क्रिकेट से हुए दूर तो युजवेंद्र चहल ने चेस में आजमाया हाथ, रह चुके हैं अंडर-12 नेशनल चैंपियन
चहल ने बताया कि आखिर उन्होंने क्यों चेस की जगह क्रिकेट को अपने करियर के तौर पर चुना।
चेन्नई, प्रेट्र। युजवेंद्र चहल चेस के शानदार खिलाड़ी थे, लेकिन बाद में वो क्रिकेटर बन गए। चेस मास्टर से क्रिकेटर बने चहल ने रविवार को अपने पुराने फेवरेट खेल चेस में अपने हाथ आजमाए। चेस डॉट कॉम की तरफ से आयोजित की गई एक ऑन लाइन ब्लिट्स इवेंट में उन्होंने हिस्सा लिया और कहा कि चेस की वजह से ही मैं क्रिकेट के मैदान पर धैर्य रखने की कला सीख पाया।
चहल एक पूर्व राष्ट्रीय अंडर-12 चैंपियन रह चुके हैं और उन्हें विश्व युवा शतरंज चैंपियनशिप में देश का प्रतिनिधित्व करने का गौरव प्राप्त है और यह विश्व शतरंज संघ (FIDE) की वेबसाइट पर सूचीबद्ध है। उनकी एलो रेटिंग 1956 है। ग्रैंडमास्टर अभिजीत गुप्ता और अंतर्राष्ट्रीय मास्टर राकेश कुलकर्णी के साथ एक नि: शुल्क बातचीत के आयोजन से पहले चहल ने कहा कि शतरंज ने मुझे धैर्य सिखाया। उन्होंने कहा कि क्रिकेट में अच्छी गेंदबाजी करने के बाद भी ऐसा हो सकता है कि आपको विकेट ना मिले।
चहल ने कहा कि एक टेस्ट मैच में अगर आप एक पूरे दिन अच्छी गेंदबाजी करते हैं और कोई विकेट नहीं मिलता और आपको फिर अगले दिन भी मैच खेलने आना पड़ता है तो इसके लिए धैर्य की जरूरत होती है। चेस की वजह से मुझे इसमें काफी मदद मिली और किसी बल्लेबाज को आउट करने के लिए धैर्य की जरूरत होती है जो मैंने इस खेल से सीखा।
जब चहल से पूछा गया कि उन्होंने चेस की जगह क्रिकेट को अपने करियर के तौर पर क्यों चुना जबकि वो इस गेम में काफी अच्छे थे। इसके जवाब में भारत के लिए 52 ODI और 42 टी20 इंटरनेशनल मैच खेलने वाले चहल ने कहा कि उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि उन्हें क्रिकेट खेलने में ज्यादा दिलचस्पी थी। मुझे चेस और क्रिकेट में से किसी एक खेल को चुनना था और मेरे पिताजी ने मुझसे कहा कि तुम्हें जो ठीक लगे वही करो और फिर मैंने क्रिकेट को चुना क्योंकि मुझे इसमें ज्यादा दिलचस्पी थी।
कोरोना वायरस की वजह से सभी तरह के खेल बंद हैं जिसमें क्रिकेट भी शामिल है। चहल इस वक्त अपने घर पर हैं और फनी वीडियोज अपने फैंस के लिए सोशल साइट पर शेयर कर रहे हैं। वहीं चहल का कहना है कि मुझे अपने परिवार के साथ ज्यादा वक्त बिताने का मौका नहीं मिलता। कई साल के बाद में अपने घर पर हूं। अपने परिवार के साथ में खूब वक्त बिता रहा हूं। ये मेरे लिए नया अनुभव है। मैं देर से सोता हूं और देर से ही उठता हूं और शाम में अपने परिवार के साथ पूरा वक्त बिताता हूं।