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IPL 2020 में होगा सुपर स्लो मोशन और स्पीड गन का इस्तेमाल, ये हैं हैरान करने वाली तकनीक

आईपीएल 2020 (इंडियन प्रीमियर लीग) में एलइडी वॉल लगाया जाएगा यह क्रिकेट या फिर अन्य खेल के मैदान पर दर्शकों की कमी को खलने नहीं देता है।

By Viplove KumarEdited By: Published: Fri, 18 Sep 2020 12:16 PM (IST)Updated: Fri, 18 Sep 2020 12:16 PM (IST)
IPL 2020 में होगा सुपर स्लो मोशन और स्पीड गन का इस्तेमाल, ये हैं हैरान करने वाली तकनीक
IPL 2020 में होगा सुपर स्लो मोशन और स्पीड गन का इस्तेमाल, ये हैं हैरान करने वाली तकनीक

नई दिल्ली, जेएनएन। क्रिकेट के मैदान में दर्शक न हो तो इस खेल का वह रोमांच नहीं रह जाता है, जिसके लिए यह जाना जाता है। हालांकि अभी कोरोना वायरस का खतरा कम नहीं हुआ है। ऐसी स्थिति में यह संभव भी नहीं है कि हजारों दर्शकों के साथ यह खेल खेला जाए। इसी को देखते हुए आईपीएल 2020 (इंडियन प्रीमियर लीग) में एलइडी वॉल लगाया जाएगा, यह क्रिकेट या फिर अन्य खेल के मैदान पर दर्शकों की कमी को खलने नहीं देता है। आइए जानते हैं कुछ ऐसी तकनीक के बारे में जिनका इस्तेमाल क्रिकेट के मैदान पर होता है..

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एलइडी वॉल : स्पो‌र्ट्स के मैदान पर एलइडी वॉल तकनीक काफी लोकप्रिय हो रहा है। इसकी मदद से फिजिकल डिस्टेंसिंग के दौर में फैन्स वर्चुअली मैदान में उपस्थित रह सकते हैं और खिलाड़ियों के चौके-छक्के पर उसी तरह से अपनी प्रतिक्रिया जाहिर कर सकते हैं, जैसे वे फिजिकली मैदान में करते हैं। खिलाड़ी भी इसकी मदद से अपने चाहने वालों के कनेक्ट रह सकते हैं। हाल में इंग्लैंड में हुए प्रीमियर लीग में इस तकनीक का इस्तेमाल हुआ था, जिसमें फैन्स लाइव वीडियो वॉल्स के जरिए कनेक्ट थे। इन दिनों फुटबॉल और दूसरे खेलों में भी इसका इस्तेमाल होने लगा है। इसमें फैन्स भी खुद को मैदान में होने जैसा ही रोमांच महसूस कर सकते हैं।

स्निकोमीटर : इसका तकनीक का इस्तेमाल आमतौर पर थर्ड एंपायर करते हैं। इसे यह जानने में मदद मिलती है कि बॉल का बैट के किसी हिस्से से संपर्क हुआ है या नहीं। अलग-अलग साउंडवेव के जरिए यह जानना आसान हो जाता है कि बॉल बैट से लगा है या पैड से या फिर कहीं और। स्निकोमीटर बेहद संवेदनशील माइक्रोफोन का इस्तेमाल करता है, जो पिच के दोनों ओर के स्टंप में लगा होता है और यह ऑसिलस्कोप से कनेक्ट होता है, जो साउंड वेव्स को मेजर करता है। ऑसिलस्कोप कैमरा की मदद से माइक्रोफोन द्वारा कैप्चर किए गए साउंड को दिखाता है।

स्पीड गन : आप भी सोचते होंगे कि आखिर बॉल की गति को कैसे मापा जाता होगा, तो आपको बता दें कि इसके लिए स्पीड गन का इस्तेमाल किया जाता है। यह डॉप्लर प्रभाव के सिद्धांत पर कार्य करता है। इसमें एक रिसीवर और एक ट्रांसमीटर लगा होता है। इसके माध्यम से प्राप्त सूचना को एक इमेज प्रोसेसिंग सॉफ्टवेयर में डाला जाता है, जो पिच पर अन्य वस्तुओं के बीच गेंद की गेंद की गति को बताता है। स्पीड गन के माध्यम से गेंद की गति की सटीक जानकारी मिलती है।

सुपर स्लो मोशन : क्रिकेट में भी सुपर स्लो मोशन का खूब इस्तेमाल होता है। आमतौर पर इसका इस्तेमाल रिप्ले के लिए किया जाता है। इसके लिए सुपर स्लो मोशन कैमरा का इस्तेमाल किया जाता है, जो 500 फ्रेम्स प्रति सेकंड इमेज को रिकॉर्ड करता है, जबकि सामान्य कैमरा 24 फ्रेम्स प्रति सेकंड ही रिकॉर्ड करता है।

बॉल स्पिन आरपीएम : बॉल के रोटेशन स्पीड को दिखाने के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। इसका इस्तेमाल स्पिनर द्वारा बॉलिंग किए जाने के दौरान किया जाता है। यह दिखाता है कि बॉल कितना स्पिन हो रहा है। इसके अलावा, बॉल को हाथ से छोड़ने के बाद बॉल कितना स्पिन करता है, यह भी देखा जा सकता है।

पिच विजन : बैटिंग के दौरान यह किसी खिलाड़ी के परफॉर्मेंस को दर्शाता है। बैट्समैन बैटिंग के ऑन साइड, ऑफ साइड आदि जगहों से कितना रन बटोरते हैं या फिर किस एरिया में ज्यादा खेलते हैं, उसे पिच विजन टेक्नोलॉजी के जरिए देखा जा सकता है।


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