वर्ल्ड कप जीतने के बाद बदली पाक क्रिकेट की दशा: इंजमाम
दुबई। पूर्व कप्तान इंजमाम उल हक का कहना है कि उन्नीस सौ बानवे विश्व कप में मिली खिताबी जीत के बाद पाकिस्तानी क्रिकेट में सुनहरे दौर की शुरुआत हुई थी, जिसने न सिर्फ देश को बेहतरीन क्रिकेटर दिए बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अच्छे नतीजे मिले।
दुबई। पूर्व कप्तान इंजमाम उल हक का कहना है कि 1992 विश्व कप में मिली खिताबी जीत के बाद पाकिस्तानी क्रिकेट में सुनहरे दौर की शुरुआत हुई थी, जिसने न सिर्फ देश को बेहतरीन क्रिकेटर दिए बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अच्छे नतीजे मिले।
इंजमाम ने 1992 विश्व कप के दस मैचों में 225 रन बनाए थे, जिसमें से न्यूजीलैंड के खिलाफ सेमीफाइनल में 37 गेंदों में 60 रन की पारी शामिल है। फाइनल में इंग्लैंड के खिलाफ उन्होंने 35 गेंद में 42 रन बनाए। इसी दौरान इंजमाम एक सितारे की तरह चमके और 2007 में रिटायर होने से पहले 8830 टेस्ट रन और 11739 वनडे रन बनाए। इंजमाम ने कहा कि 1992 में विश्व कप जीत ने पाकिस्तान क्रिकेट की दशा ही बदल कर रख दी। उस दौर के कई क्रिकेटर भावी पीढ़ी के आदर्श और प्रेरणास्त्रोत बने। उन्होंने कहा कि मेरे ख्याल से वह पाकिस्तान क्रिकेट का सर्वश्रेष्ठ दौर था। हमने टेस्ट और वनडे में नियमित तौर पर लगभग सभी शीर्ष टीमों को हराया था। हम विश्व क्रिकेट में दबदबा बनाने में कामयाब रहे क्योंकि उस जीत ने हमारी मानसिकता बदल दी। उस जीत से हमें आत्मविश्वास मिला कि हम किसी भी टीम को भी हरा सकते हैं।
इंजमाम ने पाकिस्तान की ओर पांच विश्व कप खेले हैं, लेकिन उनका मानना है कि 1992 विश्व कप में पाकिस्तान की सबसे मजबूत टीम नहीं थी। इंजमाम ने कहा कि उस समय के सबसे तेज गेंदबाज वकार युनूस चोट के कारण टीम में नहीं थे। जावेद मियादाद और इमरान खान पूरी तरह फिट नहीं थे, सईद अनवर टीम में नहीं थे, जबकि आधे से ज्यादा खिलाड़ी ऑस्ट्रेलिया में पहली बार खेल रहे थे। इसके बावजूद जावेद, रमीज राजा और वसीम अकरम जानते थे कि दबाव में कैसे खेला जाता है और युवा खिलाड़ियों से कैसे अच्छा प्रदर्शन कराया जाता है।
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर