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टीम इंडिया का सबसे बेहतर कोच कौन? गैरी, कुंबले या शास्त्री

अब यह सवाल उठने लगा है कि क्या वाकई में कोच के तौर पर कुंबले, शास्त्री से बेहतर थे?

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Sun, 21 Jan 2018 10:18 PM (IST)Updated: Mon, 22 Jan 2018 10:39 AM (IST)
टीम इंडिया का सबसे बेहतर कोच कौन? गैरी, कुंबले या शास्त्री
टीम इंडिया का सबसे बेहतर कोच कौन? गैरी, कुंबले या शास्त्री

अभिषेक त्रिपाठी, जोहानिसबर्ग। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त बीसीसीआइ की प्रशासकों की समिति (सीओए) के पूर्व सदस्य और इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने भारतीय टीम के वर्तमान कप्तान विराट कोहली और मुख्य कोच रवि शास्त्री पर करारा हमला बोलते हुए कई सवाल उठाए हैं। उन्होंने टीम इंडिया के पूर्व कोच अनिल कुंबले को शास्त्री से बहुत बेहतर बताया है। अब यह सवाल उठने लगा है कि क्या वाकई में कोच के तौर पर कुंबले, शास्त्री से बेहतर थे?

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आप सभी को मालूम है कि पिछले साल इंग्लैंड में हुई चैंपियंस ट्रॉफी के ठीक पहले कोहली और कुंबले के बीच खटपट की खबरें आई थी। इस सीरीज के खत्म होने के बाद भारत लिए सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले कुंबले ने टीम इंडिया के मुख्य कोच पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण वाली क्रिकेट सलाहकार समिति और बीसीसीआइ ने विराट की चाहत के आगे घुटने टेकते हुए शास्त्री को दोबारा टीम इंडिया का कोच बना दिया था।

इसके बाद से टीम इंडिया लगातार घर पर या श्रीलंका जैसी टीम के घर पर टेस्ट क्रिकेट खेली जिसमें उसे जीत मिली। दक्षिण अफ्रीका जैसी पहली बड़ी चुनौती मिलते ही दुनिया की नंबर वन टीम पहले दो टेस्ट में ढेर हो गई। अब आपको बताते हैं कि भारत को विश्व कप दिलाने वाले कोच गैरी क्रिस्टन, पूर्व कोच कुंबले और वर्तमान कोच शास्त्री में क्या अंतर है?

क्रिस्टन का तरीका 

हर कोच का टीम को रखने और अभ्यास कराने का तरीका अलग होता है। दक्षिण अफ्रीका के लिए 101 टेस्ट और 185 वनडे खेलने वाले गैरी ने एक मार्च, 2008 को टीम इंडिया का कोच पद संभाला था। उनके कोच रहते हुए भारत ने इसी साल मार्च-अप्रैल में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ उसी के घर में टेस्ट सीरीज को 1-1 से ड्रॉ कराया। इसी दौरान भारत ने 40 साल बाद न्यूजीलैंड में कोई वनडे सीरीज जीती। उनके कोच रहते हुए धौनी की कप्तानी में भारत ने 2011 में दूसरी बार विश्व कप हासिल किया। क्रिस्टन खिलाडि़यों में जोश तो जगाते ही थे ही साथ ही उन्हें कड़ा अभ्यास कराते थे।

वह नेट पर खुद थ्रो डाउन करते हुए दिखते थे। इसके अलावा वह खिलाडि़यों को कैच का अभ्यास और फील्डिंग का अभ्यास भी कराते थे। धौनी ने उनके बारे में कहा था कि उनका आना भारतीय क्रिकेट की सर्वश्रेष्ठ चीज है। भारत के विश्व कप जीतने के बाद उन्होंने टीम इंडिया का कोच पद छोड़ दिया था। उनके समय में खिलाडि़यों को न बहुत ज्यादा छूट थी और न बहुत ज्यादा बंधन इसलिए सभी खिलाड़ी उनका सम्मान करते थे। कप्तान और कोच के बीच अच्छा तालमेल था।

