मुरली विजय के पीछे किसका हाथ? जानिए ये तीन राज
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले दो टेस्ट मुकाबलों के लिए टीम इंडिया में वसीम जाफर के बदले मुरली विजय के चयन पर सबसे बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है। संदीप पाटिल की अध्यक्षता में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टीम इंडिया का चयन किया गया। चयनकर्ताओं की बैठक में नॉर्थ जोन का प्रतिनिधित्व विक्रम राठौर कर रहे थे। सेंट्रल जोन का प्रतिनिधित्व राजिन्दर हंस कर रहे थे। ईस्ट जोन का प्रतिनिधित्व सबा करीम कर रहे थे और साउथ जोन का प्रतिनिधित्व रोजर बिन्नी कर रहे थे।
मुंबई। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले दो टेस्ट मुकाबलों के लिए टीम इंडिया में वसीम जाफर के बदले मुरली विजय के चयन पर सबसे बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है। संदीप पाटिल की अध्यक्षता में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टीम इंडिया का चयन किया गया। चयनकर्ताओं की बैठक में नॉर्थ जोन का प्रतिनिधित्व विक्रम राठौर कर रहे थे। सेंट्रल जोन का प्रतिनिधित्व राजिन्दर हंस कर रहे थे। ईस्ट जोन का प्रतिनिधित्व सबा करीम कर रहे थे और साउथ जोन का प्रतिनिधित्व रोजर बिन्नी कर रहे थे।
मुरली विजय के लिए हाल में खत्म हुआ रणजी ट्रॉफी भी अच्छा नहीं रहा था। उन्होंने आठ पारियों में सिर्फ 138 रन बनाए और 42 रन उनका सर्वाधिक स्कोर था। सिर्फ ईरानी ट्रॉफी की पहली पारी में शतक लगाने पर ही उनका टीम इंडिया में चयन हो गया, जबकि दूसरी पारी में वे सस्ते में निपट गए। क्रिकेट प्रशंसकों को यह समझ नहीं आ रहा कि आखिर चयनकर्ताओं ने यह फैसला क्यों लिया? क्या इसके पीछे किसी का हाथ है या फिर कोई और बात? आइए हम बताते हैं तीन संभावनाएं, जिसके कारण चयनकर्ता ऐसा चौंकाने वाला फैसला कर सकते हैं :
1. बीसीसीआई की यूथ पॉलिशी
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की यूथ पॉलिशी के अनुसार टीम इंडिया में अब युवाओं को अधिक मौका दिया जाएगा। टीम चयन के बाद एक रिपोर्ट में ऐसा कहा गया है कि चयनकर्ता 35 वर्षीय वसीम जाफर को टीम इंडिया के लिए रिटायर मान चुके हैं, क्योंकि उनकी उम्र बहुत ज्यादा हो गई है। उनके अनुसार वे घरेलू टूर्नामेंट के लिए बेहतर हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अब युवाओं को मौका दिया जाएगा। तो क्या इसीलिए 28 वर्षीय मुरली विजय को मौका दिया गया?
अगर ऐसा है तो टीम में 32 वर्षीय हरभजन सिंह और 34 वर्षीय वीरेंद्र सहवाग क्या कर रहे हैं। अगर पूरी तरह से यूथ पॉलिशी अपनानी ही है तो इन दोनों को भी टीम से बाहर करना चाहिए।
2. जोन फैक्टर
मुरली विजय के चयन के पीछे जोन फैक्टर भी बड़ी भूमिका निभा सकता है। विजय साउथ जोन से आते हैं। साउथ जोन से टीम में मुरली विजय के अलावा आर. अश्रि्वन हैं। चयनकर्ताओं के पैनल में रोजर बिन्नी साउथ जोन का प्रतिनिधित्व करते हैं। टीम इंडिया के चयनकर्ता शुरू से इस बात की कोशिश करते रहे हैं कि उनके जोन के अधिक से अधिक खिलाड़ी टीम इंडिया में शामिल हों। साउथ जोन की बात की जाए तो मुरली विजय मजबूत दावेदार थे।
अगर ऐसा है तो क्या टैलेंट से समझौता कर टीम इंडिया को जोन के हिसाब से निर्धारित करना चाहिए। इंग्लैंड के खिलाफ भी ऐसा ही हुआ था। क्या यह जरूरी है कि टैलेंट नहीं होते हुए भी टीम इंडिया में हर जोन से एक खिलाड़ी हो ही?
3. कप्तान धौनी का हाथ
मुरली विजय आईपीएल में चेन्नई सुपर किंग्स के साथ खेलते हैं, जिसके कप्तान महेंद्र सिंह धौनी हैं। धौनी टीम इंडिया के भी कप्तान हैं, तो क्या विजय के चयन के पीछे कप्तान धौनी का हाथ भी हो सकता है? पिछले साल आई खबरों के अनुसार धौनी मुरली विजय का काफी सपोर्ट करते हैं। वे उन्हें हर बार मौका देना चाहते हैं। पिछले सीजन में राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ शतक जड़ने के बाद तो धौनी विजय के मानो मुरीद हो चुके थे। उन्होंने अपने एक बयान में कहा था कि उन्हें यह पता है कि मुरली विजय मौका का फायदा उठाना जानते हैं। नेट्स पर वे जमकर पसीना बहाते हैं। तो कहीं ऐसा तो नहीं कि धौनी ने इस टीम चयन में अपनी दोस्ती निभाई?
हो सकता है कि जोन फैक्टर और धौनी के सपोर्ट ने मुरली विजय का वोट बढ़ा दिया हो।
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