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तीन साल पहले ही बदल जाता भारतीय कप्तान लेकिन....

टीम इंडिया ने लंबे समय बाद टेस्ट क्रिकेट में विराट कोहली के रूप में एक नया कप्तान देखा। ये तब ही मुमकिन हो सका जब महेंद्र सिंह धौनी ने ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान टेस्ट सीरीज के बीच में संन्यास की घोषणा कर दी लेकिन ये बात कम ही लोगों को

By ShivamEdited By: Published: Sun, 14 Jun 2015 08:15 PM (IST)Updated: Mon, 15 Jun 2015 01:05 PM (IST)
तीन साल पहले ही बदल जाता भारतीय कप्तान लेकिन....

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। टीम इंडिया ने लंबे समय बाद टेस्ट क्रिकेट में विराट कोहली के रूप में एक नया कप्तान देखा। ये तब ही मुमकिन हो सका जब महेंद्र सिंह धौनी ने ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान टेस्ट सीरीज के बीच में संन्यास की घोषणा कर दी लेकिन ये बात कम ही लोगों को पता होगी कि विराट को 2012 में ही कप्तान बनाए जाने की तैयारी थी।

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फैसला गुटबाजी और टीम में मनोबल की कमी को देखते हुए लिया गया था लेकिन बीसीसीआइ के तत्कालीन अध्यक्ष एन श्रीनिवासन ने इसे खारिज कर दिया था। इसके बाद नए कप्तान के लिए टीम को तीन साल इंतजार करना पड़ा।

इस योजना को याद करते हुए पूर्व राष्ट्रीय चयनकर्ता राजा वेंकट ने बताया कि उस समय ऑस्ट्रेलिया दौरे पर लगातार खराब नतीजे के कारण कोहली को कप्तान बनाने का विचार सामने आया था। भारत को टेस्ट सीरीज में 0-4 से शिकस्त का सामना करना पड़ा था और टीम उस समय काफी मुश्किल में नजर आ रही थी क्योंकि उससे कुछ महीने पहले इंग्लैंड में भी टीम को इसी अंतर से हार झेलनी पड़ी थी।

वेंकट ने कहा कि पूर्व कप्तान मोहिंदर अमरनाथ की अगुआई वाली चयन समिति का मानना था कि नेतृत्व में परिवर्तन टीम में नई ऊर्जा लाने और गिरे हुए मनोबल को बढ़ाने के लिए जरूरी है।

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वेंकट ने कहा कि मेरे दो साथी टेस्ट सीरीज के दौरान वहां थे और 0-3 से पिछड़ने के बाद वे वापस आ गए। उन्होंने देखा कि टीम का मनोबल गिरा हुआ है और खिलाड़ी छोटे गुटों में बंट गए हैं। वेंकट ने कहा कि हमने देखा था कि विराट ने एक सत्र पहले देवधर ट्रॉफी में उत्तर क्षेत्र की टीम की शानदार तरीके से अगुआई की थी। हमने सोचा कि क्यों ना ट्राई सीरीज के लिए उसे कप्तान के रूप में चुना जाए।

इसके बाद हमने तत्कालीन सचिव (संजय जगदाले) को सूचित किया। सचिव ने अध्यक्ष को सूचना दी लेकिन तत्कालीन बीसीसीआइ अध्यक्ष ने कहा कि टीम की घोषणा पहले ही हो चुकी है इसलिए कप्तान बदलने की कोई जरुरत नहीं है।

बीसीसीआइ के संविधान के अनुसार चयनकर्ताओं के फैसले को पलटना अध्यक्ष के अधिकारों के दायरे में आता है। अमरनाथ ने हालांकि वेंकट के खुलासे पर प्रतिक्रिया देने से इन्कार कर दिया। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता कि मीडिया में क्या आया है। मैं इस बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं देना चाहता।

चयनकर्ता जब उस समय कोहली को कप्तान बनाने की सोच रहे थे तो वह सिर्फ 23 बरस के थे और वेंकट से जब पूछा गया कि क्या यह बल्लेबाज इस मुश्किल काम के लिए तैयार था तो उन्होंने कहा कि इस फैसले का नतीजा कुछ भी हो सकता था। हालांकि वेंकट ने इसका खुलासा नहीं किया कि चयन समिति के धौनी के साथ कैसे रिश्ते थे।

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