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'यही उम्मीद करूंगा कि धौनी के धुरंधर कंगारुओं का सफाया कर दें'

भारतीय क्रिकेट के यशस्वी पात्रों में से एक पूर्व कप्तान कपिल देव मंगलवार को दैनिक जागरण के नोएडा कार्यालय पहुंचे। वह यहां लोगों से मिले और साथ ही अखबार व वेबसाइट की कार्यशैली को अच्छी तरह समझने की कोशिश भी की। इस दौरान क्रिकेट और भारत-ऑस्ट्रेलिया की आगामी सीमित ओवरों की सीरीज को लेकर रूपेश रंजन सिंह से उनकी बा

By Edited By: Published: Wed, 09 Oct 2013 10:45 AM (IST)Updated: Wed, 09 Oct 2013 09:18 PM (IST)
'यही उम्मीद करूंगा कि धौनी के धुरंधर कंगारुओं का सफाया कर दें'

भारतीय क्रिकेट के यशस्वी पात्रों में से एक पूर्व कप्तान कपिल देव मंगलवार को दैनिक जागरण के नोएडा कार्यालय पहुंचे। वह यहां लोगों से मिले और साथ ही अखबार व वेबसाइट की कार्यशैली को अच्छी तरह समझने की कोशिश भी की। इस दौरान क्रिकेट और भारत-ऑस्ट्रेलिया की आगामी सीमित ओवरों की सीरीज को लेकर रूपेश रंजन सिंह से उनकी बातचीत हुई। पेश हैं उसके प्रमुख अंश..

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प्र. आगामी सीरीज में आप दावेदार किस टीम को मान रहे हैं?

कपिल: यदि भारतीय होने के नाते इसका जवाब देना हो तो मैं तो अपने वतन के साथ रहूंगा और यही उम्मीद करूंगा कि हमारी टीम कंगारुओं का सफाया कर दे। लेकिन एक विशेषज्ञ के तौर पर यदि जवाब देना हो तो मैं कहूंगा कि सीरीज एकतरफा तो नहीं होने वाली। यदि हमारे पास चार मैच विनर हैं तो उनके पास भी दो मैच विनर हैं। जीत-हार का क्या अनुपात होगा यह अभी से नहीं कहा जा सकता। लेकिन टक्कर तो जोरदार होगी।

प्र. क्या आपको लगता है कि आस्ट्रेलिया-भारत सीरीज में पहले जो रोमांच, प्रतिद्वंद्विता और तनाव देखने को मिलता था वह थोड़ा कम हुआ है?

कपिल: हां. शायद हम अब ज्यादा आक्रामक हो गए हैं और ऑस्ट्रेलियाई थोड़े नरम पड़ गए हैं। हकीकत यह है कि जो ताकतवर होता है उसका आत्मविश्वास थोड़ा बढ़ जाता है। हमारी टीम अभी अच्छा खेल रही है और किसी भी टीम को हराने का कुव्वत रखती है। लेकिन यह सब देखने का नजरिया है कोई इसे आत्मविश्वास कहेगा तो कोई घमंड।

प्र.ऑस्ट्रेलियाई टीम वनडे रैंकिंग में नंबर दो स्थान पर है इसके बावजूद उन्हें कमजोर माना जा रहा है?

कपिल: शायद इस वजह से कि उनका मुकाबला उस भारतीय टीम से है, जो रैंकिंग में नंबर एक पर है। यह सीरीज तो वैसे भी नंबर एक की जंग है। भारत सीरीज अपने नाम करके अन्य टीमों से और फासला बना सकता है, लेकिन यदि ऑस्ट्रेलियाई बढ़े अंतर से जीते तो नंबर वन की कुर्सी पर वे काबिज हो जाएंगे। देखने वाले भले ही इसे हल्के में लें, लेकिन भारतीय टीम इसे हल्के में लेने की गलती नहीं करेगी। ऑस्ट्रेलियाई विपक्षी टीम की छोटी-छोटी गलतियों का फायदा उठाने में माहिर होते हैं। भारतीय टीम अच्छी फॉर्म में है, लेकिन घरेलू दर्शकों के सामने खेलने का दबाव उन पर रहेगा और इसका फायदा ऑस्ट्रेलियाई जरूर उठाना चाहेंगे।

प्र. क्या आप मानते हैं कि स्टार क्रिकेट ने हिंदी कमेंट्री की शुरुआत करके क्रिकेट को सुदूर गांव तक पहुंचाने का काम किया है?

कपिल: यह सच में बेजोड़ काम हुआ है। हिंदी की पहुंच अंग्रेजी से ज्यादा है और हिंदी कमेंट्री के बाद से टीवी पर दर्शकों की संख्या भी बढ़ी है। हां, अभी बहुत सी खामियां आपको दिखेंगी, लेकिन यह एक अच्छी पहल है और समय के साथ यह और बेहतर होती जाएगी।

प्र. हमारे यहां बल्लेबाज तो एक से एक निकल रहे हैं, लेकिन अच्छे गेंदबाजों का सूखा बना ही हुआ है. इसकी मुख्य वजह उनकी इंजरी है। गेंदबाजों के लगातार चोटिल होने के पीछे क्या वजह हो सकती है?

कपिल: सच तो यह है कि हम भारतीय तेज गेंदबाजी के लिए बने ही नहीं हैं। हमारी शारीरिक संरचना ही वैसी नहीं है कि हम तेज खेल खेल सकें। भारतीयों को ज्यादा सूट करते हैं हैंड-आई कॉर्डिनेशन वाले गेम। जैसे टेबल टेनिस, बैडमिंटन। यदि तेज गेंदबाजी करनी है और लंबे समय तक करनी है तो कड़ी मेहनत करनी होगी इसका दूसरा कोई विकल्प नहीं।

प्र. क्या आपको भी लगता है कि सचिन के संन्यास के बाद क्रिकेट में दर्शकों की संख्या घट जाएगी?

कपिल: देखिए, बहुत पुरानी कहावत है शो मस्ट गो ऑन.। खेल से बड़ा कोई नहीं होता। इसमें कोई शक नहीं सचिन बहुत बड़ा खिलाड़ी है, लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं कि उनके संन्यास के बाद दर्शक स्टेडियम में आने बंद हो जाएंगे। मुझे भी कई प्रशंसक मिलते हैं, जो यह कहते हैं कि आपके बाद तो हमारा क्रिकेट से मन ही उठ गया। लेकिन आप कहिए क्या स्टेडियम में लोग नहीं आते। वक्त बदलता है. खिलाड़ी बदलते हैं और देखने वाले भी बदलते हैं। आज का युवा कोहली, रैना को देखने मैदान पर जाता है।

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