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बेटे की उपलब्धि पर गदगद हुए मम्मी-पापा

इंडियन प्रीमियर लीग-पांच [आइपीएल] के फाइनल में कोलकाता नाइटराइडर्स [केकेआर] की ओर से 89 रन की धमाकेदार पारी खेलकर जीत के हीरो बने मनविंदर के प्रदर्शन से फूले नहीं समा रहे उनके पिता डा. सुल्तान सिंह बिस्ला ने कहा कि बेटे ने इतना अच्छा प्रदर्शन कर मुझे मेरी तपस्या का फल दे दिया है।

By Edited By: Published: Mon, 28 May 2012 12:45 PM (IST)Updated: Mon, 28 May 2012 12:45 PM (IST)
बेटे की उपलब्धि पर गदगद हुए मम्मी-पापा

पानीपत। इंडियन प्रीमियर लीग-पांच [आइपीएल] के फाइनल में कोलकाता नाइटराइडर्स [केकेआर] की ओर से 89 रन की धमाकेदार पारी खेलकर जीत के हीरो बने मनविंदर के प्रदर्शन से फूले नहीं समा रहे उनके पिता डा. सुल्तान सिंह बिस्ला ने कहा कि बेटे ने इतना अच्छा प्रदर्शन कर मुझे मेरी तपस्या का फल दे दिया है।

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बिसला ने फाइनल मैच में गौतम कप्तान गंभीर के साथ पारी का आगाज किया लेकिन पहले ही ओवर में कप्तान आउट हो गए। इसके बाद बिसला ने कालिस के साथ पारी को आगे बढ़ाते हुए शतकीय साझेदारी कर टीम की जीत की आस कायम रखी। बिसला ने शुरू से ही ताबड़तोड़ बल्लेबाजी की और मात्र 27 गेंदों में पचासा ठोक दिया। अपनी 89 रनों की धमाकेदार पारी में उन्होंने 48 गेंदों पर आठ चौका व पांच छक्का भी जमाया।

हिसार स्थित हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण निदेशक रह चुके डा. सुल्तान सिंह बिस्ला विगत पांच वर्ष से गुड़गांव के सेक्टर 23-ए स्थित मकान नंबर 4718 में रह रहे हैं। परिवार व पड़ोसियों के साथ आईपीएल का फाइनल मैच देख रहे डा. सुलतान सिंह ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि केकेआर टीम के मालिक शाहरुख खान ने आईपीएल का पहला मैच किंग्स इलेवन पंजाब की ओर से खेलते हुए मनविंदर को देख उसे अपनी टीम में जिस उम्मीद के साथ लिया था, उस पर वह खरा उतरा। मैच शुरू होने से करीब दस मिनट पहले उसने बात की थी और यही कहा कि पापा आप की तपस्या का फल देने के लिए मैं जी-जान लगा दूंगा और इस बात को उसने सच भी कर दिखाया। मां दया कौर ने कहा कि उनकी बिल्कुल इच्छा नहीं थी कि बेटा क्रिकेट खेले उनका सपना था कि वह पढ़-लिखकर आइएएस अफसर बने, लेकिन पांचवीं कक्षा से ही बेटे की प्रतिभा देखकर उन्होंने फैसला बदला और उसे क्रिकेट खेलने के लिए प्रेरित करना शुरू कर दिया। सातवीं कक्षा में उसने फरीदाबाद क्रिकेट अकादमी में प्रवेश ले लिया। उसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। पिता को इस बात का मलाल है कि लगन व मेहनत के बावजूद मनविंदर को भारतीय टीम में शामिल नहीं किया गया। अब उम्मीद जगी है कि उसके साथ न्याय होगा।

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