बीसीसीआइ को महंगा पड़ा अहंकार: वर्मा
सीसीआइ में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ बिगुल फूंकने वाले और आइपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में याचिकाकर्ता आदित्य वर्मा बेहद खुश हैं।
नई दिल्ली। सीसीआइ में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ बिगुल फूंकने वाले और आइपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में याचिकाकर्ता आदित्य वर्मा बेहद खुश हैं। सुप्रीम कोर्ट के बीसीसीआइ पर हालिया फैसले के बाद क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार के सचिव वर्मा ने अभिषेक त्रिपाठी से बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश.
- क्या आपकी लड़ाई पूरी हो गई और इसके अंजाम से खुश हैं?
अभी तो शुरुआत है। जब तक मैं बिहार के बच्चों को रणजी ट्रॉफी नहीं खिला देता हूं तब तक मेरी लड़ाई पूरी नहीं होगी। लोढ़ा समिति ने बिहार सहित उन राज्यों को बीसीसीआइ की फुल मेंबरशिप दी थी जिनको यह हासिल नहीं थी, लेकिन बोर्ड ने उसे नहीं माना। अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित प्रशासनिक समिति इसे देखेगी और मुझे उम्मीद है कि बिहार की टीम अगले साल रणजी ट्रॉफी खेलेगी।
- क्या बाकी खेलों में भी लोढ़ा समिति की सिफारिशें लागू होनी चाहिए?
इस पर मैं कुछ नहीं कह सकता। इस पर खेल विशेषज्ञ ही कुछ बता सकते हैं। बाकी खेल संघों में क्या हो रहा है यह मैं नहीं जानता हूं, लेकिन इस फैसले का असर दूरगामी होगा यह तय है।
- क्या बीसीसीआइ मामले को सही तरीके से हल नहीं कर पाई?
सबसे अहम बात ये है कि जब बीसीसीआइ अध्यक्ष ही सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर यह कहता है कि उसके राज्य संघ लोढ़ा समिति की सिफारिशों को पूरी तरह नहीं मान रहे हैं और मैं उन्हें मनाने के लिए मजबूर नहीं कर सकता। इसी को आदेश में लिखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप मेरे आदेश का पालन नहीं करवा सकते तो आप बाहर जाएं। बीसीसीआइ जिस अहंकार की चादर को ओढ़कर बैठा हुआ था, वह बोर्ड ने उतार दी है।
- ऐसा नहीं लगता कि आपने इसे अपनी व्यक्तिगत लड़ाई बना लिया?
ऐसा आप कैसे कह सकते हैं? मैं अपना खेत-खलिहान बेचकर पूरी लड़ाई लड़ा। क्रिकेट मेरा पहला और अंतिम प्यार है। मैं अगले जन्म में भी क्रिकेटर ही बनना चाहता हूं। बीसीसीआइ ने इसे व्यक्तिगत लड़ाई बनाया। कुछ लोग इसे निजी दुकान की तरह चला रहे थे।
- आपको लगा था कि लड़ाई यहां तक पहुंचेगी?
एकदम लगा था। कानून के घर में देर है अंधेर नहीं। मेरी कुंडली में न शब्द है ही नहीं।
- कुछ लोग कहते हैं कि आपके पीछे ललित मोदी का हाथ है?
मुझे बहुत सारे लोग सहयोग कर रहे थे। ललित मोदी ही नहीं जब तक यह लड़ाई श्रीनिवासन के खिलाफ थी तब तक अनुराग ठाकुर, शरद पवार और जगमोहन डालमिया ने भी साथ दिया, लेकिन जब काम निकल गया तो मुझे दुत्कार दिया।
- अब कौन बनेगा असली बिहार क्रिकेट संघ?
बिहार में इस समय तीन-तीन क्रिकेट संघ हैं। एक के अध्यक्ष राज्य सरकार के मंत्री हैं। एक के सचिव के ऊपर सुप्रीम कोर्ट में बीसीसीआइ ने गबन करने का हलफनामा दिया था। अब लोढ़ा समिति का लोकपाल ही चुनाव कराएगा और वही तय करेगा कि कौन बिहार का क्रिकेट चलाएगा।