EXCLUSIVE: 'सचिन ने कहा, अभी तुम्हारे अंदर बहुत क्रिकेट बाकी'
भारतीय ऑलराउंडर और दुनिया के बेहतरीन क्षेत्ररक्षकों में से एक सुरेश रैना सात महीने से टीम इंडिया से बाहर हैं, लेकिन वह फिर से इसका हिस्सा बनने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।
साक्षात्कार:
भारतीय ऑलराउंडर और दुनिया के बेहतरीन क्षेत्ररक्षकों में से एक सुरेश रैना सात महीने से टीम इंडिया से बाहर हैं, लेकिन वह फिर से इसका हिस्सा बनने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। वह घरेलू क्रिकेट खेल रहे हैं, अतिरिक्त अभ्यास कर रहे हैं और उन्होंने सचिन तेंदुलकर से भी बल्लेबाजी टिप्स लिए। रैना ने अपनी तैयारियों को लेकर अभिषेक त्रिपाठी से बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश-
-ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज में नहीं चुने जाने से क्या आप निराश हैं?
-टीम चुनना चयनकर्ताओं का काम है, मेरा काम बल्लेबाजी करना है। मैं लगातार मेहनत कर रहा हूं। मैंने चेन्नई और हैदराबाद में टूर्नामेंट खेले। कानपुर में उत्तर प्रदेश के युवा खिलाडिय़ों के साथ 15 दिन का कंडिशनिंग कैंप किया। दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर से ट्रेनिंग ली। अच्छा रिजल्ट हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होती है और मैं वही कर रहा हूं। जब मैं खेलूंगा तो सिर्फ मेरा बल्ला बोलेगा, उसके आसपास कोई नहीं होगा।
-सचिन के साथ अभ्यास कैसा रहा, उससे क्या फायदा मिला?
-सच कहूं तो बीच में काफी लो फील कर रहा था। सचिन पा जी से बीच-बीच में मैसेज के जरिये बात हो रही थी। मैंने उनसे कहा कि आपके तीन दिन मुझे चाहिए। वह बहुत व्यस्त रहते हैं फिर भी उन्होंने तीन दिन का समय निकाला। बुच्ची बाबू टूर्नामेंट खेलने से पहले मैं मुंबई गया। उस समय बारिश हो रही थी, सचिन पा जी के घर में भी पानी भर गया था, लेकिन उन्होंने सारे इंतजाम किए और तीन दिन तक उन्होंने अभ्यास कराया। उन्होंने मेरी बल्लेबाजी को लेकर टिप्स दिए। अर्जुन ने मुझे काफी गेंदबाजी की। निश्चित तौर पर उससे बेहतर अनुभव कुछ नहीं हो सकता।
-खेल के अलावा मानसिक तौर पर सचिन का साथ कितना बेहतर रहा?
-सचिन क्रिकेट के भगवान हैं। उनका एक-एक शब्द महत्वपूर्ण होता है। उन्होंने मुझसे कहा कि तुमने काफी क्रिकेट खेला है, तुम्हें किसी को कुछ साबित नहीं करना है। तुम्हारी फिटनेस देखकर लग रहा है कि अभी तुम्हारे अंदर बहुत आग है। मैं तीन-तीन घंटे लगातार अभ्यास कर रहा था और उसे देखकर उन्होंने कहा कि तुम्हारी बॉडी बिलकुल सही वर्क कर रही है। उन्होंने मेरी बल्लेबाजी पर भी काफी काम किया। उन्होंने जिस तरह मेरा उत्साहवर्धन किया उससे मेरे अंदर नई स्फूर्ति आ गई। 2013 में भी उन्होंने मुझे टिप्स दिए थे और उसके बाद मैं अगली ही सीरीज में मैन ऑफ द टूर्नामेंट रहा था।
-अब आप पहले से काफी फिट नजर आ रहे हैं?
-मैंने अपनी फिटनेस पर बहुत काम किया है। मैंने आठ किलो वजन कम किया है। अब पहले से ज्यादा फिट हो गया हूं। जब मौका मिल रहा है तब क्रिकेट खेल रहा हूं। नीदरलैंड्स में भी आठ सप्ताह ट्रेनिंग की।
-अभी खुद में कितने साल का क्रिकेट बचा हुआ पाते हैं?
