महेंद्र सिंह धौनी भी एबी डीविलियर्स की तरह ही दूसरे ग्रह से आए लगते हैं
एबी डिविलियर्स की तरह ही धौनी भी किसी और ग्रह से आए लगते हैं, खासकर जब वे सांस रोक देने वाली पारी खेलते हैं।
संजय मांजरेकर का कॉलम:
यह काफी खास आइपीएल है। इसकी कोई भी वजह हो, लेकिन यह देखना अविश्वसनीय है कि कितने अधिक मैच अंतिम ओवरों तक पहुंचे। यहां तक कि आखिरी गेंद तक। इस पिछले हफ्ते में मेरा ध्यान कुछ बातों ने अपनी ओर खींचा। उदाहरण के लिए जो पोस्ट मैच इंटरव्यू मैंने महेंद्र सिंह धौनी का लिया। पुणे में तब सीएसके ने दिल्ली डेयरडेविल्स को हराया ही था। मगर धौनी से बात करते हुए लग रहा था जैसे मैं जीते हुए नहीं, बल्कि हारे हुए कप्तान से बात कर रहा हूं। मैच के बाद धौनी बिल्कुल भी खुश नहीं थे। जबकि उस जीत से चेन्नई की टीम तालिका में शीर्ष पर पहुंच गई थी।
ऐसा क्यों था, क्योंकि धौनी ऐसे ही हैं। यही बात उन्हें खास बनाती है। आप अक्सर उन्हें बात करते हुए सुनते हैं कि नतीजा नहीं प्रक्रिया अहम होती है। धौनी वास्तव में इस बात में यकीन रखते हैं। यही वजह रही कि जीत के बाद भी वह खुश नहीं थे। धौनी इस बात से खुश नहीं थे कि 211 रन बनाने के बाद भी विपक्षी टीम लक्ष्य के इतने करीब पहुंच गई कि सीएसके को महज 13 रन से जीत मिली। यह दिखाता है कि धौनी के लिए जीत नहीं, बल्कि यह बात मायने रखती है कि आप कैसा खेले। इस बात में कोई आश्चर्य नहीं है कि वह किंग्स इलेवन पजाब के खिलाफ अकेले दम पर टीम को लगभग मैच जिताने के बाद भी बेहद शांत थे। चेन्नई को इस मुकाबले में चार रन से हार झेलनी पड़ी, लेकिन धौनी ने आइपीएल की सर्वश्रेष्ठ पारियों में से एक खेली। वह तब प्रक्रिया से संतुष्ट होंगे, खासकर अपने प्रयास से, भले ही नतीजा पक्ष में नहीं रहा। इस सिद्धांत पर विश्वास करना और उस पर अमल करना रोबोट जैसी जिंदगी जीने जैसा है। एबी डिविलियर्स की तरह ही धौनी भी किसी और ग्रह से आए लगते हैं, खासकर जब वे सांस रोक देने वाली पारी खेलते हैं।
दिल्ली डेयरडेविल्स के कैंप में पिछले हफ्ते में काफी कुछ घटित हुआ है। गंभीर ने कप्तानी छोड़ दी और अब अंतिम एकादश से भी बाहर हैं। युवा श्रेयस अय्यर टीम की कमान संभाल रहे हैं। मुझे लगता है कि दिल्ली के पास अधिक विकल्प नहीं हैं। निजी तौर पर मुझे लगता है कि गंभीर के नेतृत्व में दिल्ली की टीम बेहतर प्रदर्शन करती। करियर के इस पड़ाव पर गंभीर की अहमियत एक कप्तान के तौर पर काफी अधिक है और मुझे लगता है कि दिल्ली ने इसीलिए उन्हें अपनी टीम से जोड़ा था। मगर यह देखना सुखद है कि इससे अय्यर की बल्लेबाजी प्रभावित नहीं हुई। एक सीमित ओवर प्रारूप के बल्लेबाज के तौर पर वह तेजी से परिपक्व हो रहे हैं और भारतीय टीम के लिए चौथे या पांचवें नंबर पर उपयोगी हो सकते हैं। सभी बातों के अंत में जो एक बात अहम है वो यह कि आइपीएल भारत के लिए युवा प्रतिभाशाली खिलाडिय़ों को तैयार कर रहा है।