Move to Jagran APP

IND vs AUS: पर्थ में उमेश नहीं बल्कि इस खिलाड़ी को मिलना चाहिए था मौका: संजय मांजरेकर

पूर्व बल्लेबाज संजय मांजरेकर ने ‘ड्रॉप इन’ पिच के इस्तेमाल को समझौता करार दिया है

By Lakshya SharmaEdited By: Published: Sun, 16 Dec 2018 08:37 AM (IST)Updated: Sun, 16 Dec 2018 09:35 AM (IST)
IND vs AUS: पर्थ में उमेश नहीं बल्कि इस खिलाड़ी को मिलना चाहिए था मौका: संजय मांजरेकर
IND vs AUS: पर्थ में उमेश नहीं बल्कि इस खिलाड़ी को मिलना चाहिए था मौका: संजय मांजरेकर

नई दिल्ली, अभिषेक त्रिपाठी।  भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच चल रही चार टेस्ट मैचों की सीरीज का दूसरा टेस्ट पर्थ के नए नवेले ऑप्टस स्टेडियम में खेला जा रहा है। वाका की जगह यहां पर पहली बार टेस्ट मैच आयोजित करने के लिए ‘ड्रॉप इन’ पिच का इस्तेमाल किया गया है जिसकी आलोचना भी हुई।

loksabha election banner

भारत के लिए 37 टेस्ट और 74 वनडे खेलने के अलावा सोनी पिक्चर्स नेटवर्क पर कमेंट्री कर रहे पूर्व बल्लेबाज संजय मांजरेकर ने ‘ड्रॉप इन’ पिच के इस्तेमाल को समझौता करार दिया है। भारत-ऑस्ट्रेलिया सीरीज को लेकर अभिषेक त्रिपाठी ने संजय मांजरेकर से विशेष बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश-

दूसरे टेस्ट के अंतिम एकादश में उमेश यादव के अंतिम एकादश में चयन को लेकर काफी बातें हुईं। आपकी क्या राय है?

मैं भी विराट के इस फैसले से थोड़ा सा हैरान हो गया था। मेरे हिसाब से रवींद्र जडेजा को खिलाना चाहिए था। आजकल रफ पर टेस्ट मैच तय होते हैं और जडेजा तीसरे, चौथे व पांचवें दिन काफी खतरनाक साबित हो सकते हैं। ऑस्ट्रेलिया टीम में बायें हाथ के कई बल्लेबाज हैं, तो मुङो लगता है कि जडेजा को खिलाया जाना चाहिए। अगर जडेजा को नहीं खिलाते तो इस पिच पर भुवनेश्वर कुमार का खेलना मुनासिब होता।

क्या टीम प्रबंधन भुवनेश्वर को सिर्फ स्विंग गेंदबाज मानकर चल रहा है? क्या उन्हें सिर्फ स्विंग के मुफीद पिच पर ही खिलाया जाएगा?

नहीं, शायद वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट सीरीज में उमेश के अच्छे प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें वरीयता दी गई। कप्तान की चाहत होती है, उसे ऐसा लगता है कि उमेश इस पिच पर ज्यादा काम करके दिखाएंगे। भारत ने पर्थ में जो पिछला टेस्ट खेला था उसमें उमेश ने पारी में पांच विकेट लिए थे। कैलकुलेशन के चक्कर में शायद उन्हें खिलाया होगा। मैं विराट के निर्णय से सहमत नहीं हूं। अगर मेरे बस में होता तो पहले जडेजा और अगर वह नहीं होते तो भुवनेश्वर को खिलाता।

क्या पहले दिन भारतीय गेंदबाजों से चूक हुई?