-जिस तरह मेरा शरीर काम कर रहा है और बल्ला मेरा साथ दे रहा है, उससे तो लगता है कि कम से कम पांच साल और क्रिकेट खेलूंगा।
-दलीप ट्रॉफी कितनी महत्वपूर्ण है आपके लिए? क्या 2019 विश्व कप पर निगाहें हैं?
-सारे ही मैच महत्वपूर्ण होते हैं। अभी दलीप ट्रॉफी के दो मैच हैं। पिछली बार मैंने इसी टूर्नामेंट में तीन अर्धशतक लगाए थे। अगर फाइनल में पहुंचते हैं तो एक मैच और मिलेगा। जहां तक टीम इंडिया की बात है तो मैं अच्छा स्कोर करके उसमें जगह बनाना चाहूंगा। अभी भारत को बहुत मैच खेलने हैं और निश्चित तौर पर हर क्रिकेटर का सपना होता है कि वह अपने देश के लिए ज्यादा से ज्यादा मैच खेले और खासकर विश्व कप खेले।
-आपने 2015 में आखिरी वनडे और इस साल फरवरी में आखिरी टी-20 खेला था। ऐसा पहली बार है कि जब आप अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने के बाद इतना समय तक टीम इंडिया से बाहर हैं?
-2007 में भी ऐसा हुआ था। तब मुझे चोट लगी थी। फिर वीरू भाई की कप्तानी में चैलेंजर ट्रॉफी में मैंने अच्छा प्रदर्शन किया जिससे सीधे ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए मेरा चयन हुआ था। इधर भी मेरा चयन हुआ था, लेकिन बीच में तबियत खराब हो गई और मैं नहीं खेल सका। इससे भी काफी कुछ सीखने को मिलता है। इसमें अपने बारे में सोचने के लिए काफी समय मिला।
-सफलता और असफलता के बीच के समय को कैसे देखते हैं?
-इसमें आपको पता चलता है कि आपका परिवार और अपने लोग कितने महत्वपूर्ण हैं। आपको कठिन परिश्रम करने की प्रेरणा मिलती है। जोंटी रोड्स ने कहा था कि मैं दुनिया के शीर्ष-3 क्षेत्ररक्षकों में से हूं तो मैं वैसा ही बने रहने के लिए मेहनत कर रहा हूं। मैं हमेशा कठिन मेहनत से टीम इंडिया में पहुंचा हूं। मेरा कभी कोई गॉडफादर नहीं रहा। मैंने लगातार आइपीएल और विश्व कप में प्रदर्शन किया। मैं मेहनत करूंगा तो आगे के दरवाजे खुलते जाएंगे। इस दौरान मैंने अपने परिवार को काफी समय दिया, जिससे सकारात्मकता आई है। इससे पता चलता है कि जो अपने होते हैं वे सुख-दुख दोनों में साथ रहते हैं।
-उत्तर प्रदेश के युवा खिलाडिय़ों को आपसे बहुत उम्मीदें हैं?
-जब मैं जूनियर था और कोई सीनियर या कोच मुझे मुर्गा बनाता था तो मैं मैदान के दस राउंड अतिरिक्त लगाता था। लोगों को लगता था कि मैं परेशान हो जाऊंगा, लेकिन मैं शांतचित्त हूं। मेरा गुस्सा करने का तरीका यही था कि मैं दस चक्कर लगाकर खुद और अच्छा अभ्यास करूंगा। अभी कानपुर में जो कंडिशनिंग कैंप लगा था उसमें कई अच्छे लड़के मिले। ध्रुव प्रताप, अभिषेक सिंह, संदीप तोमर सहित कई अच्छे बच्चे हैं जिनमें बहुत क्षमता है। राजीव शुक्ला सर ने कहा कि उप्र के बच्चों को मुझे दिशा दिखानी है। इससे मेरे ऊपर जिम्मेदारी बढ़ जाती है।