'गद्दारों' पर कुंबले की खास राय, सबने कहा यह संभव नहीं
(बिपिन दानी) मुंबई। पूर्व भारतीय कप्तान अनिल कुंबले के दागी खिलाड़ियों के रिकॉर्ड हटाए जाने के सुझाव को इस खेल के सांख्यिकीविदों ने ही खारिज कर दिया। रविवार को कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ के अध्यक्ष कुंबले ने बीसीसीआइ की कार्यकारिणी की आपात बैठक में सुझाव (वीडियो कांफ्रेंस के जरिये) दिया था कि दागी खिलाड़ियों के रिकॉर्ड
(बिपिन दानी) मुंबई। पूर्व भारतीय कप्तान अनिल कुंबले के दागी खिलाड़ियों के रिकॉर्ड हटाए जाने के सुझाव को इस खेल के सांख्यिकीविदों ने ही खारिज कर दिया। रविवार को कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ के अध्यक्ष कुंबले ने बीसीसीआइ की कार्यकारिणी की आपात बैठक में सुझाव (वीडियो कांफ्रेंस के जरिये) दिया था कि दागी खिलाड़ियों के रिकॉर्ड मिटा दिए जाएं जैसा कि साइकिलिंग की वैश्विक संस्था ने लांस आर्मस्ट्रांग के मामले में किया था।
दिल्ली के एक जानेमाने सांख्यिकीविद रंजनीश गुप्ता ने कहा, 'क्रिकेट साइकिलिंग से अलग खेल है। साइकिलिंग में अगर विजेता किसी अनैतिक मामले में पकड़ा जाता है तो आप उस खिताब को दूसरे स्थान पर रहे खिलाड़ी को दे सकते हैं। दागी खिलाड़ियों के रिकॉर्ड हटाने का मतलब है कि स्कोर बोर्ड में कुछ जगहों पर कोई प्रविष्टि नहीं रहेगी। जिससे बल्लेबाजी और गेंदबाजी के रनों का मिलान नहीं हो सकेगा। एक सांख्यिकीविद के लिए यह बेहद गड़बड़झाले वाली स्थिति होगी। अगर ऐसा होता है तो बाकी स्कोर बोर्ड का कोई मतलब नहीं रह जाएगा। फिर आप मैच के परिणाम का क्या करेंगे।'
बीसीसीआइ के पूर्व सांख्यिकीविद सुधीर वैद्य ने कहा, 'दागी खिलाड़ियों से उनके पुरस्कार और ट्रॉफियां तो वापस ली जा सकती हैं। लेकिन 'मैन ऑफ द मैच' और 'मैन ऑफ द सीरीज' का उल्लेख तो स्कोर बोर्ड में फिर भी करना पड़ेगा। टीम गेम होने की वजह से इन खिलाड़ियों के नाम मिटाना संभव नहीं है।'
इसके अलावा 2000 में आजीवन प्रतिबंधित अजय शर्मा ने कहा कि 'मैं कुंबले से सहमत नहीं हूं। खिलाड़ी ने मैदान पर जो हासिल किया है, उसे आप मिटा कैसे सकते हैं? बनाए गए रन और लिए गए विकेट (दागी खिलाड़ियों द्वारा) को बनाए रखना चाहिए। मैं उन खिलाड़ियों को ऐसी संजा देने का सुझाव कैसे दे सकता हूं, जब मेरी अपील भी बीसीसीआइ में लंबित है। मेरा मामला कोर्ट में चल रहा है। मुझे फैसले के दिन का इंतजार है। मुहम्मद अजहरूद्दीन को क्लीन चिट मिल गई, मुझे अपनी बारी का इंतजार है। जरा अनिल कुंबले बताएं कि किस तरह खिलाड़ियों के रिकॉर्ड को हटाया जाएगा।'
2000 में पांच साल के लिए प्रतिबंधित हुए मनोज प्रभाकर ने कहा कि 'सजा के मामले में कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। यह फैसला करना बोर्ड का काम है।'
2000 में पांच साल के लिए प्रतिबंधित अजय जडेजा ने कहा कि 'इस देश का अपना कानून है। उसे खिलाड़ियों के भाग्य का फैसला करने दीजिए। मेरी राय का महत्व क्या है? अगर कुंबले कुछ कहते हैं तो यह उनकी राय है। मैं किसी की राय पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता।'
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