेकिन आइपीएल का सीजन उनके लिए सबसे बड़ा बिजनेस सीजन होता है।
दुबई में बैठे दाऊद के गुर्गो में अव्वल है सुनील रामचंदानी। उसे सुनील दुबई के नाम से भी जाना जाता है। दूसरा गुर्गा है सुरेश नागरी उर्फ जूनियर कलकत्ता। इसके अलावा भारत में सक्रिय रमेश व्यास भी दाऊद भाइयों का खास है।
दिल्ली पुलिस द्वारा श्रीसंत, अंकित चह्वाण और अजित चंदीला की गिरफ्तारी से पहले ही व्यास को गिरफ्तार किया जा चुका था। व्यास के पास से करीब सौ मोबाइल फोन बरामद हुए थे। उसे भारत और पाकिस्तानी सटोरियों के बीच की कड़ी माना जाता है। दाऊद के गुर्गो के लिए काम करने वाले व्यास सरीखे भारतीय सटोरियों ने ही मोटी कमाई के लिए क्रिकेटरों के आगे चारा डाला और वे उसमें फंस गए। जांच में ऐसी बातें भी सामने आ रही हैं कि जिस खिलाड़ी को सट्टेबाजी शामिल करना होता थे उसके पास अंडरवर्ल्ड के लोगों के धमकी भरे फोन भी आते थे।
दाऊद कराची में बैठकर भारत ही नहीं, बल्कि कई अन्य एशियाई देशों में भी होने वाली सट्टेबाजी को नियंत्रित करता है। माना जाता है कि पिछले आइपीएल और क्रिकेट विश्व कप के दौरान दाऊद ने अरबों डालर की कमाई की। इस अंडरवर्ल्ड सरगना के दुबई में बैठे गुर्गे क्रिकेट के जानकार तो हैं ही, वे मैच से पहले मौसम और पिच तक की जानकारी से भी लैस रहते हैं। सट्टे के भाव तय करने का काम खुद दाऊद करता है और फिर दुबई, भारत और अन्य देशों के सटोरिये उसी हिसाब से आगे बढ़ते हैं। इन सटोरियों की मानें तो क्रिकेट मैचों में किसी भी तरह की फिक्सिंग दाऊद की जानकारी के बगैर नहीं हो सकती। अगर दाऊद आइपीएल में सट्टेबाजी के जरिये करोड़ों कमा रहा है और इस पैसे का इस्तेमाल भारत में आतंक या अन्य गैर कानूनी गतिविधियां फैलाने में कर रहा है तो इसका एक मतलब है कि टीवी पर या स्टेडियम जाकर आइपीएल मैच देखने वाले जाने-अनजाने देश के इस दुश्मन के मददगार बन रहे हैं।
महाराष्ट्र पुलिस का हिस्सा रहे पूर्व आइपीएस वाईपी सिंह क्रिकेट सट्टेबाजी के खेल में अंडरवर्ल्ड और पुलिस की मिलीभगत की आशंका भी जाहिर करते हैं। वह कहते हैं कि दाऊद की सरपरस्ती में काम करनेवाले सट्टेबाजों का नेटवर्क 1985 से ही काम करता आ रहा है। मुंबई में हफ्तावसूली एवं सुपारी लेकर हत्याएं करने से पुलिस की बदनामी होती है और गुंडों पर कार्रवाई करने का दबाव बनता है। जबकि सट्टेबाजी में जीतनेवाले तो मजा करते ही हैं, हारनेवाले भी पुलिस के पास नहीं जा सकते। इसलिए सट्टेबाजों के पूरे नेटवर्क का पता होते हुए भी पुलिस अपना हिस्सा लेकर चुप बैठ जाती है और अंडरवर्ल्ड भरपूर कमाई करने के लिए स्वतंत्र होता है।
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