टीचर कुंबले 

टीम डायरेक्टर रवि शास्त्री के बाद एक साल के लिए मुख्य कोच बने कुंबले जब क्रिकेट खेलते थे तब भी वह नियमों के तहत ही चलते थे। 619 टेस्ट विकेट लेने वाला यह लेग स्पिनर जब 24 जून, 2016 को भारतीय टीम का कोच बना तो तत्कालीन कप्तान विराट ने उनकी जमकर तारीफ की। शुरू से नियम कायदे और कानून के पक्के कुंबले का स्तर विराट से बड़ा था। वह दुनिया में सबसे ज्यादा टेस्ट विकेट लेने वाले तीसरे गेंदबाज और पूर्व कप्तान थे। जब वह कोच बने तो खुद खिलाडि़यों को गेंदबाजी का अभ्यास कराते थे। मुझे याद आ रहा है जब नवंबर, 2016 में इंग्लैंड की टीम यहां टेस्ट सीरीज खेलने आई तो कुंबले खुद नेट पर घंटों गेंदबाजी करके भारतीय बल्लेबाजों को स्पिन का अभ्यास कराते थे।

वह खुद थ्रो डाउन भी करते थे और क्षेत्ररक्षण का भी अभ्यास कराते थे। जब राजकोट में पहले टेस्ट के पहले दिन इंग्लैंड ने चार विकेट पर 311 रनों का स्कोर कर दिया तो दूसरे दिन सुबह वह खिलाडि़यों को खुद अभ्यास कराने में जुट गए जो इस समय देखने को नहीं मिलता है। वह जैसे खुद नियमों में बंधकर रहते थे वैसे ही राष्ट्रीय टीम के खिलाडि़यों को भी रखने की कोशिश की लेकिन आइपीएल खेलने वाले, ऑडी-मर्सिडीज में चलने वाले और करोड़ों में खेलने वाले टीम इंडिया के नए जमाने के क्रिकेटरों को यह पसंद नहीं आया। शास्त्री के समय पार्टियों में जाने वाले क्रिकेटरों को ये पाबंदियां पसंद नहीं आई। खासतौर पर विराट को अपनी बातों का कटना पसंद नहीं आया। यही कारण था कि एक साल बाद ही उन्हें जाना पड़ा।

विराट के पसंदीदा शास्त्री

शास्त्री जबसे मुख्य कोच बने हैं तबसे विराट और मजबूत हुए हैं। इस समय टीम में वही होता है जो ये दोनों चाहते हैं। टीम के रणनीतिक मसले, किसको खिलाना है, किसको नहीं खिलाना है उसमें इनका ही सबसे ज्यादा दखल होता है। हालांकि क्रिस्टन और कुंबले की तरफ शास्त्री कभी मैदान में जोर आजमाते हुए नजर नहीं आते हैं। जब से शास्त्री कोच बने हैं तब से टीम के अभ्यास सत्र में सहायक कोच संजय बांगर, फील्डिंग कोच आर श्रीधर, थ्रो डाउन स्पेशलिस्ट रघु ही खिलाडि़यों को अभ्यास कराते हुए नजर आते हैं। गेंदबाजी कोच और शास्त्री के खासमखास भरत अरुण जरूर गेंदबाजों को टिप्स देते हुए नजर आते हैं।

उनका शरीर इतना भारी है कि वह कभी भी बल्लेबाजों को खुद अभ्यास नहीं कराते हैं। जहां तक शास्त्री की बात है तो वह अभ्यास सत्र में हमेशा नेट पर खड़े ही नजर आते हैं। उन्हें कभी भी क्रिस्टन और कुंबले की तरह मेहनत करते हुए नहीं देखा गया। यही नहीं कुंबले जब कोच थे तब सभी खिलाडि़यों को बराबर अहमियत मिलती थी लेकिन इस समय साफ देखा जा सकता है कि अभ्यास सत्र में भी अलग-अलग खिलाडि़यों को अलग-अलग ट्रीटमेंट मिलता है।

अगर रविवार को ही टीम के अभ्यास की बात करें तो दूसरे सेट में रहाणे और विराट आसपास के नेट पर अभ्यास कर रहे थे। इस समय रहाणे को गेंदबाजी रविचंद्रन अश्विन और दक्षिण अफ्रीका का एक जूनियर गेंदबाज गेंदबाजी करा रहा था। वही विराट को अभ्यास कराने के लिए शास्त्री ने जसप्रीत बुमराह, मुहम्मद शमी, इशांत शर्मा, रवींद्र जडेजा और दक्षिण अफ्रीका के एक लोकल गेंदबाज को लगा रखा था।

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