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विराट की ये कैसी रणनीति टेस्ट में लगातार कभी नहीं उतारी एक जैसी टीमें

भारतीय टीम लगातार जीत रही हो या उसे मात मिल रही हो कप्तान विराट कोहली लगातार दो मैचों में एक जैसी टीम नहीं खिलाते।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Sat, 13 Jan 2018 08:02 PM (IST)Updated: Sat, 13 Jan 2018 08:02 PM (IST)
विराट की ये कैसी रणनीति टेस्ट में लगातार कभी नहीं उतारी एक जैसी टीमें
विराट की ये कैसी रणनीति टेस्ट में लगातार कभी नहीं उतारी एक जैसी टीमें

अभिषेक त्रिपाठी, सेंचुरियन। भारतीय टीम लगातार जीत रही हो या उसे मात मिल रही हो कप्तान विराट कोहली लगातार दो मैचों में एक जैसी टीम नहीं खिलाते। कभी परिस्थितियों के कारण उन्हें ऐसा करना पड़ता है तो कभी खिलाडिय़ों के चोटिल होने की वजह से। सेंचुरियन में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ शनिवार से शुरू हुआ सीरीज का दूसरा मुकाबला उनकी कप्तानी का 34वां टेस्ट मैच है और इसमें भी उन्होंने पिछले टेस्ट के एकादश में तीन परिवर्तन किए। उन्होंने केपटाउन टेस्ट में खेली टीम से ओपनर शिखर धवन को हटाकर केएल राहुल को, विकेटकीपर ऋद्धिमान साहा की जगह पार्थिव पटेल को और स्विंगर भुवनेश्वर कुमार को हटाकर तेज गेंदबाज इशांत शर्मा को शामिल किया। निश्चित तौर पर वह जब जीतते थे तो इन सब पर सवाल नहीं उठते थे लेकिन उनके हारने के कारण अब उनके टीम चयन पर सवाल उठ रहे हैं।

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केपटाउन के न्यूलैंड्स स्टेडियम में मध्यक्रम के बल्लेबाज अजिंक्य रहाणे को न खिलाने पर सवाल उठे तो इस मैच में भुवनेश्वर की जगह इशांत को शामिल करने पर सवाल उठे। भुवी ने पिछले मैच में सबसे ज्यादा छह विकेट लिए थे और जानकारों का कहना है कि अगर यहां की पिच में मिलने वाले बाउंस को देखते हुए इशांत को अंतिम एकादश में शामिल ही करना था तो उन्हें मुहम्मद शमी या जसप्रीत बुमराह की जगह शामिल किया जा सकता था क्योंकि ऐसी परिस्थितियों में ये दोनों ही कुछ खास नहीं कर पाते और यही हुआ भी। खासतौर पर मुहम्मद शमी की तो जमकर कुटाई की गई।

पुराना शगल : विराट ने महेंद्र सिंह धौनी की अनुपस्थिति में एडिलेड में नौ दिसंबर, 2014 को शुरू हुए ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले टेस्ट में पहली बार टेस्ट की कप्तानी की थी। इस सीरीज के अगले दो टेस्ट में धौनी ने कप्तानी की और उसके बाद टेस्ट से संन्यास ले लिया। सीरीज के चौथे मैच में विराट को फिर कप्तानी का जिम्मा मिला उन्होंने टीम बदल दी। इसके बाद भारत ने विराट की कप्तानी में बांग्लादेश में एक टेस्ट मैच की सीरीज ड्रॉ कराई। उसके बाद श्रीलंका में तीन टेस्ट की सीरीज 2-1 से, घर पर दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ चार मैचों की सीरीज 3-0 से और वेस्टइंडीज में चार मैचों की सीरीज 2-0 से जीती लेकिन हर दूसरे मैच में टीम बदल गई। भारत ने घर पर लगातार न्यूजीलैंड को 3-0 से, इंग्लैंड को 4-0 से, बांग्लादेश को 1-0 से, ऑस्ट्रेलिया को 2-1 से, श्रीलंका को उसके घर में 3-0 से और अपने घर में 1-0 से परास्त किया लेकिन फिर भी हर दूसरे मैच में अंतिम एकादश में बदलाव होता रहा। इसमें कई बार खिलाडिय़ों के चोटिल होने पर तो कई बार परिस्थितियों के कारण हुआ लेकिन बहुत ज्यादा सवाल नहीं उठे क्योंकि भारत जीत रहा था।

लोगों का मानना था कि विराट पत्थर को सोना बनाने की कला जानते हैं। वह अगर अंतिम एकादश में जयंत यादव को लाए तो उन्होंने भी प्रदर्शन किया और कुछ मैचों के बाद जयंत को गायब कर दिया गया तो उस पर भी सवाल नहीं उठे लेकिन इस समय विराट अपने कप्तानी करियर के सबसे कठिन दौरे पर हैं। यहां पर उन्हें टीम चयन में गड़बड़ी के कारण पहले टेस्ट में हार मिली। न्यूलैंड्स की पिच पर उन्होंने रहाणे की जगह रोहित शर्मा को वरीयता दी तो सुपर स्पोट्र्स पार्क स्टेडियम में भुवी को बाहर कर दिया। भारत तीन टेस्ट की सीरीज में 0-1 से पीछे है। निश्चित तौर पर सवाल तो उठेंगे ही।

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