यह पिच काफी रोचक है और इसने पहले दिन कई रूप दिखाए। पहले दिन की सुबह यह पिच अच्छी लग रही थी। पहले दिन के पहले सत्र में ज्यादा उछाल और मूवमेंट नहीं था। दूसरे सत्र में तेजी और उछाल दिखा और आखिरी सत्र में मूवमेंट भी दिखा। दूसरे दिन इसने अलग बर्ताव किया।

ऑस्ट्रेलिया पहले खेलते हुए 300 से ज्यादा रन बनाने में इसलिए कामयाब रहा क्योंकि फिंच और हैरिस ने पहले विकेट के लिए 100 रनों से ज्यादा की साझेदारी की। आगे देखना होगा कि यह पिच कैसा बर्ताव करती है।

भारतीय बल्लेबाजों से क्या उम्मीद करते हैं?

मुझे एक आशा की किरण दिखाई दे रही है कि यह पिच स्थायी होकर अच्छी हो जाए। जब कूकाबुरा गेंद पुरानी होकर सॉफ्ट हो जाती है तो बल्लेबाजों के लिए आसान बन जाता है। माइकल हसी कह रहे थे कि यह पिच बेहतर होने वाली नहीं लग रही। आगे अगर ऐसा हुआ तो बल्लेबाजी करना चुनौतीपूर्ण होगा। हम पुजारा की वजह से पिछला मैच बचाने में कामयाब हुए। हमारा ओवरऑल बल्लेबाजी प्रदर्शन देखें तो विराट, पुजारा और रहाणो के अलावा बाकियों के प्रदर्शन पर प्रश्नचिन्ह खड़ा होता है।

इतनी महत्वपूर्ण सीरीज में ‘ड्रॉप इन’ पिच के इस्तेमाल पर क्या कहेंगे?

यह एक समझौता है। पर्थ में एक बड़ा स्टेडियम बनाया जाता है जिस पर टेस्ट मैच आयोजित करना है। ऑस्ट्रेलिया, भारत की तरह नहीं है जहां एक ही खेल ज्यादा कामयाब है। ऑप्टस एक बहुउद्देशीय स्टेडियम है और यहां पर जब ऑस्ट्रेलियन फुटबॉल खेला जाता है तो 60000 सीटें भी भर जाती हैं। हमारे समय में जो पुराने जमाने की पिच होती थीं उसमें एक अलग कैरेक्टर होता था।

ड्रॉप इन पिच दूसरी जगह बनाई जाती हैं और क्रिकेट मैच से पहले उन्हें मैदान में स्थापित किया जाता है। जब स्टेडियम में दूसरे खेल होते हैं तो उन्हें हटा दिया जाता है। जैसे ही ड्रॉप इन पिच बोलते हैं तो यह बनावटी जैसा प्रतीत होता है।

इस सीरीज को किधर जाते हुए देखते हैं?

भारत सीरीज में 1-0 से आगे हैं। कुल मिलाकर यह रोमांचक होगी क्योंकि दोनों टीमें लगभग एक जैसी हैं। दोनों ही टीमों की गेंदबाजी बहुत मजबूत है लेकिन बल्लेबाजी कमजोर है। पिछले मैच में भारतीय टीम ने थोड़ी बेहतर बल्लेबाजी की इसलिए उसे जीत मिली। जो इस मैच में बेहतर बल्लेबाजी करेगा वह जीतेगा। हम कह सकते हैं कि दोनों टीमें शीशे के घर में रह रही हैं। दोनों को बल्लेबाजी में अपनी कमजोरियों के बारे में पता है।

जब पूरी दुनिया में टेस्ट मैच छोटे स्टेडियमों में कराने की योजना चल रही है तब यहां पर मैच को 20000 क्षमता वाले वाका की जगह तिगुनी क्षमता वाले ऑप्टस स्टेडियम में कराने की बात आपको समझ में आती है?

मैं इस पर कुछ नहीं बोलना चाहता, क्योंकि मुझे नहीं पता कि इसके पीछे उनकी क्या समस्या या रणनीति है? क्या वजह है कि इन्होंने नया स्टेडियम खड़ा कर दिया।

 क्रिकेट की खबरों के लिए यहां क्लिक करें

अन्य खेलों की खबरों के लिए यहां क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.